स्कूलों में विश्व स्तरीय खेल ढांचा जरूरी

By: Jan 26th, 2024 12:06 am

आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। फिटनेस पर उसका ध्यान नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट धीरे-धीरे दौडऩा तथा विभिन्न कोणों पर शरीर के जोड़ों की विभिन्न क्रियाओं को पूरा करने के बाद शरीर को कूलडाऊन करना होगा। कम से कम बीस मिनटों तक तेज चलने, दौडऩे व शारीरिक क्रियाओं को करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। उससे हर मसल को प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। विद्यावती स्कूल की पहल सराहनीय है…

शिक्षा का अर्थ मानव के सर्वांगीण विकास से है, यानी मन व शरीर का विकास इस तरह से हो जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों पर आसानी से पार कर जिंदगी को खुशहाल जी सके। हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में फिटनेस कार्यक्रम के लिए न तो इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही फैकल्टी। मगर कांगड़ा जिले के नूरपुर शहर के बाहर चंबा-जोत सडक़ पर मलकवाल में ने बने विद्यावती अंतरराष्ट्रीय स्कूल के पास विभिन्न खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल ढांचा तैयार हो रहा है। इस स्कूल के पास शूटिंग सहित विभिन्न खेलों के लिए प्ले फील्ड बनकर तैयार है। एक और नए बड़े इंडोर स्टेडियम का शिलान्यास होकर अब तो लगभग तैयार ही हो गया है। हिमाचल प्रदेश में यह स्कूल आने वाले भविष्य में जहां प्रदेश व देश को फिट नागरिक देगा, वहीं पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता खिलाड़ी भी देगा। स्कूली स्तर पर फिटनेस कार्यक्रम शुरू करने की बात इस कॉलम के माध्यम से बार-बार उठाई जा रही है, मगर हिमाचल प्रदेश का कोई भी सरकारी या निजी स्कूल अपने यहां फिटनेस कार्यक्रम लागू करने में नाकाम रहा है। भविष्य में विद्यावती स्कूल से उम्मीद की जा सकती है। कई बार नए शिक्षा सत्र शुरू होकर खत्म हो गए, मगर फिटनेस कार्यक्रम कहीं भी शुरू नहीं हो पाया है। इस बार क्या सरकारी स्कूल या कोई निजी स्कूल अपने यहां ऐसी पहल करेगा?

शिक्षण विषयों के रिपोर्ट कार्ड की तरह स्वास्थ्य के मानकों का रिपोर्ट कार्ड भी प्रत्येक विद्यार्थी का हर स्कूल में अनिवार्य रूप से हो, क्योंकि भाषा व अन्य शिक्षण विषयों की तरह ही स्वास्थ्य के मूल स्तंभ स्पीड, स्ट्रेंथ, इडोरैंस व लचक आदि का प्रयोगिक प्रशिक्षण भी उसी उम्र में शुरू करना होता है। शिक्षण विषयों के लिए तो स्कूलों के पास शिक्षक सहित पूरा प्रबंध है मगर स्वास्थ्य के घटकों को विकसित करके उनका मूल्यांकन करने की कोई भी सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। किसी भी देश को इतनी क्षति युद्ध या महामारी से नहीं होती है जितनी तबाही नशे के कारण हो सकती है। आज जब देश के अन्य राज्यों सहित हिमाचल प्रदेश में भी नशा युवा वर्ग पर ही नहीं, किशोरों तक चरस, अफीम, स्मैक, नशीली दवाओं तथा दूरसंचार के माध्यमों के दुरुपयोग से शिकंजा कस रहा है, इसलिए सरकार, स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों को इस विषय पर जरूरी कदम जल्दी ही उठा लेने चाहिए। यदि विद्यार्थी किशोरावस्था में नशे से बच जाता है तो वह फिर युवावस्था आते-आते समझदार हो गया होता है। माध्यमिक से वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों को विभिन्न विद्याओं में व्यस्त रखने के साथ-साथ शारीरिक फिटनेस की तरफ मोडऩा बेहद जरूरी हो जाता है। शारीरिक विकास के लिए खेलों के माध्यम से फिटनेस कार्यक्रम बहुत जरूरी हो जाता है। खेल ही वह माध्यम है जिसके द्वारा विद्यार्थी को नशे से दूर रखा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश की खेल सुविधाओं का प्रयोग राज्य में स्वास्थ्य व खेलों के लिए बड़े स्तर पर करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश इस समय शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है।

पिछले कुछ दशकों से हिमाचल प्रदेश के नागरिकों की फिटनेस में बहुत कमी आई है। इसका प्रमुख कारण है विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों के लिए किसी भी प्रकार के फिटनेस कार्यक्रम का न होना। रट्टे वाली पढ़ाई की होड़ में हम विद्यार्थियों की फिटनेस को ही भूल गए हैं। हिमाचल प्रदेश की अधिकांश आबादी गांव में रहती थी। वहां पर सवेरे-शाम वर्षों पहले विद्यार्थी अपने अभिभावकों के साथ कृषि व अन्य घरेलू कार्यों में सहायता करता था। विद्यालय आने-जाने के लिए कई किलोमीटर दिन में पैदल चलता था। इसलिए उस समय के विद्यार्थी को किसी भी प्रकार के फिटनेस कार्यक्रम की कोई जरूरत नहीं थी। आज का विद्यार्थी घर के आंगन में बस पर सवार होकर विद्यालय के प्रांगण में उतरता है। पढ़ाई के नाम पर ज्यादा समय खर्च करने के कारण फिटनेस के लिए कोई समय नहीं बचता है। अधिकांश स्कूलों के पास फिटनेस के लिए न तो आधारभूत ढांचा है और न ही कोई कार्यक्रम है। आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। फिटनेस पर उसका ध्यान नहीं है।

ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट धीरे-धीरे दौडऩा तथा विभिन्न कोणों पर शरीर के जोड़ों की विभिन्न क्रियाओं को पूरा करने के बाद शरीर को कूलडाऊन करना होगा। कम से कम बीस मिनटों तक तेज चलने, दौडऩे व शारीरिक क्रियाओं को करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। उससे हर मसल को उपयुक्त मात्रा में प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। विद्यावती स्कूल प्रबंधन जिस तरह से स्कूल में विश्व स्तरीय खेल ढांचा खड़ा कर रहा है, वह भविष्य में सही गुणवत्ता वाली शिक्षा के सपने को पूरा करने की क्षमता रखता है।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेल: bhupindersinghhmr@gmail.com


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