युवाओं को रोजगार या महिलाओं को 1500 रुपए

By: Jan 8th, 2024 12:05 am

प्रदेश कांग्रेस सरकार को चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसी दवाब में न आकर तर्कसंगत निर्णय ले और प्रदेश में 20 लाख महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए देने के निर्णय से कहीं ज्यादा बेहतर है कि चार लाख युवाओं को प्रति माह 7500 रुपए या फिर एक लाख युवाओं को 30000 रुपए के प्रति माह देकर किसी न किसी कार्य पर लगाया जाए। रोजगार से उत्पादकता में वृद्धि होगी…

हिमाचल प्रदेश के परिपे्रक्ष्य में इस वर्ष चुनावों पूर्व कांग्रेस द्वारा दी गई गारंटियां बहस का मुख्य विषय रहने वाली हैं। आगामी लोकसभा चुनावों के चलते इन गारंटियों के पूरा होने या न होने की बहस और भी तेजी पकड़ेगी। भाजपा इन्हें मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश में रहेगी क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने इन्हीं गारंटियों के दम पर उनसे सत्ता छीनी है और इसे लेकर वह कांग्रेस पर कोई रहम भी नहीं करेगी। वहीं कांग्रेस सरकार प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का आश्रय लेकर किन्हीं एक या दो वायदों को पूरा करके बाकी गारंटियों से ध्यान बंटाने की कोशिश करेगी व अगले चार वर्षों में इन्हें पूरा करने की बात कहेगी। क्या गारंटियां ठीक थी? क्या चुनावों से पूर्व इस तरह के वायदे होने चाहिए? कौन ठीक, कौन गलत? इस तरह के प्रश्नों में न उलझते हुए यह लेख इन गारंटियों में सबसे प्रमुख प्रत्येक महिला को 1500 रुपए प्रतिमाह दिए जाने के वायदे को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और विकल्पों का विश्लेषण है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या 6864602 है जिसमें 3382729 महिलाएं थी। 9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ आज कुल जनसंख्या 75 लाख को पार कर चुकी है। इसी तरह 310000 की वृद्धि के साथ आज प्रदेश में महिलाओं की कुल संख्या 37 लाख पहुंच चुकी है। वर्ष 2011 की जनगणना में वृद्धि को आधार मान कर आंकड़ों का विश्लेषण करें तो इस समय 0 से 18 वर्ष के आयु के बीच की महिलाओं की संख्या करीब 12 लाख है, जो इस मानदेय योजना से बाहर है। 60 वर्ष से आयु के ऊपर महिलाओं की संख्या 4 लाख है जो पहले से किसी न किसी रूप में सरकार से मानदेय, सरकारी पेंशन या वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त कर रही है। प्रदेश में नियमित सरकारी महिला कर्मचारी, कांट्रैक्ट, आउटसोर्स, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व कुछ अन्य की संख्या भी एक लाख के करीब है। इन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इन सभी की गणना करें तो लक्षित महिलाओं की संख्या 19 से 20 लाख के बीच पहुंचेगी। 1500 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से इस मानदेय योजना को पूरा करने के लिए करीब 3600 करोड़ रुपयों की आवश्यकता प्रदेश सरकार को होगी।

प्रदेश के वित्तीय हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं। वर्ष 2023-24 के बजट के अनुसार 37999 करोड़ की राजस्व प्रप्तियां और 42704 करोड़ का राजस्व व्यय अनुमानित है। स्वाभाविक है कि 4704 करोड़ का जो यह घाटा है, वह ऋणों से पूरा किया जाएगा। ऐसे में प्रत्येक महिला को 1500 रुपए प्रतिमाह की गारंटी को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 3600 करोड़ की व्यवस्था करना प्रदेश सरकार के लिए चुनौती भरा कार्य है। इस गारंटी को पूरा करने के लिए ऋणों का सहारा भी नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि एक तो ऋण लेने के लिए भी केन्द्र सरकार ने प्रति वर्ष लिमिट तय कर दी है, दूसरा प्रदेश के ऊपर पहले से ही 81045 करोड़ के ऋणों का बोझ है। प्रदेश सरकार के लिए सबसे खराब स्थिति यह है कि उसे ऋण और ब्याज चुकाने के लिए ही ऋण लेना पड़ रहा है। प्रदेश के कुल बजट का 20 प्रतिशत हिस्सा तो इसी मद में चला जाता है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे प्रदेश की वित्तीय दशा में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। सरकार के प्रयासों के कारण आबकारी कर, स्टेट जीएसटी में काफी वृद्धि दर्ज की गई है।

इसके अतिरिक्त धन जुटाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने 172 के लगभग पन बिजली परियोजनाओं पर जो वॉटर सेस लगाया है, उससे करीब तीन से चार हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्रदेश को मिलेगा। बशर्ते पड़ोसी राज्य और केंद्र इसे संघवाद के खिलाफ न मानकर इस पर अडंग़े न लगाएं। इसी तरह मिनरल सेस लगाकर 500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना प्रदेश सरकार की है। स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन के तहत कुछ नए प्रावधानों से प्रदेश सरकार का राजस्व इस मद में 446 करोड़ रुपयों से बढक़र 900 करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद है। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रदेश सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील दिख रही है और इस तरह की कई अन्य संभावनाएं भी तलाशी जा रही हंै। पर इसमें दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि वर्तमान सरकार नई निवेश योजनाओं पर कार्य करने के बजाय पुराने संसाधनों पर अतिरिक्त टैक्स लगाने का कार्य कर रही है, जो अंतत: बोझ जनता पर ही पड़ेगा। पर इन सभी उपायों की समीक्षा की जाए तो इसमें कोई शक नहीं कि अपनी दी हुई गारंटियों को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार को जो आवश्यक धन चाहिए, वह उसे किसी न किसी तरह से जुटा ही लेगी।

परंतु आज समय गारंटियों को पूरा करने का नहीं है। वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत बेरोजगारी से जूझते युवाओं को रोजगार की है। 10 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं की फौज आखिर कब तक संयम में रह पाएगी। लंबे समय से प्रदेश में कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं हुई है। निराशा, असुरक्षित भविष्य उन्हें नशे जैसी सामाजिक बुराइयों व इंटरनेट अपराधों की तरफ धकेल रहा है। एक मां के लिए सबसे बड़ी खुशी तब होती है जब उसका बेटा उसे स्वयं की कमाई के कुछ पैसे उसके हाथ में रखे, न कि मुफ्त के पैसों के मिलने से। प्रदेश कांग्रेस सरकार को चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसी दवाब में न आकर तर्कसंगत निर्णय ले और प्रदेश में 20 लाख महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए देने के निर्णय से कहीं ज्यादा बेहतर है कि चार लाख युवाओं को प्रति माह 7500 रुपए या फिर एक लाख युवाओं को 30000 रुपए के प्रति माह देकर किसी न किसी कार्य पर लगाया जाए। तीनों विकल्पों में धन तो बराबर ही खर्च होगा, पर जहां महिलाओं को 1500 रुपए देने से अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा, वहीं युवाओं को रोजगार देने से उत्पादकता में वृद्धि होने से प्रदेश की जीडीपी में भी उछाल आएगा।

प्रवीण कुमार शर्मा

सतत विकास चिंतक


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