लाइसेंस के साथ-साथ बनाए जाएं हेल्थ कार्ड

By: Jan 12th, 2024 12:55 am

लंबित मांगें पूरी न होने पर रेहड़ी-फड़ी यूनियन ने कमिश्नर को ज्ञापन सौंप कर जताया ऐतराज
स्टाफ रिपोर्टर-मंडी
सीटू से सबंधित रेहड़ी फड़ी मज़दूर यूनियन ने मंडी नगर निगम क्षेत्र में रेहड़ी धारकों की मांगों के बारे निगमायुक्त एचएस राणा को मांगपत्र सौंपा। जिसका नेतृत्व यूनियन के प्रधान सुरेंद्र कुमार सचिव प्रवीण कुमार ने किया और सीटू के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह और राजेश शर्मा भी उनके साथ मौजूद रहे। यूनियन ने गत 8 दिसंबर को आयोजित नगर विक्रय समिति की बैठक के निर्णयों को लागू न होने पर नाराजगी व्यक्त की और लंबे अरसे से लंबित मामलों को जल्दी हल करने की मांग की है। जिसमें सभी रेहड़ी फड़ी धारकों को लाइसेंस जारी करना, वेंडिंग क्षेत्रों पर निशान लगाने और वहां पर पीने के पानी तथा स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था करने, रेहडिय़ों पर नाम पटिकाएं लगाने, गुजराती समुदाय के वेंडर्स की मार्केट के लिए गेट व वहां पर अन्य प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने, सफ ाई व्यवस्था करने और कूड़ा दिन के बजाए शाम के समय उठाने के अलावा सभी रेहड़ी धारकों के हेल्थ कार्ड बनाने की मांग की गई। यूनियन के प्रधान सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इन सभी मांगों को पूरा करने के लिए पहले 30 सितंबर तक की समय सीमा तय की गई थी लेकिन अब जनवरी में सभी काम अधूरे हैं। जबकि रेहड़ी फ हड़ी वालों ने निगम को लगभग 30 लाख रुपए की तहबाजारी दिसंबर माह तक अदा की है लेकिन उन्हें निगम की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है। पिछले दिनों कुछ रेहड़ी धारकों को डस्टबिन दिए थे लेकि न वे बहुत ही छोटे आकार के हैं जो घरों के लिए इस्तेमाल के लिए तो ठीक हैं लेकिन रेहडिय़ों के लिए पर्याप्त नहीं है।

वेंडिंग क्षेत्रों को रद्द करने के प्रस्ताव की निंदा
इसके अलावा यूनियन ने गत दो दिन पहले सकोहड्डी पुल और आईटीआई के बाहर के वैंडिंग क्षेत्रों को रद्द करने के प्रस्ताव की भी निंदा करते हुए कहा कि निगम सदस्यों को स्ट्रीट वेंडर्स क ानून 2014 का पूर्ण ज्ञान नहीं है और ऐसी ही स्थिति सदर के विधायक की है जो बार-बार रेहडिय़ों को शहर से बाहर निकालने के लिए प्रशानिक अधिकारियों पर दबाब डालते रहते हैं। उधर सीटू के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शहर को सुंदर बनाने और ट्रैफि क जाम के नाम पर रेहड़ी धारकों को कहीं से भी नहीं हटाया जा सकता है और क ानून में स्प्ष्ट निर्देश हैं कि रेहड़ी फ ड़ी परंपरागत और प्राकृतिक रूप से पहले से ही चिन्ह्ति स्थानों पर लगाई जाती हैं और उन्हें वहीं पर ही स्थान दिया जाना होता है और किसी विशेष कारण से किसी को हटाना पड़े तो उसे वैकल्पिक स्थान उपलब्ध करवाना आवश्यक है। लेकिन कुछ समय से नोटिफाइड वैंडिंग क्षेत्रों को रद्द करने के लिए राजनैतिक तौर पर दखलंदाजी की जा रही है जो गैर कानूनी है। सकोढी पुल के जोन का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है लेकिन बावजूद उसके निगम ने प्रस्ताव पारित कर दिया जो कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है जिस बारे यूनियन कोर्ट को अवगत करवाएगी और कार्रवाई की मांग करेगी।


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