बड़ा भंगाल : चुनौतियां अपार, आकर्षण बरकरार

By: Mar 28th, 2024 12:05 am

हिमाचल सरकार गर्मियों के सीजन में यदि चार महीनों के लिए ही सही, ऑनलाइन बुकिंग द्वारा हेलीकाप्टर सेवा और बड़ा भंगाल में पर्यटकों के रहने-खाने की व्यवस्था एक पैकेज के तहत व्यवस्थित तरीके से करे, तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आना और ठहरना चाहेंगे, जिससे न केवल बड़ा भंगाल क्षेत्र में पर्यटक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, अपितु राज्य की आर्थिकी को भी मजबूती मिलेगी। क्षेत्र की समस्याओं का समाधान जल्द हो…

पहाड़ों की ऊंचाइयों को फतह कर चोटी पर पहुंचने की चाहत हमेशा से मनुष्य को कुछ अद्भुत कर गुजरने के लिए प्रोत्साहित करती रही है। इसलिए संसाधनों के अभाव के बावजूद विश्व के दुर्गम इलाकों तक भी मनुष्य ने अपने जोश और जुनून के चलते पहुंच बनाई है। चाहे वह एवरेस्ट पर्वत हो अथवा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की खोज, कुछ हटकर करने की चाहत के चलते ही हजारों लोगों ने अपने नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज करवाने में सफलताएं हासिल की हैं। आज भी भारत और हिमाचल सहित अनेक राज्यों में ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जहां पहुंचना अभी भी असंभव समझा जाता है। हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ही रमणीय अनछुआ और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बैजनाथ उपमंडल का बड़ा भंगाल क्षेत्र है जहां सडक़ सुविधा न होने के कारण पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं माना जाता है। हिमालय की धौलाधार श्रृंखला में समुद्र तल से 2550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बड़ा भंगाल एक सुंदर घाटी है।

यह घाटी विशाल पहाड़ों से घिरी हुई है और बर्फ से ढकी चोटियों, हरे-भरे घास के मैदानों और चमचमाती नदियों के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है। 169 घरों और 620 के लगभग आबादी वाले बड़ा भंगाल गांव में लोग लगभग 7 महीने ही रहते हैं और जब बर्फ पड़ती है तो अधिकांश लोग बीड़ बिल्लिंग में आ जाते हैं जहां उनके घर हैं अथवा वे किराए के घरों में रहते हैं। इसी प्रकार वहां का स्कूल और पढऩे वाले बच्चे भी बीड़ स्थित स्कूल में स्थानांतरित हो जाते हैं। यहां पहुंचने के लिए बेहद दुर्गम, ढांकयुक्त खतरनाक दर्रों और पहाड़ों से होकर पहुंचना होता है। ढांकें इतनी खतरनाक कि एक बार पैर फिसला तो फिर बचाने वाला कोई नहीं। रोजगार के नाम पर जंगल से लकडिय़ां चुनना, पशुपालन और भेड़-बकरियां पालना यहां के लोगों की मुख्य गतिविधियां हैं। दुर्गम इलाके में होने की वजह से और सडक़ मार्ग न होने के कारण इस गांव का भारत के शेष क्षेत्रों से संपर्क कटा रहता है। लोगों की आवाजाही बहुत कम है, सर्दियों में केवल बुजुर्ग लोग ही वहां घरों और पशुधन की देखभाल के लिए रह जाते हैं, जिनके समक्ष भयानक सर्दी जनित समस्याएं बरकरार रहती हैं। बड़ा भंगाल में एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी, पशु औषधालय, स्कूल, पीडब्ल्यूडी, आईपीएच और इलेक्ट्रिसिटी विभाग के कार्यालय तो हैं, लेकिन वहां कर्मचारियों की कमी खलती है। साईं फाउंडेशन ने वर्ष 2003-04 में 40 किलोवाट का एक हाइडल इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट बड़ा भंगाल में लगाया था, लेकिन बाद में रखरखाव के अभाव के कारण वह बंद पड़ा है।

