महानंदा नवमी का महत्त्व

By: Feb 17th, 2024 12:25 am

मान्यता है कि महानंदा नवमी के दिन माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से जीवन में परेशानियों का अंत हो जाता है। महानंदा नवमी का व्रत रखने और पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन पूजा-पाठ, स्नान और दान का विशेष महत्त्व होता है…

नवरात्र की तरह माघ मास में पडऩे वाले गुप्त नवरात्रों का बड़ा महत्त्व है। गुप्त नवरात्र की नवमी को महानंदा नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 18 फरवरी को महानंदा नवमी का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि महानंदा नवमी के दिन माता लक्ष्मी और माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में परेशानियों का अंत हो जाता है। महानंदा नवमी का व्रत रखने और पूजा करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन पूजा-पाठ, स्नान और दान का विशेष महत्त्व होता है। पूजा के साथ-साथ इस व्रत के दिन श्री महानंदा नवमी कथा का पाठ भी करना चाहिए। मां लक्ष्मी को अक्षत, धूप, अगरबत्ती और भोग आदि अर्पित करें। रात्रि जागरण करने से भी देवी मां प्रसन्न होती हैं।

महानंदा नवमी व्रत कथा- पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले एक साहुकार की पुत्री पीपल की नियमित पूजा करती थी। पीपल के पेड़ पर माता लक्ष्मी का वास था। एक दिन माता लक्ष्मी ने साहुकार की बेटी को कहा कि मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। लडक़ी ने कहा कि मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगी। यह बात उसने अपने पिता को बताई तो पिता ने हां कर दी। दूसरे दिन माता लक्ष्मी की साहुकार की बेटी से मित्रता हो गई। एक दिन लक्ष्मी जी साहुकार की बेटी को अपने घर ले गई और उसकी खूब खातिरदारी की। साहुकार की बेटी लौटने लगी, तो लक्ष्मी जी ने उससे पूछा कि तुम मुझे अपने घर कब बुला रही हो। साहुकार की बेटी ने कुछ अनमने भाव से मां लक्ष्मी को अपने घर आने का न्योता दिया। साहुकार ने अपनी बेटी को उदास देखकर पूछा, तो उसने बताया कि मां लक्ष्मी की तुलना में हमारे घर कुछ नहीं है। हम उनकी खातिरदारी कैसे करेंगे। साहुकार ने समझाया कि जो हमारे पास है उसी से उनकी खातिरदारी करेंगे।

इसके बाद साहुकार की पुत्री ने चौकी लगाई और उस पर चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मी माता को स्मरण करते हुए बैठ गई। तभी आकाश में उड़ती एक चील ने बेटी के गले में नौलखा हार गिरा दिया। हार को बेचकर बेटी ने सोने की थाली, शाल दुशाला और कई व्यंजनों की तैयारी कर ली। मां लक्ष्मी गणेश भगवान के साथ साहुकार के घर पधारीं और सेवा से प्रसन्न होकर साहुकार और उसकी बेटी को हर प्रकार की समृद्धि प्रदान की। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो कोई श्रद्धा से महानंदा नवमी का व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे गरीबी से मुक्ति मिल जाती है।


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