केलांग गोची उत्सव की धूम, पुत्र प्राप्ति के लिए साधा निशाना

By: Feb 17th, 2024 1:20 am

लोगों ने अपने-अपने ईष्ट देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा-आभार जताया, आज भी निभाई जाती है सदियों पुरानी परंपरा, एक-एक बाण से लगाया जाता है निशाना
जिला संवाददाता-केलांग
शुक्रवार को केलांग गोची उत्सव को लेकर गाहरवासियों में खासा उत्साह देखने को मिला। गोची उत्सव के दौरान धनुष का एक-एक बाण तय करेगा कि आने वाले साल में गांव में कितने पुत्र जन्म लेंगे। गोची पुत्रोत्सव यानी अपने-अपने इष्ट देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा व आभार प्रकट करने का दिन है। जिनकी कृपा से पुत्रहीन दंपति धन्य हो जाते हैं। इस संबंध में एक दंतकथा प्रचलित है। क्षेत्र में कभी मानव बलि दी जाती थी। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में एक लामा भीख मांगते हुए केलांग किसी रोते हुए बृद्ध औरत के घर पहुंचा। लामा ने जब रोने का कारण पूछा तो बृद्ध औरत ने कहा कि उनका जवान बेटा अगले रोज यूलसा देवता को कुर्बान हो जाएगा। यह सुन कर बोद्ध भिक्षु अचंबित हो गया और कहा कि उन के बेटे की जगह वो कुर्बान हो जाएंगे। बलि से पूर्व लबदकपा ने लामा को शीत जल कुंड में 9 बार डुबकी लगाने को कहा। पवित्रीकरण प्रक्रिया में लामा पर ठंड का कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने अपने शरीर को मक्खन से मालिश कर रखा था।

तत्पश्चात लामे को तंग कोठरी में ले जाया गया, जहां उन्हें काठू का 9 प्याला शराब पीने को कहा गया। अंधेरे का फायदा उठा कर लामे ने शराब को बकरी के अमाशय के थैले में डाल दिया और खुद बेहोशी की मुद्रा बनाए चित हो गए। गांव वासियों ने लामा को मृत समझ कर कमरे में धूणी जला कर बंद कर दिया। अगले दिन गांववासी देखने के लिए पहुंचे कि यूलसा देवता ने बलि स्वीकार किया हीं नहीं तो लोग लामा को समाधि की मुद्रा में देख हत प्रद रह गए। तब लामा ने गांव वासियों को कहा कि यूलसा देवता ने उन्हें बाहों में उठाते हुए कहा कि वो गोची के रस्मो-रिवाज से अति प्रसन्न हैंओर आज के बाद वह मानव व पशु बलि की बजाए आटा द्वारा निर्मित आकृति से ही तस्सली करेंगे। तब से लेकर यह प्रथा आज तक बदस्तूर जारी है।


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