हर घर में धार्मिक ग्रंथ होना चाहिए

By: Jan 30th, 2024 12:16 am

शीतला माता मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा में बोले श्रीश्री 1008 विद्यालंकार वेदाचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-ऊना
भागवत कथा श्रवण से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है। यह बात सोमवार को शीतला माता मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को डेरा बाबा रूद्रानंद जी आश्रम के अधिष्ठाता श्रीश्री 1008 विद्यालंकार वेदाचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज के परम शिष्य आचार्य हेमानंद जी महाराज ने कही। श्रीमद्भागवत कथा अमृत है। जीवन में अमृतरूपी महापुराण का हर किसी को श्रवण करना चाहिए। श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है, वहीं भाग्यशाली लोगों को ही इसे बैठकर सुनने का अवसर मिलता है।

हर घर में श्रीमद्भागवत कथा पुराण व धार्मिक ग्रंथ गीता होनी चाहिए। शीतला माता मंदिर में पहुंचने पर आचार्य हेमानंद जी महाराज का भव्य स्वागत किया गया। पुजारी पंडित जयदेव तिवारी के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने आचार्य हेमानंद जी का फूलों से स्वागत किया। आचार्य हेमानंद जी महाराज ने शीतला माता मंदिर में माथा टेका, वहीं श्रीमद्भागवत कथा व्यास पर ठाकुर जी को भी माथा टेका। इस अवसर पर कथा व्यास भागवत शरण जी महाराज वृदंावन वाले, पंडित जयदेव तिवारी, युवा सेवा क्लब के अध्यक्ष मोहन लाल मोहनी, सोमनाथ कपिला, सुरेश , अश्वनी दत्ता सहित श्रद्धालु उपस्थित थे।

कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता होनी चाहिए

श्रीमद्भागवत कथा के विराम दिवस पर प्रवचन करते हुए कथा व्यास भागवत शरण जी महाराज ने कहा कि कृष्ण-सुदामा जैसी मित्रता होनी चाहिए। सुदामा जी त्यागी, तपस्वी, ओजस्वी, मनस्वी एवं स्वामिनी उत्तम ब्राह्म थे। कृष्ण नाम जय ही उनका सर्वोतम धन था। भागवत शरण जी ने भगवान के सोलह हजार एक सौ सात विवाहों का वर्णन किया। नव योगेश्वर संवाद तथा भगवान का स्वधाम गमन, शुक देव विदायी, परीक्षित मोक्ष एवं संपूर्ण भागवत का सार वर्णन के साथ कथा विश्राम दिया गया।


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