जीवन की दौड़

By: Feb 15th, 2024 12:06 am

उनकी क्लास के कुछ बच्चे स्कूल के बाद ट्यूशन पढऩे चले जाते हैं, कुछ बच्चे डे-केयर सेंटर में चले जाते हैं और स्कूल में जितना समय बिताते हैं, उतना अपने मां-बाप के साथ भी नहीं बिता पाते। वे अलग-अलग बच्चों का, उनके स्वभाव का, उनकी खूबियों का और उनकी समस्याओं का आकलन करती हैं। यही नहीं, पेरेंट-टीचर मीट के समय बच्चों के मां-बाप के साथ घुलमिल कर बच्चों के बारे में और जानकारी लेकर सभी बच्चों की जरूरतों के मुताबिक उन्हें हमेशा मार्गदर्शन देती हैं और प्रोत्साहित करती रहती हैं। यह एक ऐसा उदाहरण है जो हमें सिखाता है कि हम छोटे से छोटे काम को भी बड़ा और सार्थक बना सकते हैं। ऐसा करें तो जीवन की दौड़ सुखमय हो जाएगी और हम निश्चित ही जीवन का पूरा आनंद ले सकेंगे…

कभी ध्यान से सोचकर देखिए कि हमारा जीवन कैसा है। पैदा होना, स्कूल-कालेज जाना, जॉब में या बिजनेस में पड़ जाना, गृहस्थी जमाना, बच्चों की फिक्र करना, बूढ़े होना और… और मर जाना! पर, क्या यही जीवन है? क्या यही होना चाहिए हमारा जीवन? साठ की उम्र पार कर चुके किसी व्यक्ति से पूछिए कि उन्होंने जीवन में क्या किया तो वो कुछ मिनट बोल कर चुप हो जाएंगे, इससे ज्यादा कुछ बता नहीं पाएंगे। इतना अर्थहीन है हमारा जीवन! हम जीवन की दौड़ में उलझे हुए हैं। हर तरफ भागमभाग है, चिंता है, ईष्र्या है, क्रोध है, घृणा है, चुनौतियां हैं, समस्याएं हैं, अशांति है। सुख, चैन, शांति का अभाव है। अमीरी है, समृद्धि है, पैसा है, पर चैन नहीं है। कहीं न कहीं अधूरापन है, बेचैनी है और अशांति है। क्यों है ऐसा? अगर हम थोड़ा गहराई से देखें तो हमें एक ही व्यक्ति दुखी कर रहा है, और वो है हमारा पड़ोसी। हमारा वो पड़ोसी, वो दोस्त, वो जानकार, वो रिश्तेदार, या वो दुश्मन जो हमसे दो कदम आगे है, जिसका घर हमारे घर से बड़ा है, जिसकी गाड़ी हमारी गाड़ी से बड़ी है। हम उसके सुख से दुखी हैं। इस तुलना ने हमें दुखी कर रखा है। एक ज्यादा बड़ा घर या ज्यादा बड़ी गाड़ी लेने के लिए हम भागदौड़ में लगे हैं। खुद को दुखी किए जा रहे हैं, परेशान हुए जा रहे हैं। इस भागदौड़ में हम भूल गए हैं कि हमारे पास इतनी नेमतें हैं जिनका आनंद लें तो हमारा जीवन खुशियों से भर जाए।

हमारे पास जो नेमतें हैं इनको पहचानें तो जीवन में ठंडी बयार हो, सुगंध हो, शांति हो, प्यार हो, सुख हो, चैन हो। पर हम तो तैयार ही नहीं अपने मन की जलन छोडऩे को। हमारे दुख का, बेचैनी का, अशांति का कारण इतना-सा ही है। मेरे एक मित्र सवेरे-सवेरे जॉगिंग किया करते थे। वे एक ही रूट पर चलते थे हमेशा। सालों से वे उसी सडक़ पर 5 मील की दौड़ लगाते थे और फिर वापस आ जाते थे। एक दिन मैंने उनसे उसी सडक़ के किनारे की एक बिल्डिंग के बारे में कुछ जानना चाहा तो पता चला कि उन्हें ये ही नहीं पता था कि ऐसी कोई बिल्डिंग रास्ते में है। वो बिल्डिंग एक बड़ा सरकारी आफिस था। वो कई सालों से उस सडक़ पर जॉगिंग कर रहे थे, पर इतनी फुर्सत नहीं थी कि सडक़ के किनारे के भवनों की कोई जानकारी ले सकें, रास्ते में पडऩे वाले बाग-बगीचों का आनंद ले सकें। बस दौड़ते जाना है और दौड़ते ही वापस आ जाना है। जीवन एक अर्थहीन दौड़ बनकर रह गया है हमारा। मेरे एक अन्य मित्र हैं जिन्होंने शेयर मार्केट में पैसा लगा रखा है। उन्होंने लाखों रुपए का निवेश किया है शेयर मार्केट में। शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव में एक बार तो ऐसा वक्त भी आया जब मार्केट इतनी गिरी कि उनके शेयरों की मार्केट वैल्यू उनके असल निवेश से भी कम हो गई। यह एक संयोग ही था कि उसी दिन मेरी उनसे बात भी हुई तो उन्होंने जो बात कही वो एक बहुत बड़ा सबक है। उन्होंने कहा कि शेयर मार्केट में आज उन्हें तगड़ा घाटा हुआ है। यहां वही जीत सकता है जिसमें सब्र हो, और ये कितनी अच्छी बात है कि शेयर मार्केट हमें सब्र करना सिखाती है। कितनी गहरी बात है ये! जिस व्यक्ति ने अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा शेयर मार्केट में लगाया था, आज उन्हें बड़ा घाटा हुआ था और वो बड़े इत्मीनान से कह रहे थे कि शेयर मार्केट आदमी को सब्र करना सिखाता है। हम सब चाहते हैं कि हम सुखी रहें, खुश रहें और शांतिपूर्ण जीवन बिता सकें, लेकिन हम अक्सर सुख और खुशी के अंतर को भूल जाते हैं और इसी कारण से जीवन भर अशांत रहते हैं।

