पंजाबी-संस्कृति के विकास को नवाचार की जरूरत

By: Mar 28th, 2024 12:04 am

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में मंथन, सभ्यताओं के इतिहास पर भी की चर्चा

निजी संवाददाता—अमृतसर

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पंजाबी स्टडीज द्वारा बुधवार को कुलपति प्रोफेसर जसपाल सिंह संधू के मार्गदर्शन में सरदारनी बलबीर कौर बराड़ मेमोरियल व्याख्यान पंजाबी भाषा, साहित्य और संस्कृति के अध्ययन, अनुसंधान और शिक्षण में नवाचार 2024 आवश्यकता विषय पर आयोजित किया गया था। इस स्मारक भाषण की अध्यक्षता बिक्रमजीत सिंह बाजवा ने की और डा. रवि रविंदर ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। विभागाध्यक्ष डा. मनजिंदर सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि पंजाबी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास को सुनिश्चित करने के लिए नवाचार प्राथमिक आवश्यकता है। इससे उपरोक्त क्षेत्रों को विश्वस्तरीय प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। इन क्षेत्रों में नवाचार के लिए बहु-दिशात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। भाषण के मुख्य वक्ता डा. रवि रवींद्र ने अपने विषय पर बोलते हुए नवप्रवर्तन की अवधारणा को परिभाषित किया।

वे मौलिकता, कल्पनाशीलता, प्रतिबद्धता, व्यावहारिकता और योजना को नवप्रवर्तन के प्रमुख तत्व मानते थे। उन्होंने सभ्यताओं के इतिहास, सूफी और गुरमत दर्शन का संदर्भ प्रस्तुत कर नवप्रवर्तन के तत्वों पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार भाषा, साहित्य, संस्कृति, अनुसंधान और शिक्षण के क्षेत्र में नवाचार के लिए जागरूकता, अंतर्संबंध और समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। अपने अध्यक्षीय भाषण में डा. बिक्रमजीत सिंह बाजवा ने कहा कि आज का भाषण अभिनव, सार्थक और मूल्यवान था, इससे विद्यार्थियों में नई चेतना पैदा होगी। उनके मुताबिक आज के दौर में हर क्षेत्र के विकास के लिए इनोवेशन बेहद जरूरी है। उन्होंने विज्ञान और भाषा के क्षेत्र में नवाचार के पहलुओं पर प्रकाश डाला। डा. सरदारनी बलबीर कौर बराड़ के बारे में जानकारी देते हुए बलजीत कौर रियाड़ ने कहा कि उनके परिवार की दूरदर्शिता और योगदान के कारण आज यह बहुमूल्य चर्चा संभव हो पाई है।


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