नेता बिना गति नहीं साधो…

By: Feb 24th, 2024 12:05 am

हम बहुत भाग्यशाली हैं कि ईश्वर के साथ-साथ हमारे देश के कण-कण में नेता भी वास करते हैं। ईश्वर साक्षात दिखता नहीं है। लेकिन नेता साक्षात दिखता है। हर योजना में दिखता है। हर घोटाले में दिखता है। हर लफड़े में दिखता है। हर फाइल में दिखता है। हर सौदे में दिखता है। हर डील में दिखता है। नेत्रियों के साथ दिखता है। अभिनेत्रियों के साथ दिखता है, दंगों में दिखता है, शांति रैलियों में दिखता है, बाढ़ में दिखता है, सूखे में दिखता है। कहां-कहां नहीं दिखता नेता? दिन में दिखता है। रात में दिखता है। और तो और, सपने में भी दिखता है…! यह देश नेतामय है। नेता के बिना किसी की गति नहीं है। नेता है तो अपराधी हैं। नेता है तो फरियादी हैं। फरियादी और अपराधी भी हर भेस में हैं। नेता जी भी हर भेस में हैं। जनसेवक में भी नेताजी की झलक मिलती है, डाकू में भी नेता जी के दर्शन हो जाते हैं, अभिनेताओं और मदारियों में भी नेता मिल जाते हैं। अफसरों में भी नेता समाये रहते हैं। रसिकों की लाइन में भी नेता दिख जाते हैं। नेता लोग कहां-कहां नहीं हैं? हमाम में घुसो तो वहां नेता। हवालात में जाओ तो वहां नेता। डांस बार में जाओ तो वहां नेता। दारू की भट्टी तक जाओ तो वहां भी नेता। दफ्तर में घुसो तो वहां नेता। ठेके में घुसो तो वहां नेता। अंदर नेता। बाहर नेता। हर भेस में नेता। जहां-जहां स्कोप है, वहां-वहां नेता। इस मुल्क में आखिर कहां-कहां नहीं हैं नेता? नेता देश के हैं। देश नेताओं का है। नेता देश के कर्णधार हैं। देश नेताओं का पालनहार है। सत्ता नेता के लिए परमात्मा है और जनता परमात्मा तक पहुंचने का माध्यम। परमात्मा हर भेस में है।

नेता जी भी हर भेस में हैं। शास्त्रों में कहा गया है- ‘न जानेेे केहि भेस में परमात्मा मिलि जाय।’ खाकसार कहता है, ‘ना जानेे केहि भेस में कोई नेता मिलि जाय!’ किसी शायर ने कहा है, ‘हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी, जिसको भी देखना, बार-बार देखना।’ इसी शेयर की तर्ज पर यह कहा जा सकता है- ‘हर भेस में होते हैं दस-बीस नेता, जिसको भी देखना, बार-बार देखना।’ नेता फरियादियों के बीच भी हैं और अपराधियों के बीच भी। अपराधी अपनी फरियाद लेकर नेता के पास जाता है और नेता अपनी फरियाद लेकर हाईकमान के पास जाता है। हाईकमान नेता को हडक़ाता है और नेता सबको हडक़ाता है। पुलिस को भी, ब्यूरोक्रेसी को भी और पब्लिक को भी। नेता किस किस को नहीं हडक़ाता? पुलिस पैसे खाती है, नेता भी पैसे खाता है। लेकिन पुलिस चारा नहीं खाती, नेता चारा भी खा जाता है। नेता बहुरूपिया है। माला फेरते भी मिल सकता है और दाना डालते भी। वह लुटेरे के भेस में भी मिल सकता है और भिखारी के भेस में भी। वह डुगडुगी बजाता भी मिल सकता है और बैंड बजाता भी। नेता के भेस अनंत हैं। कारनामे भी अनंत हैं। महिमा भी अनंत है। नेता रुपए को डॉलर में तब्दील कर सकता है और वोट को दारू की बोतल में। नेता बहुत बड़ा जादूगर है। वह पलक झपकते ही नोटों से भरे ब्रीफकेस गायब कर देता है। योजनाओं और परियोजनाओं का पैसा गायब कर देता है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट गायब कर देता है। नेता को कोई नहीं समझ सकता। उसकी वास्तविक पत्नी भी नहीं। नेता की अनेक मुद्राएं हैं, अनेक रूप हैं, अनेक चेहरे हैं, अनेक करैक्टर हैं। इसलिए साधो! जिससे भी मिलो झुक-झुक कर मिलो। हो सके तो उसके चरण भी छू लो। चरणों की धूल माथे पर लगा लो। ‘ना जानेे केहि भेस में कोई नेेता मिलि जाय और नेता मिलि जाए तो किस्मत संवर जाए!’

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


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