अपनी शक्ति का ज्ञान

By: Jan 20th, 2024 12:15 am

श्रीराम शर्मा
वस्तुओं और व्यक्तियों में कोई आकर्षण नहीं है अपनी आत्मीयता जिस किसी से भी जुड़ जाती है वही प्रिय लगने लगती है यह तथ्य कितना स्पष्ट किंतु कितना गुप्त है लोग अमुक व्यक्ति या अमुक वस्तु को रुचिर मधुर मानते हैं और उसे पाने लिपटाने के लिए आकुल व्याकुल रहते हैं। प्राप्त होने पर वह आकुलता जैसे ही घटती है वैसे ही वह आकर्षण तिरोहित हो जाता है। किसी कारण यदि ममत्व हट या घट जाए तो वही वस्तुत: जो कल तक अत्यधिक प्रिय प्रतीत होती थी और जिसके बिना सब कुछ नीरस लगता था, बेकार और निकम्मी लगने लगेंगी। वस्तु या व्यक्ति वही किंतु प्रियता में आश्चर्यजनक परिवर्तन बहुधा होता रहता है। इसका कारण एक मात्र यही है कि उधर से ममता का आकर्षण कम हो गया। हमारा अज्ञान ही है जो अकारण हर्षोन्मत्त एवं शोक आवेश के ज्वार भाटे में उछलता भटकाता रहता है। यदि मायाबद्ध अशुद्ध चिंतन से छुटकारा मिल जाए और सृष्टि के अनवरत जन्म बुद्धि विनाश के अनिवार्य क्रम को समझ लिया तो मनुष्य शांत संतुलित स्थिर संतुष्ट एवं सुखी रह सकता है। ऐसी देवोपम मनोभूमि पल-पल में पग-पग में स्वर्गीय जीवन की सुखद संवेदनाएं सम्मुख प्रस्तुत किए रह सकती है। चिंतन में बैठे अज्ञानी बालक के ज्वार से प्रसन्न और भाटा से अप्रसन्न होने की तरह हमें उद्विग्न बनाए रहता है। हम अपने आपको प्यार करें ताकि ईश्वर से प्यार कर सकने योग्य बन सकें। हम अपने कत्र्तव्यों का पालन करें ताकि ईश्वर के निकट बैठ सकने की पात्रता प्राप्त कर सकें।

जिसने अपने अंत:करण को प्यार से ओत-प्रोत कर लिया, जिसके चिंतन और कर्तृत्व में प्यार बिखरा पड़ा है ईश्वर का प्यार केवल उसी को मिलेगा, जो दीपक की तरह जलकर प्रकाश उत्पन्न करने को तैयार है, प्रभु की ज्योति का अवतरण उसी पर होगा। आत्म विश्वास न हो तो व्यक्ति को पराधीनता की ही बात सूझती है। वह दूसरों के ही शिकंजे में कसा रहता है। कठपुतली की तरह जिस-तिस के इशारे पर नाचता रह सकता है। किंतु जिन्हें अपनी शक्ति का ज्ञान है, अपने ऊपर भरोसा है, उन्हें दूसरों की चिंता नहीं करनी पड़ती। वे सहयोग दें या असहयोग करें, साथियों के साथ वह बंधा रहकर या तो उनको अनुकूल बना लेता है या अपने लिए दूसरा रास्ता बना लेता है। लोगों की आंखों से हम दूर हो सकते हैं, पर हमारी आंखों से कोई दूर न होगा।

जिनकी आंखों में हमारे प्रति स्नेह और हृदय में भावनाएं हैं, उन सबकी तस्वीरें हम अपने कलेजे में छिपाकर ले जाएंगे और उन देव प्रतिमाओं पर निरंतर आंसुओं का अघ्र्य चढ़ाया करेंगे। कह नहीं सकते उऋण होने के लिए प्रत्युपकार का कुछ अवसर मिलेगा या नहीं, पर यदि मिला तो अपनी इन देवप्रतिमाओं को अलंकृत और सुसज्जित करने में कुछ उठा न रखेंगे। लोग हमें भूल सकते हैं, पर हम अपने किसी स्नेही को नहीं भूलेंगे। जीवन में किसी को इतनी ज्यादा अहमियत मत दो कि जब वह आपसे दूर हो, तो आप व्याकुल हो उठें।प्रेम और स्नेह से ही जीवन में खुशियां आ सकती हैं। सच्चा प्रेम ही आनंद का सागर बनता है। दिखावे और झूठे आडंबरों से दूर रहें और सही दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाएं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App