ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क पर्यटन के लिए नहीं हुआ विकसित

By: Feb 20th, 2024 12:16 am

वन क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावना ; विकास की घोषणाएं केवल भाषणों तक ही सीमित

नगर संवाददाता-सैंज
जिला का ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क विश्व धरोहर में शामिल होने के बावजूद पर्यटन कारोबार के लिए विकसित नहीं हो सका है। देशभर की विश्व धरोहरों ताजमहल, एलौरा, काजीरंगा नेशनल पार्क, मानस नेशनल पार्क, सुंदरबन, नंदा देवी, बायोस्फीयर रिजर्व, कियोलादियो नेशनल पार्क के बाद इस सूची में कुल्लू का ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क भी शुमार चुका है। पार्क क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन सरकार की उपेक्षा के चलते इस क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय विकसित नहीं हो सका है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का हिस्सा सैंज तथा है। हालांकि इस पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा अगस्त, में मिल चुका है। नौ साल बीत जाने के बाद भी यहां पर्यटन अथवा अन्य विकासात्मक गतिविधियां जस की तस बनी हुई हैं। विश्व धरोहर में शामिल होने पर प्रदेश सरकार ने भी यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।

यहां ग्रीष्मकालीन पर्यटन को बढ़ावा देकर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है, जिससे बेरोजगारी की समस्या को भी कम किया जा सकता है। घाटी में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र सैलानियों को आकर्षित कर सकता है भाटकंड़ा का मैदान ,ऊंची पहाड़ी के ऊपर विशालकाय भाटकंड़ा का मैदान सैलानियों को आकर्षित कर सकता है। इस मैदान पर सरकार मेहरवान हो जाए तो यह घाटी में पर्यटन के लिए मील का पत्थर बन सकता है। प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब घाटी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने की आवश्यकता है। क्षेत्र में अनेक धार्मिक स्थल जो धार्मिक पर्यटन के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज बन सकते हैं। शैंशर में मनु महाराज का भव्य मंदिर, रैला की प्राचीनकालीन धलियारा कोठी तथा देहुरी में दुर्गा माता का मंदिर पर्यटकों के पसंदीदा स्थल बन सकते है।

वहीं पर्यटन विभाग योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में नाकाम है, हालाकि पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए राजनेताओं द्वारा घोषणाओं की कमी नहीं रही है। तथा पर्यटन विभाग ने योजनाएं भी बनाईं लेकिन उन पर अमलीजामा पहनाने में नाकाम हो रहा है। ,अनेक पर्यटन स्थल सडक़ सुविधा से वंचित ,घाटी की प्राकृतिक सौंदर्य मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार मेहरबान हो तभी पर्यटन व्यवसाय को बल मिल सकता है। सैंज घाटी के दुर्गम तीन गांवों शाक्टी, मरोड़ व शुगाड़ा के 90 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र को सैंज वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी घोषित किया गया है। सडक़ बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज तक वंचित हैं। पार्क के 265 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ईको जोन बनाया गया है, जिसमें 2300 परिवारों के लगभग 16000 हजार लोग बसे हुए हैं। इसके साथ-साथ यहां अनेक पर्यटन स्थल क्षेत्र में वन संपदा का संवद्र्धन किया जा रहा प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाए हुए हैं।


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