गेस्ट फैकल्टी पर CM सुक्खू-सुधीर शर्मा में खिंच गई लकीर, युवाओं के समर्थन में उतरे विधायक

By: Jan 18th, 2024 6:05 pm

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—शिमला

हिमाचल में गेस्ट फैकल्टी को लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है। पढ़े लिखे बेरोजगार जगह-जगह इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। डिग्रियां ले चुके अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्होंने दिन-रात मेहनत कर बेहतर भविष्य के लिए पढ़ाई की है, लेकिन प्रदेश सरकार उनके भविष्य को अंधेरे की ओर धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रशिक्षित बेरोजगारों का कहना है कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह युवा विरोधी है।

सरकार गेस्ट फैकल्टी के जरिए बैकडोर एंट्री का रास्ता अख्तियार कर रही है। क्योंकि इससे पहले भी पूर्व सरकारों के समय नई-नई पॉलिसियां लाई गईं और स्कूलों-कालेजों में अस्थायी तौर पर शिक्षकों की भर्ती की गई, जिन्हें बाद में सरकार ने रेगुलर कर दिया, जबकि उन्होंने न तो काई कमीशन पास किया और न ही कोई इंटरव्यू दिया। युवाओं ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण बैकडोर एंट्री मिल जाएंगे, जो अब रेगुलर नौकरियां कर रहे हैं। इसके विपरीत जो युवा सालों से कमीशन का कंपीटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।

गेस्ट टीचर प्रवासी पक्षी
एक तरफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हमीरपुर दौरे के दौरान अपनी गेस्ट टीचर पॉलिसी को डिफेंड किया है और कहा है कि उनकी नियुक्ति रिक्तियां भरने के लिए अस्थायी तौर पर की जा रही हैं। उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि पहले वे पॉलिसी को पढ़ लें। दूसरी तरफ धर्मशाला से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग का जवाब देते हुए इस पॉलिसी से नाराज युवाओं का समर्थन किया है। उन्होंने जवाब में लिखा है कि गेस्ट टीचर और प्रवासी पक्षी में कोई फर्क नहीं है। सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस पॉलिसी का ड्राफ्ट अभी सामने नहीं आया है, लेकिन विभिन्न जिलों में जेबीटी इसके खिलाफ धरना दे रहे हैं।

सरकार को याद दिलाया वादा
गेस्ट फैकल्टी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं का कहना है कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि पहली ही कैबिनेट बैठक में 70 हजार सरकारी नौकरियां निकाली जाएंगी, लेकिन सत्ता में आते ही सरकार इसे भूल गई। अब तो एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन सरकार ने एक भी भर्ती नहीं की है। न तो कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर की तरह नई भर्ती एजेंसी का गठन किया। ऐसे में अब सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है। बेरोजगार आखिर सरकार पर कैसे भरोसा करें।


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