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भाजपा को छह, कांग्रेस को तीन बार जीत, इस विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की आहट से सरगर्मियां तेज

By: Mar 22nd, 2024 12:11 am

जतिंद्र कंवर-ऊना

कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा चुनौती बना रहा है। 1967 से लेकर 2022 तक इस विधानसभा क्षेत्र में 13 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी केवल मात्र तीन दफा ही जीत पाई है। लगातर छह विधानसभा चुनावोंं में भाजपा प्रत्याशी ने यहां पर जीत दर्ज की है। जनता दल ने दो बार,जनता पार्टी ने एक बार तथा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की है। प्रदेश में लोकसभा के आम चुनावों के साथ-साथ ऊना जिला के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की आहट से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बदली परिस्थितियों में कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में क्या नए राजनीतिक समीकरण उभर कर सामने आते हैं, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। कांग्रेस पार्टी की जीत का परचम लहराने वाले कांग्रेस के विधायक देवेंद्र भुटटो अब पाला पलट चुके हैं। देवेंद्र भुटटो फिलहाल अभी पांच अन्य कांग्रेस के बागी विधायकों के साथ भाजपा आलाकमान के संपर्क में हैं।

पार्टी सूत्रों की माने तो देवेंद्र भुटटो भी अन्य बागी विधायकों के साथ जल्द भाजपा ज्वाइन कर सकते हंै। देवेंद्र भुटटों को भाजपा में शामिल करने को लेकर कोई भी निर्णय भाजपा आलाकमान अपने स्तर पर ही करेगी तथा इसको लेकर भाजपा के स्थानीय संगठन को भी विश्वास में नहीं लिया जा रहा है। 1972 में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करने वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री सरला शर्मा भी पिछले चार दशकों में इस क्षेत्र का विस में प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र महिला नेत्री रही हैं। 1977 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में एक मत से पिछड़ कर सत्ता की दौड़ से बाहर हुए ठाकुर रंजीत सिंह 1967,1982 व 1990 तीन बार यहां से विधायक रहे हैं। ठाकुर रंजीत सिंह जनता दल के प्रत्याशी के रूप में दो बार तथा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत चुके है। पूर्व विस उपाध्यक्ष रामनाथ शर्मा ने दो बार 1977 व 1985 में इस विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जबकि पूर्व विस उपाध्यक्ष रामदास मलांगढ़ 1993 व 1998 में क्षेत्र से विधायक रहे। वहीं अब भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए देवेंद्र भुटटों का पार्टी में प्रवेश सहज नही लग रहा है। भाजपा आलाकमान किस प्रकार व किन शर्तों पर देवेंद्र भुटटों को पार्टी में लेती है,इसको लेकर भी सबकी निगाहे टिकी है।

-एचडीएम

मतदाताओं की संख्या

कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में 118 पोलिंग बूथ है,जबकि पांच जनवरी,2024 तक अपडेटड सूची के अनुसार मतदाताओं की कुल संख्या 86934 है।

खींचतान शुरू

कांग्रेस पार्टी में देवेंद्र भुटटो के भाजपा में जाने की संभावनाओं के साथ ही नेतृत्व को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। यहां से प्रदेश कांग्रेस सचिव व 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके विवेक शर्मा विक्कु एक बार फिर से पार्टी टिकट के प्रबल दावेदार बनकर उभरे हैं। विवेक शर्मा कुटलैहड़ ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा यहां से कांग्रेस नेता देसराज मोदगिल,कर्नल धमेंद्र पटियाल,देसराज गौतम भी टिकट के प्रबल दावेदारों में से है।

वीरेंद्र कंवर-देवेंद्र भुट्टों के बीच हुई थी टक्कर

देवेंद्र भुटटो की भाजपा में एंट्री को लेकर स्थानीय भाजपा संगठन सहज नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर इस सीट से लगातार पांच बार चुनाव लड़ चुके हंै,जिसमें चार बार वह विजयी रहे हंै। 2022 में उन्हें कांग्रेस के ही देवेंद्र भुटटों से 7579 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, विधानसभा चुनावों में कांगे्रस प्रत्याशी रहे देवेंद्र भुटटो ने अपने प्रचार अभियान के दौरान वीरेंद्र कंवर,उनके परिवार व समर्थकों को निशाने पर लेते हुए कई गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे। देवेंद्र भुटटो करीब दो दशक तक भाजपा के भी सदस्य रहे तथा एक समय वह वीरेंद्र कंवर के खास सिपहसिलार के रूप में क्षेत्र में चर्चित थे। हालांकि बाद में दोनो में मतभेद बढ़ गए तथा देवेंद्र भुटटो ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

असमंजस में कार्यकर्ता, कौन होगा नेता

पवन कुमार शर्मा-धर्मशाला

देशभर में लोकसभा व विधानसभा के चुनावों ने सियासी पारा चढ़ा दिया है, लेकिन हिमाचल में स्थिति अलहदा है। ऐसा नहीं है कि हिमाचल में चुनावों को लेकर कोई उत्साह नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस एक ऐसेे मोड़ पर आ गए हैं कि दोनों दलों को एक-एक कदम फंूक-फंूक कर रखना पड़ा रहा है। ऐसे में दोनों ही दलों के कार्यकर्ता असमंजस में हैं कि आखिर उनका अगला नेता कौन होगा। कई टिकट के चाहवान इस बात को लेकर परेशान हैं कि यदि दूसरी पार्टी से आने वाले नेता को अधिमान मिलेगा तो उनका भविष्य क्या होगा।

इसी उधेड़वुन ने भाजपा व कांग्रेस के वर्कर की धुकधुकी बढ़ा रखी है। पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग ने हिमाचल की सियासत में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस नेताओं की बगावत को कांग्रेस सहन नहीं कर पाई और विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। इसके बाद इन सभी की भाजपा में शामिल होने की खबरें दावानल की तरह फैल गई। इसी के चलते भाजपा की टिकटों में भी देरी हो रही है। एचडीएम

टिकटार्थियों की सूची लंबी

पिछले कुछ दिनों से बने इस सियासी माहौल के बीच अब टिकटार्थियों की सूची लंबी होती जा रही है और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की परेशानी बढ़ रही है। आम जनता भी हर दिन कई तरह के कयास लगा रही है। लोग इस बात को लेकर भी असमंजस में हैं कि हाजिरी लगाएं तो कहां, टिकट किसे मिलेगा। चौपालों पर सभी अपने-अपने जमा गुणा कर कभी किसी को प्रत्याशी बना देते हैं तो कभी किसी को टिकट देकर जीता देते हैं।

अटकलों पर विराम

खासकर मौजूदा समय में सबसे रोचक परिस्थितियां कांगड़ा-चंबा लोकसभा संसदीय क्षेत्र में देखने को मिल रही है। सुधीर शर्मा के भाजपा में शामिल होने व भाजपा की टिकट पर चुनाव लडऩे की अटकलों ने भी भाजपा कैंडीडेट की तलाश में विराम लगा दिया है। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से चुनावों का ऐलान कर दिया है, लेकिन जब तक पार्टी उम्मीदवार का चेहरा सामने नहीं आता, तब तक सियासी माहौल फीका ही रहने वाला है।


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