बड़ा भंगाल के लोगों की 9 मांगें हैं जिनमें मुख्यत: सडक़ निर्माण, बिजली घर को ठीक करना, सामाजिक पेंशनधारकों को पेंशन राशि का समयबद्ध वितरण, जिनके बैंक अकाउंट बीड़ में हैं, लेकिन वह पिछले 4 सालों से अस्वस्थ होने की वजह से नहीं जा पा रहे हैं, को हेली सुविधा उपलब्ध करवाना शामिल हंै। बर्फ के दिनों में क्योंकि दो-ढाई सौ लोग ही गांव में रहते हैं, बीमार लोगों को मौके पर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे, इसके लिए हेली सर्विस की मांग भी प्रमुख है। बड़ा भंगाल गांव में जो हेलिपैड है, उसे मरम्मत की दरकार है ताकि हेलिकॉप्टर की सुरक्षित लैंडिंग हो सके। जब बात पहाड़ों पर चढऩे की और वादियों को निहारने की और ट्रैकिंग की आती है, तो शायद हिमाचल से बढिय़ा एडवेंचर डेस्टिनेशन कोई दूसरा नहीं हो सकता है। उसमें भी बड़ा भंगाल एक ऐसा क्षेत्र है जिसे अनछुआ और चुनौतीपूर्ण समझते हुए साहसिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले लोग ही वहां पहुंचना पसंद करते हैं। प्रतिवर्ष 200-300 ट्रैकर्स कुल्लू की काली हाण्णिए होली (चंबा) के रास्ते से और मुल्थान वाया थामसर जोत, बड़ा भंगाल पहुंचते हैं। एडवेंचर और ट्रैकिंग में रुचि रखने वाले लोग यहां आते रहते हैं जिनमें विदेशियों की काफी संख्या रहती है। अधिकांश टूरिस्ट और ट्रैकर्स अपने गाइड के साथ ही आते हैं। बड़ा भंगाल गांव की साक्षरता दर कम है। मनोरंजन के कोई साधन नहीं हैं। यहां के अधिसंख्य लोग ठाकुर राजपूत जातियों के हैं जिन्हें सरकार ने ओबीसी कैटेगरी में रखा है, लेकिन इनकी मांग है कि इन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए।

बड़ा भंगाल का इलाका वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के अंतर्गत आता है। इसलिए रास्तों एवं अन्य निर्माण कार्यों हेतु वन विभाग की स्वीकृति की आवश्यकता रहती है। इस प्रक्रिया को सरकार को आसान बनाना चाहिए। जिलाधीश कांगड़ा ने होली-चंबा के रास्ते जाने वाली पैदल पथ की मरम्मत के लिए 5 लाख और सोलर लाइट्स के लिए 10 लाख रुपए देने की घोषणा की थी। यह प्रसन्नता का विषय है कि इन्वर्टर और अन्य सामग्री घोड़े-खच्चरों द्वारा बड़ा भंगाल पहुंचाई जा चुकी है, जबकि हेलीकॉप्टर के माध्यम से सोलर पैनल भी पहुंचाए जा चुके हैं। हिम ऊर्जा विभाग (हिमाचल प्रदेश) द्वारा 61 लाख रुपए की लागत से 169 सोलर लाइट्स किट्स लगाई जा चुकी हैं। खुशी की बात है कि पिछली सर्दियों से पहले पहले बड़ा भंगाल के सभी 169 घरों में सोलर लाइट्स से घर रोशन हो चुके थे। सेक्रेटरी पीडब्ल्यूडी ने सडक़ निकालने और बंद पड़े सडक़ मार्ग के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के आदेश दिए हैं। हिमाचल सरकार गर्मियों के सीजन में यदि चार महीनों के लिए ही सही ऑनलाइन बुकिंग द्वारा हेलीकाप्टर सेवा और बड़ा भंगाल में पर्यटकों के रहने-खाने की व्यवस्था एक पैकेज के तहत व्यवस्थित तरीके से करे तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आना और ठहरना चाहेंगे, जिससे न केवल बड़ा भंगाल क्षेत्र में पर्यटक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, अपितु राज्य की आर्थिकी को भी मजबूती मिलेगी। इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से होना चाहिए।

अनुज आचार्य

स्वतंत्र लेखक


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