दिसंबर तक ‘मेड-इन-इंडिया’ चिप, आईटी मिनिस्टर बोले, इलेक्ट्रॉनिक्स का हब बना भारत
दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली
भारत की पहली मेड-इन-इंडिया चिप दिसंबर, 2024 तक बनकर मार्केट में आ जाएगी। इस बात की जानकारी आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने एक टीवी इवेंट में दी। वैष्णव ने कहा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का हब बन गया है। यहां से अभी एक बिलियन डालर (करीब 8,294 करोड़) का टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट का एक्सपोर्ट हो रहा है। इससे पहले उन्होंने कहा था, अगले पांच साल यानी 2029 तक भारत दुनिया के टॉप-5 चिप ईकोसिस्टम का हिस्सा होगा। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘इंडियाज टेकेड: चिप्स फॉर विकसित भारत’ कार्यक्रम में लगभग 1.26 लाख करोड़ रुपए के तीन सेमीकंडक्टर फैसिलिटीज की नींव रखी। इस मौके पर मोदी ने कहा कि इससे भारत को सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल हब बनने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, आज हम इतिहास भी लिख रहे हैं और उज्ज्वल भविष्य की ओर मजबूत कदम भी उठा रहे हैं। 21वीं सदी तकनीक आधारित सदी है, जिसकी कल्पना चिप्स के बिना नहीं की जा सकती।
तीनों फैसिलिटीज की मैन्युफैक्चरिंग का काम 100 दिनों के अंदर शुरू होगा। इससे पहले यूनियन कैबिनेट ने 29 फरवरी को चिप प्लांट के तीन प्रोपोजल को मंजूरी दी थी। इन तीनों प्लांट को डिवेलपमेंट ऑफ सेमीकंडक्टर्स, एंड डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम इन इंडिया के तहत मंजूरी दी गई। टाटा ग्रुप ज्वाइंट वेंचर में दो प्लांट एक गुजरात और एक असम में लगाएगी। वहीं, एक प्लांट गुजरात में सीजी पावर भी जॉइंट वेंचर में बनाएगी। वैष्णव ने बताया कि टाटा का जॉइंट वेंचर देश का पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट बनाएगा। धोलेरा में माइक्रोन के सेमीकंडक्टर प्लांट के बाद यहां फैब्रिकेशन प्लांट बनेगा। अमरीकी चिप कंपनी माइक्रोन धोलेरा में 22,516 करोड़ रुपए की लागत से चिप एसेंबली प्लांट बना रही है।
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