अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला : मंडी

By: Mar 2nd, 2024 12:23 am

पूरे देश में शिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन हिमाचल जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, यहां के हर त्योहार की अपनी एक खास विशेषता और महत्ता है। इसलिए हिमाचल में चाहे कोई भी त्योहार हो या फिर मेले, हर उत्सव की अपनी ही धूम होती है। वैसे ही शिवरात्रि का त्योहार हिमाचल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासकर हिमाचल के अंतरराष्ट्रीय मंडी उत्सव की तो बात ही निराली है। उत्तर-पश्चिमी भारत में भगवान शिव की पौराणिक गाथाएं गहरी जडं़े जमाए हुए हैं। इसलिए मंदिरों में भी शिव पूजन को बहुत महत्त्व दिया जाता है। ग्रामीण लोगों के लिए यह सबसे बड़ा त्योहार होता है इसलिए सब खुलकर खर्च करते हैं।

यह त्योहार लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं। यूं तो पूरा वर्ष इस त्योहार के लिए लोग बचत करते हैं, परंतु त्योहार से एक मास पूर्व वास्ताविक तैयारी प्रारंभ होती है। देव परंपरा के संरक्षण व धार्मिक अनुष्ठानों में मंडी नगर का विशेष ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पुरातात्विक महत्त्व रहा है, जिससे यह नगर छोटी काशी के नाम से विख्यात है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जहां शिवरात्रि अत्यंत श्रद्धा से मनाई जाती है, वहीं मंडी के मेले को अंतरराष्ट्रीय मेले के रूप में मनाया जाता है। यह धार्मिक उत्सव मंडी नगर में बड़े उत्साह से सैकड़ों वर्षों से मनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इस बार भी कई देवी-देवता शिरकत करेंगे। गांव में न केवल उत्सव को लेकर देवलुओं में उत्साह है, बल्कि देवताओं में भी सुंदर दिखने की होड़ लगी रहती है। देवताओं के शृंगार का काम देवताओं के खास कारीगर और देवलू करते हैं। खास बात यह है कि केवल शिवरात्रि के लिए ही कुछ देवता खास तौर पर शृंगार करते हैं, जबकि वर्ष भर ये देवता स्वर्ण आभूषणों व नगों को नहीं पहनते हैं।

इसकी खास वजह यह है कि देवता शिवरात्रि जलेब में शामिल होने आते हैं, जिसे शिव की बारात कहा जाता है। मंडी में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि इस बार शिवरात्रि 8 मार्च को मनाई जा रही है, लेकिन 9 से 15 मार्च तक मनाए जाने वाले इस शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत 9 मार्च से हो रही है। हिमाचल के हृदय स्थल में स्थित मंडी नगर का शिवरात्रि महापर्व विश्व विख्यात है। इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का दर्जा प्राप्त है। इस बार यह शिवरात्रि महोत्सव का विधिवत आगाज 9 मार्च से होने जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले की पहली जलेब 9 मार्च को निकाली जाएगी। मध्य जलेब 12 को तथा तीसरी व अंतिम जलेब 15 मार्च को निकलेगी।

इनमें आकर्षक झांकियां भी शामिल की जाएंगी। वहीं 9 से 14 मार्च तक 6 सांस्क्तिक संध्याओं का आयोजन होगा। शिवरात्रि मेले के दौरान जनपद के देवी देवता राज देवता माधोराय के दरबार में हाजरी लगाते हैं। यह परंपरा भी सूरज सेन के जमाने से ही चली आ रही है, जबकि शिवरात्रि का शुभारंभ बाबा भूतनाथ और माधोराय के मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ होता है। इसमें सबसे पहले बड़ा देव कमरूनाग व अन्य चुनिदा देवी देवता मंडी नगर में पहुंचते है। इसके पश्चात ही शिवरात्रि के कार्य शुरू होते हैं। शिवरात्रि महोत्सव में 300 से अधिक देवी-देवता पहुंचते हैं। जिनमें से 216 पंजीकृत देवी देवताओं को बकायदा प्रशासन निमंत्रण देकर बुलाता है। यह देवी देवता प्रशासन व लोगों के मेहमान होते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंडी महाशिवरात्रि महोत्सव के मेलों का शुभारंभ राजदेवता माधोराय की शाही जलेब से होता है। जलेब यानी शोभायात्रा, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री शिरकत करते हैं। माधवराय के दरबार में पूजा-अर्चना करने के बाद जलेब रवाना होती है, जिसमें सबसे पहले रसाले पुलिस के घुड़ सवार, होमगार्ड जवान ध्वज सहित, होमगार्ड बैंड, पुलिस की टुकड़ी, देवताओं के ध्वज, देवताओं के बीस रथ वाद्ययंत्रों सहित शामिल होते हैं। राज माधवराय के बजंतरी, ध्वज माधवराय की चांदी की कुर्सी, श्री माधवराय की चांदी की छडिय़ां, चांदी सूरज पंखे, छतर और राज देवता माधवराय की पालकी, जिसमें भीमा सुनार द्वारा बनाई गई माधवराय की चांदी की मूर्ति विराजमान रहती है। इस जलेब को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ती है। तीन दिन बाद शिवरात्रि महोत्सव की मध्य जलेब निकली है और फिर समापन सातवें दिन अंतिम जलेब निकलती है, जिसके बाद देवी-देवता अपने धाम व मंदिरों को रवाना हो जाते हैं। इससे पहले देवी देवता चौहटा परिसर में विराजमान होते हैं और लोगों को आशीर्वाद देते हैं। यहां हजारों की संख्या में लोग देवी-देवताओं को नमन करने के लिए आते हैं। इस दौरान यहां की संस्कृति की झलक देखने लायक होती है।


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