कोई व्यक्ति एक महल जैसे घर में एक बहुत नर्म मखमली बिस्तर पर आराम करते हुए भी दुखी हो सकता है और कोई दूसरा व्यक्ति किसी झोंपड़ी में बैठ कर भी आनंद के गीत गा रहा हो सकता है। पैसा सुख तो दे सकता है, लेकिन खुशी का स्रोत पैसा नहीं है। पैसा आने से मिलने वाली खुशी अस्थायी है, खुशी के लिए मन की शांति चाहिए, जीवन में संतोष चाहिए, अच्छे-मीठे रिश्ते चाहिएं और खुद पर ऐसा नियंत्रण चाहिए कि हम हर छोटी-बड़ी बात से उद्विग्न होना छोड़ दें। जीवन की बहुत सी जरूरतें पैसे से पूरी होती हैं, इसलिए यह कहना गलत होगा कि पैसा कमाना छोड़ दिया जाए। पैसा कमाने के लिए मेहनत करना, नए हुनर सीखना, अपनी काबलियत बढ़ाना, ताजा रुझानों की जानकारी रखना, नई सूचनाओं के प्रति जागरूक रहना जरूरी है। पैसा कमाना गलत नहीं है, पर पैसे को ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लेना गलत है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि हम सफल हों, पर सफलता के चक्कर में घुन बनकर पिस न जाएं। सफलता के चक्कर में सेहत न गंवा दें, सफलता के चक्कर में खुशियों से महरूम न हो जाएं, सफलता के कारण इतना अहंकारी या ईगोइस्टिक न हो जाएं कि हमारे रिश्ते ही खराब हो जाएं, और सफलता के कारण हमें इतना गुमान न हो जाए कि हम नियंत्रण से बाहर होकर अनाप-शनाप काम करने लग जाएं, अनैतिक काम करने लग जाएं, गैरकानूनी काम करने लग जाएं और कभी जेल जाने की नौबत आ जाए। मंत्र यही है कि जिंदगी की दौड़ सुख के लिए हो, पर खुशी को भूलकर नहीं। किसी व्यक्ति को अपनी किसी उपलब्धि के लिए अगर कोई सम्मान मिल जाए, पुरस्कार मिल जाए तो समाज में उनका रुतबा बढ़ जाता है। उनकी कही बात को लोग ज्यादा ध्यान से सुनने लगते हैं। मैंने जब गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया तो उद्देश्य यही था कि ज्ञान का जो दीपक मैंने जलाया है, उसका प्रकाश ज्यादा दूर तक फैले, ज्यादा लोगों का भला हो, ज्यादा लोगों का जीवन सुखी हो सके।

मुझे संतोष है कि एक स्पिरिचुअल हीलर के रूप में मैं बहुत से लोगों को मार्गदर्शन दे पा रहा हूं, बहुत से लोगों का जीवन संवार पा रहा हूं। दुनिया का कोई ऐसा काम नहीं है जिसे हम चाहें तो बड़ा न बना सकें। मेरे एक मित्र की धर्मपत्नी एक महंगे प्राइवेट स्कूल में अध्यापक हैं और छोटे बच्चों की क्लास लेती हैं। बच्चों के माता-पिता अमीर हैं, पर व्यस्त हैं। उनकी क्लास के कुछ बच्चे स्कूल के बाद ट्यूशन पढऩे चले जाते हैं, कुछ बच्चे डे-केयर सेंटर में चले जाते हैं और स्कूल में जितना समय बिताते हैं, उतना अपने मां-बाप के साथ भी नहीं बिता पाते। वे अलग-अलग बच्चों का, उनके स्वभाव का, उनकी खूबियों का और उनकी समस्याओं का आकलन करती हैं। यही नहीं, पेरेंट-टीचर मीट के समय बच्चों के मां-बाप के साथ घुलमिल कर बच्चों के बारे में और जानकारी लेकर सभी बच्चों की जरूरतों के मुताबिक उन्हें हमेशा मार्गदर्शन देती हैं और प्रोत्साहित करती रहती हैं। यह एक ऐसा उदाहरण है जो हमें सिखाता है कि हम छोटे से छोटे काम को भी बड़ा और सार्थक बना सकते हैं। ऐसा करें तो जीवन की दौड़ सुखमय हो जाएगी और हम निश्चित ही जीवन का पूरा आनंद ले सकेंगे।

पीके खु्रराना

हैपीनेस गुरु, गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता

ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com


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