सुक्खू सरकार का बजट

By: Feb 19th, 2024 12:05 am

सुक्खू सरकार का बजट खुद से बात, खुद से मुलाकात और खुद से प्रण लेता हुआ सुर्खियां बटोर गया, भले ही हिमाचल के प्रश्र और प्रश्रों के आधार पर आर्थिक दिक्कतें परीक्षा ले रही हैं। प्रदेश जिसके कंधों पर 87 हजार करोड़ का ऋण हो तथा इसी साल राजकोषीय घाटा दस हजार करोड़ के पार हो, उसके बजट के सुखद पहलू लिखने कोई आसान नहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बजटीय प्रमाणिकता के साथ वादों और इरादों की झड़ी लगा रहे हैं, तो इसका व्यावहारिक पक्ष भी समझना होगा, फिर भी इसके गणित के बाहर ऐसा बहुत कुछ है, जिससे प्रदेश अपनी लोक कल्याणकारी नीतियों, विकास के दायित्व, किसानों-बागबानों के प्रति समर्पण, कर्मचारियों की अपेक्षाओं तथा जनप्रतिनिधियों की हसरतों को पूरा करता हुआ दिखाई दे रहा है। शहरी और ग्रामीण निकायों के चयनित जनप्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी करके मुख्यमंत्री राजनीतिक बिरादरी का मान-सम्मान बढ़ा रहे हैं। बजट के माध्यम से विधायक व ऐच्छिक निधि में हो रहा इजाफा जनप्रतिनिधियों को अपने दायित्व की संरचना में आत्मबल दे रहा है। इतना ही नहीं, नगर निगम क्षेत्रों में विधायक प्राथमिकताओं को अमल में लाने के लिए नई व्यवस्था के तहत फंड मुहैया हो रहा है। कहना न होगा कि सुक्खू का बजट आर्थिक दस्तकारी करते हुए राज्य के लिए आत्मनिर्भरता के लक्षण बटोर रहा है और इसी के अनुरूप विभिन्न क्षेत्रों की प्राथमिकताएं तय हो रही हैं। पर्यटन के जरिए राज्य की उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए सुक्खू सरकार तेरह करोड़ की लागत से नौ हेलिपोर्ट स्थापित करने के लिए अंतिम चरण में पहुंच रही है, तो इसी तरह कनेक्टिविटी के आधार को पुख्ता करती हुई प्राथमिकता गगल एयरपोर्ट विस्तार की हर मंजिल को दुरुस्त कर रही है। कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने के मकसद से एयरपोर्ट विस्तार की हर कड़ी पर सुक्खू सरकार बुलंदी से काम कर रही है और वचनबद्धता को दोहरा रही है।

कुफरी के नजदीक हासन घाटी में स्काई वॉक ब्रिज तथा ईको टूरिज्म के तहत 93 साइट्स को निजी सहयोग से शुरू करने की प्रक्रिया पर जोर दिया जा रहा है। पांच नए पर्यटक स्थलों की पहचान व इनके विकास को लेकर बजट ने जो छलांग लगाने की कोशिश की है, उसके परिणामस्वरूप हिमाचल का मानचित्र बदल सकता है। बजट प्राकृतिक खेती की ओर एक नया संकल्प लेते हुए 36 हजार किसानों के खेतों को बदलने का आश्वासन दे रहा है, तो किसानों को बाड़ लगाने की सबसिडी देने की घोषणा हो रही है। सुक्खू सरकार राज्य को ग्रीन बनाने की दिशा में इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े में वृद्धि करने जा रही है। ई-टैक्सी पर चालीस फीसदी सबसिडी के माध्यम से दस हजार परमिट दिए जाएंगे। बजट का लोक कल्याणकारी हिस्सा मुखातिब है और इस संदर्भ में 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों का मुफ्त इलाज, विधवाओं के नाबालिग बच्चों को हजार रुपए की आरडी तथा शादियों के लिए सरकारी डिपुओं से मिलेगा राशन।

सुक्खू सरकार कैंसर प्रतिष्ठान के रूप में हमीरपुर मेडिकल कालेज को सौ करोड़ का प्रावधान कर रही है, लेकिन इसी दृष्टि से केंद्रीय विश्वविद्यालय के जदरांगल परिसर का कोई उल्लेख न होना हैरान करता है। धर्मशाला में परिसर के पक्ष में जारी आंदोलन इतनी उम्मीद तो कर ही सकता है कि कुल 58444 करोड़ के बजट से केंद्रीय विश्वविद्यालय की जदरांगल में स्थापना को तीस करोड़ मिल ही जाएंगे। बजट शिक्षा, अधोसंरचना, स्वास्थ्य सेवाओं व जलशक्ति परियोजनाओं पर पूरी तरह मेहरबान है, तो सभी पंचायतों में आधुनिक पुस्तकालयों की दिशा में प्रयासरत है। हालांकि घाटे के लेखे-जोखे में राज्य का बजट कसीदागिरी कर रहा है, फिर भी देखना यह होगा कि आर्थिक विषमताओं और दबावों के बीच सुक्खू सरकार कितनी किफायत कर पाती है। फिलहाल बजट में सबसे अधिक लाभ सरकारी कर्मचारियों को ही नसीब हो रहे हैं।


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