फेफड़ों-डीएनए को नुकसान पहुंचा रहा चूल्हे का धुआं

By: Feb 20th, 2024 12:05 am

आईआईटी ने ग्रामीण रसोईघरों में ईंधन से खाना पकाने के तरीकों से होने वाले वायु प्रदूषण के प्रभावों पर किया अध्ययन

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — मंडी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने फ्र ांस के इंस्टीच्यूट नेशनल डी रेचेर्चे एट डी सेक्यूरिटे (आईएनआरएस) और भारत के राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला सीएसआईआर-एनपीएल के सहयोग से पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों के ग्रामीण रसोईघरों में पारंपरिक ईंधन के उपयोग से खाना पकाने के तरीकों से होने वाले वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर एक व्यापक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि इन तीन राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक की आबादी अभी भी पारपंरिक ईंधन का प्रयोग कर रही है, जिससे इन क्षेत्रों में लोगों के फेफड़ों और डीएनए पर दुष्प्रभाव पड़ा है। शोध में जलाऊ लकड़ी बायोमास ईंधन का उपयोग करने वाले रसोईघरों में हानिकारक एयरोसोल और रसायनों के संपर्क में आना एलपीजी का उपयोग करने वाले रसोईघरों की तुलना में 2 से 19 गुना अधिक मिला है। इसका मतलब है कि इन रसोईघरों में सांस लेने वाली हवा में कहीं ज्यादा हानिकारक पदार्थ मौजूद होते हैं। इन एयरोसोल में से 29 से 79 प्रतिशत तक सीधे हमारे श्वसन तंत्र में जमा हो जाते हैं, जिससे फेफ ड़ों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। जलाऊ लकड़ी और मिश्रित बायोमास ईंधन का उपयोग करने वाले लोगों में एलपीजी उपयोगकर्ताओं की तुलना में 2 से 57 गुना अधिक बीमारी का खतरा पाया गया।

इसका मतलब है कि पारंपरिक ईंधन का उपयोग करने वाले लोग सांस की बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ज्यादा ग्रस्त हो सकते हैं। अध्ययन ने एक और चिंताजनक पहलु सामने लाया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बायोमास ईंधन का उपयोग करने वाले रसोईघरों में रहने वाले लोगों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होने की संभावना एलपीजी उपयोगकर्ताओं की तुलना में 4.5 गुना अधिक थी। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमारी कोशिकाओं, प्रोटीनों और डीएनए को नुकसान पहुंचा सकती है। आईआईटी मंडी के एक शोध दल में पीएचडी शोधकर्ता विजय शर्मा और स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डा. सायंतन सरकार और उनके सहयोगियों ने तीन शोध पत्रों की एक शृंखला में जलाऊ लकड़ी और मिश्रित बायोमास का उपयोग करके इनडोर खाना पकाने के दौरान उत्पन्न होने वाले हानिकारक उत्सर्जनों की मात्रा और परिणामों का विश्लेषण किया है।


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