खुशहाली क्या है…

By: Feb 24th, 2024 12:15 am

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

जब प्रसन्नता भीतर होती है तो उसे शांति, आनंद या खुशी कहते हैं। जब आपके चारों ओर का माहौल सुखद बन जाता है तो उसे सफलता का नाम दिया जाता है। अगर आपकी इनमें से किसी में भी रुचि नहीं है और आप स्वर्ग जाना चाहते हैं, तो आप क्या खोज रहे हैं? बस दूसरी दुनिया की सफलता! तो मुख्य रूप से सारे मानव अनुभव बदलते स्तरों की प्रसन्नता और अप्रसन्नता से आते हैं…

एक ही सवाल से शुरू करते हैं, हम खुशहाली किसे मानते हैं? बिलकुल सीधे तौर पर, खुशहाली बस अपने भीतर प्रसन्नता की एक गहरी भावना है। अगर आपका शरीर सुखद महसूस करता है तो हम उसे स्वास्थ्य कहते हैं। अगर वह बहुत सुखद बन जाता है तो हम उसे सुख कहते हैं। अगर आपका मन सुखद बनता है तो हम उसे शांति कहते हैं। अगर वह बहुत सुखद बन जाता है तो हम उसे खुशी कहते हैं। अगर आपकी भावना सुखद बनती है तो हम उसे प्रेम कहते हैं, अगर वह बहुत सुखद बन जाती है तो हम उसे करुणा कहते हैं। अगर आपकी जीवन ऊर्जाएं सुखद बनती हैं, तो हम उसे आनंद कहते हैं। अगर वे बहुत सुखद बन जाती हैं तो हम उसे परमानंद कहते हैं। आप पूरा बस यही खोज रहे हैं,भीतर और बाहर की प्रसन्नता। जब प्रसन्नता भीतर होती है तो उसे शांति, आनंद या खुशी कहते हैं।

जब आपके चारों ओर का माहौल सुखद बन जाता है, तो उसे सफलता का नाम दिया जाता है। अगर आपकी इनमें से किसी में भी रुचि नहीं है और आप स्वर्ग जाना चाहते हैं, तो आप क्या खोज रहे हैं? बस दूसरी दुनिया की सफलता! तो मुख्य रूप से सारे मानव अनुभव बदलते स्तरों की प्रसन्नता और अप्रसन्नता से आते हैं। लेकिन अपने जीवन में आप कितनी बार पूरे दिन भर आनंदमय रहे हैं, बिना एक पल की भी चिंता, बेचैनी, चिढ़ या तनाव के? कितनी बार आप चौबीस घंटे के लिए निरी प्रसन्नता और पूरे आनंद में रहे हैं? पिछली बार आपके साथ ऐसा कब हुआ था? हैरानी की बात यह है कि इस धरती पर ज्यादातर लोगों के लिए, एक दिन भी ठीक वैसा नहीं बीता है जैसा वे चाहते हैं! यकीनन ऐसा कोई भी नहीं है जिसने खुशी, शांति या आनंद अनुभव नहीं किया हो, लेकिन वह हमेशा अस्थाई होता है।

वे उसे कायम नहीं रख पाते। वे वहां पहुंच तो जाते हैं, लेकिन फिर गिरते रहते हंै। और उसके गिरने के लिए कोई भीषण चीज होने की जरूरत नहीं है। सबसे साधारण चीजें लोगों को संतुलन से बाहर फेंक देती हैं और बेतरतीब कर देती हैं। यह कुछ ऐसा है। आज आप बाहर जाते हैं और कोई आपसे कहता है कि आप दुनिया के सबसे सुंदर व्यक्ति हैं, आप सातवें आसमान पर तैरने लगते हैं। लेकिन जब आप घर लौटते हैं और घर के लोग आपको बताते हैं कि आप वाकई कौन हैं, हर चीज चकनाचूर हो जाती है! आपको अपने भीतर प्रसन्न रहने की जरूरत क्यों है? जब आप प्रसन्नता की एक आंतरिक अवस्था में होते हैं, तब आप स्वाभाविक रूप से अपने आसपास हर किसी के साथ और हर चीज के साथ मधुर होते हैं। दूसरों के साथ अच्छे होने का निर्देश देने के लिए किसी धर्मग्रंथ या दर्शन की जरूरत नहीं है। जब आप अपने भीतर अच्छा महसूस कर रहे हों, तो वह उसका स्वाभाविक परिणाम है। एक शांत समाज और एक आनंदमय दुनिया बनाने के लिए आंतरिक प्रसन्नता एक अचूक बीमा है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App