धर्माणी-गोमा से अपेक्षा

By: Jan 11th, 2024 12:04 am

हिमाचल मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की सवारी आ रही है तो गाजे-बाजे सहित तकनीकी शिक्षा, आयुष, युवा सेवाएं व खेल विभाग उनके स्वागत के लिए खड़े हैं। जाहिर है राजेश धर्माणी व यादवेंद्र गोमा के हिस्से आए विभाग कहीं से छिटके तो कहीं पर अभी भी अटके हैं। सुक्खू सरकार की बनावट व सजावट में दो नए चेहरे, दो नई संभावनाएं, कुछ क्षेत्रीय वकालत और कुछ नया करने की एहसास लिए राजेश धर्माणी को तकनीकी शिक्षा, वोकेशनल व इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का जिम्मा दिया है, तो यादवेंद्र गोमा को आयुष, युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में कुछ कर दिखाने का मौका मिला है। इस तरह अभी भी कुछ महकमे किसी मंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार नहीं दिखा सके। मंत्रिमंडल की नई परिभाषा में तीन मंत्रियों ने कहीं अपना दायित्व गंवाया है, लेकिन यह सरकार के एक साल के कामकाज की समीक्षा नहीं हो सकती, क्योंकि जनता के अनुभव में जहां अंगूर खट्टे हैं, वहां परिवर्तन की रिक्तियां हैं। हैं कई विभाग ऐसे भी जहां जनता के लिए सरकार की कार्यशैली में खोट है। यह कतरब्यौंत है या सरकार के अगले कदमों की दुरुस्ती, लेकिन कई मंजिलों पे सन्नाटे अभी बरकरार हैं। हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाओं का कौशल अगर मेडिकल कालेजों में हार रहा है, तो सरकार के प्रयत्नों में कहीं तो चुस्ती चाहिए। कृषि, पशुपालन और ग्रामीण विकास की सतह पर पैदावार कम है, तो गारंटी के गोबर को उठाने की मशक्कत चाहिए। ऊर्जा क्षेत्र को सर्दी में रुक गई विद्युत से सर्वप्रथम कुशल आपूर्ति चाहिए, तो गारंटी की मुफ्त बिजली के लिए कत्र्तव्यपरायणता का एहसास भी कराना होगा। कभी शहरी विकास मंत्रालय के स्तंभ रहे सुधीर शर्मा भले ही मंत्रिमंडल से बेदखल हो गए, लेकिन विभाग के स्वतंत्र प्रभार के लिए कोई तो नया चेहरा चाहिए। हो सकता है कि अलाद्दीन का चिराग मंत्रिमंडल के खालीपन को भरने के लिए एक अंतिम मंत्री को खोज रहा हो, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले शायद ही यह करिश्मा सरकार दिखाना चाहेगी। मंत्रिमंडल का विस्तार बड़े ही तकनीक से नए मंत्रियों को ट्रेनिंग दे रहा है। एक तरह से दोनों ही नए मंत्रालय तुलनात्मक दृष्टि से युवा संबोधन पैदा कर रहे हैं।

युवा रोजगार के लिए तकनीकी शिक्षा, वोकेशनल व औद्योगिक प्रशिक्षण के हिसाब से आगे बढ़ा जाए, तो हिमाचल की आने वाली पीढ़ी की क्षमता में निखार आ सकता है। दूसरी ओर यादविंद्र गोमा को मिला युवा सेवाएं एवं खेल विभाग भले ही बजट की दृष्टि से कमजोर महकमा दिखाई दे, लेकिन बच्चों को प्रेरणा के साथ उत्साहित व रोमांचित करने में महती योगदान कर सकता है। इसी तरह आयुष विभाग राज्य की सेहत के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से हैल्थ टूरिज्म को आवाज दे सकता है। कहना न होगा कि पूर्व में डा. राजीव बिंदल ने इस विभाग की उपयोगिता व दक्षता को चार चांद लगाते हुए पंचकर्म जैसी विधियों से अभिनव प्रयोग किए थे। अब अगर गोमा उसी परंपरा को आगे बढ़ाएं तो हिमाचल अपनी हर्बल शक्ति से, केरल की तर्ज पर हैल्थ टूरिज्म का महत्त्वपूर्ण पड़ाव हो सकता है। इसी के साथ योग व अध्यात्म को जोडक़र पर्यटन पैकेज में बढ़ोतरी होगी। दरअसल हिमाचल में विभागीय समन्वय बढ़ाने के लिए मंत्रियों के ग्रुप बनाकर या मंत्रालयों के गठन को इस तरह करना चाहिए कि एक जैसे दायित्व समन्वित प्रयास से पूरे हो सकें। मसलन पर्यटन, सूचना एवं जनसंपर्क व कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग एक ही मंत्री के अधीन समाहित किए जाएं, तो पर्यटन विकास की दृष्टि में निखार आएगा। हिमाचल में अधोसंरचना निर्माण या निवेश मंत्रालय के तहत कार्य हो तो योजनाएं सशक्त होंगी। कृषि एवं बागबानी को जोडक़र एक ही मंत्री के तहत लाया जाए, तो ग्रामीण आर्थिकी के कई विषय अधूरे नहीं रहेंगे। इसी तरह कई विभागों को या तो छोटा मान लिया गया है या कर दिया गया है, जबकि हर विभाग का अपना स्कोप, सामथ्र्य, क्षमता व कार्य-संस्कृति निर्धारित है। मंत्रियों के कार्यभार आबंटन में क्षेत्रीय संभावनाओं व एहसास की पैमाइश भी होती है। बजट आबंटन की दृष्टि से महकमों को बड़ा माना गया, तो पीडब्ल्यूडी, ेऊर्जा, वन, जलशक्ति, चिकित्सा व चिकित्सा की अहमियत बढ़ जाती है। ऐसे में कांगड़ा से भले ही दो मंत्री हो गए, लेकिन बजटीय आबंटन एक और एक ग्यारह नहीं हो रहा है।


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