डेरा बाबा बड़भाग सिंह

By: Mar 23rd, 2024 12:27 am

बाबा बड़भाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की। कहते हैं कि ऐसी प्रेत आत्माओं ने बाबा जी को खूब तंग किया, लेकिन वह अपने प्रयास में कामयाब न हो सकीं…

धार्मिक स्थल बाबा बड़भाग सिंह में हर वर्ष होली मेले बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश जहां प्राकृतिक सौंदर्य के चलते विश्व विख्यात है, तो वहीं विभिन्न धार्मिक स्थानों के कारण भी। प्रदेश में स्थित विभिन्न पवित्र धार्मिक स्थानों में से एक है जिला ऊना के उपमंडल अंब में बाबा बड़भाग सिंह जी का पवित्र स्थान मैड़ी। उपमंडल अंब मुख्यालय से लगभग 10 किमी. की दूरी पर जंगल के मध्य स्थित मैड़ी एक अत्यंत सुंदर, शांत व रमणीय स्थान है। इस पवित्र स्थान के बारे में कई किंवदंतियां व कथाएं प्रचलित हैं, जिसमें एक कथा के अनुसार लगभग 300 वर्ष पूर्व पंजाब के कस्बा करतारपुर से बाबा राम सिंह के सुपुत्र बड़भाग सिंह अहमदशाह अब्दाली के हमले से तंग आकर शिवालिक पहाडिय़ों की ओर चल पड़े। जब वह नैहरी गांव के साथ लगते क्षेत्र दर्शनी खड्ड के समीप पहुंचे, तो उनका सामना अफगानी सैनिकों के साथ हुआ। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने ओजस्वी तेज से अफगानी फौज को वहां से खदेड़ दिया। कहते हैं कि उस समय मैड़ी एक निर्जन स्थान था और दूर-दूर तक कोई बस्ती नहीं थी। यह भी कहा जाता है कि इस क्षेत्र में यदि कोई गलती से प्रवेश कर जाता था, तो उसे भूत प्रेत आत्माएं या तो बीमार कर देती थीं या फिर पागल कर देती थीं। बाबा बड़भाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की। कहते हैं कि ऐसी प्रेत आत्माओं ने बाबा जी को खूब तंग किया, लेकिन वह अपने प्रयास में कामयाब न हो सकीं।

एक अन्य मान्यता के अनुसार वर्ष 1761 में पंजाब का कस्बा करतारपुर जो जिला जालंधर में पड़ता है, सिख गुरु अर्जुन देव जी के वंशज बाबा राम सिंह सोढ़ी और उनकी धर्मपत्नी माता राजकौर के घर में बड़भाग सिंह का जन्म हुआ था। उन दिनों अफगानों के साथ सिख जत्थेदारों की खूनी भिडं़तें होती रहती थीं। बाबा बड़भाग सिंह बाल्याकाल से ही अध्यात्म को समर्पित होकर पीडि़त मानवता की सेवा को अपना लक्ष्य मानने लगे थे। कहते हैं कि वह एक दिन घूमते हुए मैड़ी गांव स्थित दर्शनी खड्ड जिसे अब चरण गंगा के नाम से भी जाना जाता है, पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैड़ी स्थित एक बेरी के वृक्ष के नीचे ध्यानमग्र हो गए। कहते हैं कि यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था।

नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बावजूद बाबा बड़भाग सिंह जी ने इस जगह पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों का आमना-सामना हुआ, तो बाबा बड़भाग सिंह ने दिव्य शक्ति से नाहर सिंह को काबू करके बेरी के वृक्ष के नीचे एक पिंजरे में कैद कर लिया। कहते हैं कि बाबा बड़भाग सिंह ने उसे इस शर्त पर आजाद किया कि वीर नाहर सिंह अब इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिकंजे में जकड़े लोगों को स्वस्थ करेंगे और साथ ही नि:संतान लोगों को फलने का आशीर्वाद भी देंगे। बेरी का पेड़ आज भी यहां मौजूद है और डेरा बाबा बड़भाग सिंह नामक धार्मिक स्थल के साथ सटा है। प्रतिवर्ष इस डेरा में लाखों श्रद्धालु आकर बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धार्मिक स्थल मैड़ी में लगने वाला दस दिवसीय होली मेला भी बुरी आत्माओं से छुटकारा दिलाने वाला मेला माना जाता है। इस बार होली मेला 28 मार्च तक चलेगा। मेले के दौरान 25 मार्च को झंडे की रस्म अदा की जाएगी, वहीं 27 मार्च की मध्यरात्रि को पंजा साहिब का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा।


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