नशे को न कहें युवा…

By: Jan 29th, 2024 12:05 am

नशा नासूर बन गया है। देश के विकास में युवा वर्ग का सबसे बड़ा योगदान होता है। स्वस्थ और तंदरुस्त युवा देश के विकास को रफ्तार दे सकते हंै। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि आज भारत के कुछ युवा नशे के आदी होकर अपनी जिंदगी को नरक बना रहे हैं। नशा, नाश का दूसरा नाम है। जिसने भी नशे का दामन एक बार पकड़ लिया उसे नशा मौत के मुंह तक तो ले ही जाता है। साथ ही उसके घर परिवार का भी कई बार नाश कर देता है। नशा इनसान को हैवान भी बना देता है।

हैवानियत के कारण नशेड़ी इनसान अपने घर-परिवार के सदस्यों के साथ, यहां तक कि अपने बच्चों के साथ भी क्रूरता भरा व्यवहार करने से गुरेज नहीं करता है। नशा युवा पीढ़ी को कमजोर करता है, इसलिए नशे को न कहें।

-राजेश चौहान, सुजानपुर टीहरा


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