रंगमंच के लिए नई पौध तैयार कर रहे इंद्रपाल

By: Mar 22nd, 2024 12:53 am

मंडी के युवा के तराशे सैकड़ों कलाकार मुंबई-दिल्ली और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में हैं कार्यरत

स्टाफ रिपोर्टर- मंडी
हिमाचल प्रदेश में रंगकर्मी इंद्रपाल पिछले कई वर्षों से रंगमंच के लिए नई पौध तैयार करने में लगे हैं। इंद्रपाल पिछले कई वर्षों से स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों और अन्य इच्छुक युवाओं को नाटक सिखा रहे हैं। बता दें कि इंद्रपाल छोटी काशी मंडी के रहने वाले हैं। रोजगार के अभाव में उन्होंने रंगमंच को चुना। राजनीतिक शास्त्र में स्नातक और डिप्लोमा इन कामनवेल्थ यूथ होने के बाद भी उन्हें बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ा। उन्होंने हार न मानते हुए रंगमंच को करियर के रूप में चुना। वर्ष 1993 में नव ज्योति कला मंच के गठन के बाद उन्होंने रंगमंच के लिए नए कलाकारों को तैयार कर उन्हें मंच प्रदान किया। उसके बाद उन्होंने हिमाचल के बाहर भी कॉलेजों और स्कूलों में जाकर बच्चों को रंगमंच के गुर सिखाए। इंद्रपाल इंदु ना केवल हिमाचल में बल्कि हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, मद्रास, भोपाल जैसे अन्य राज्यों में जाकर बच्चों को नाटक सिखा चुके हैं। वहीं उनके द्वारा निर्देशित नाटक राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत चुके हैं। इंद्रपाल हर वर्ष निशुल्क नाट्य कार्यशालाएं लगाकर कहानियों का निर्देशन कर युवाओं को रंगमंच के गुर सिखाते हैं।

इंद्रपाल के निर्देशित नाटक देश भर में पहचान बनाए हुए हैं। उनके द्वारा कहानी बाणमूठ, मुट्ठी भर धूल, लौहला, धर्मवीर भारती, एक टुकड़ा, माधवी, महामृत्युजंय सहित अनेक कहानियों का निर्देशन एवं मंचन कर चुके हैं। वहीं लौहला के लिए उन्हें पुरस्कृृ त भी किया जा चुका है। रंगमंच में बेहतर कार्यों के लिए उन्हें प्रदेश सरकार ने अनेक पुरस्कारों से नवाजा है। आज भी इंद्रपाल रंगमंच से जुड़ कर नए कलाकारों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहें हैं। स्कूल, कालेजों के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाता है। इंद्रपाल ने अब तक सैकड़ों कलाकार तैयार किए हैं। इनमें अधिकांश मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्यरत हैं। इंद्रपाल का कहना है कि जिंदगी के दिखाए नाटक उन्हें इस ओर ले गए और उन्होंने अपना सारा जीवन रंगमंच को दे दिया। उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में थियेटर को प्रसिद्घि दिलवाना उनका प्रयास रहेगा क्योंकि हिमाचल में रंगमंच को बहुत कम महत्व दिया जाता है। वहीं हिमाचल से बाहर रंगमंच को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।


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