नेता जी की कोठी में मदनोत्सव

By: Mar 23rd, 2024 12:05 am

वैसे तो नेता जी की कोठी में उत्सव होना कोई नई बात नहीं है। इधर चुनावों का बिगुल बजता है, उधर नेता जी के घर उत्सव शुरू हो जाता है। दारू की पेटियां पहुंचने लगती हैं। शौकीनों की बहार आ जाती है। दो घूंट अंदर जाते ही ‘जिंदाबाद-जिंदाबाद’ के नारों से पूरी कोठी गुंजायमान हो जाती है। नेताजी के चुनाव जीतने के बाद तो उत्सव लगातार कई दिन चलता है। पूरी कोठी रंगीन लाइटों से जगमग करने लगती है। बधाई देने के लिए जब थोड़ा रुतबे वाले लोग आते हैं तो जाहिर है कि दारू के ब्रांड भी सुपीरियर हो जाते हैं। अब सडक़ छाप समर्थकों की बजाय धन्ना सेठों और ब्यूरोक्रेट्स की गाडिय़ां नेताजी की कोठी की शोभा बढ़ाने लगती हैं। नेताजी जब अपने राजयोग को और मजबूत करने के लिए मंगल, केतु, राहु और शनि जैसे ग्रहों को साध लेते हैं और बिल्ली के भाग्य से छींका फूटने की तजऱ् पर जब उन्हें झंडी वाली गाड़ी मिल जाती है तो फिर उत्सवों का सिलसिला स्थायी रूप धारण कर लेता है। उनके घर जाती रोड वीआईपी रोड में तब्दील हो जाती है। पायलट गाड़ी नेताजी के आगे पीछे लग जाती है। उनकी पांचों उंगलियां घी में और सिर कड़ाही में हो जाता है।

यानी उत्सवों का नशा सिर चढक़र बोलने लगता है। नेताजी का रोम-रोम उत्सवमय हो जाता है। उत्सवों की अंतहीन श्रृंखला में पहली मर्तबा नेताजी की कोठी पर मदनोत्सव का आयोजन हुआ। अफसर और अफसरनियां तो गुलाल लेकर आए ही, नेताजी की कई चेलियां भी वहां खिलखिलाती हुई नमूदार हो गईं। उनके चेहरे रंग से इतने पुते हुए थे कि यह पता लगाना मुश्किल था कि उनमें शीला कौन है, लीला कौन है और बसंती कौन…! नेताजी एक संत की तरह विनम्रता की प्रतिमूर्ति बने अपने चेहरे पर रंग लगवाए जा रहे थे और बीच-बीच में किसी-किसी से कनखियों में बतियाये भी जा रहे थे। उनके चेहरे की रंगत और आंखों का नूर देखते ही बनता था। वे अच्छे खासे सिद्ध पुरुष मालूम पड़ रहे थे। मदनोत्सव के लिए नेता जी ने क्या क्या प्लानिंग कर रखी है, यह जानने की उत्सुकता खाकसर के भीतर कुलांचे भर रही थी। जेहन में लगातार नए नए आइडिया दस्तक दे रहे थे। एक आइडिया ने दिमाग में ऐसी सरगोशी की कि खाकसार भी पैंट, कोट, हैट और काला चश्मा लगाकर किसी सुपर हीरो की तरह मस्ती से डग भरते और सिक्योरिटी गार्डों का सलाम कबूलते हुए भीतर पहुंचने में कामयाब हो गया। फिर किसी मंझे हुए एंकर की तरह अपने मोबाइल से नेताजी की कोठी में चल रहे मदनोत्सव का नजारा लाइव दिखाना शुरू कर दिया। अब लोग लाइव देख रहे हैं…और क्या देख रहे हैं कि… नेताजी को रंग लगाने दूसरे दलों के नेता भी आए हैं। जिनके खिलाफ नेताजी आए रोज बयानों के गोले छोड़ते हैं, वे भी नेताजी की बगल में विराजमान हैं।

एक-दूसरे को कोहनियां मार रहे हैं। एक दूसरे के कान में फुसफुसा रहे हैं। स्माइल पर स्माइल दे रहे हैं। ऐसे लग रहा है जैसे दोनों विरोधी नहीं बल्कि एक ही थैली के चट्टे बट्टे हों। राजनीति में पार्टनर हों। एक दूसरे के कारनामों के राजदार हों। लोग लाइव देख रहे हैं… कि नेताजी भीतर से पुरानी ढोलकी उठा लाए हैं और ढोलकी पर थाप देते हुए नृत्य की मुद्रा में आ गए हैं। उनके समर्थक ‘जय हो’ का नारा लगा रहे हैं और नेताजी ठुमक ठुमक कर होली के रंग हवा में बिखेर रहे हैं। उनकी भाव भंगिमाएं सभी को चकित कर रही हैं। नेताजी लीडर होने के साथ-साथ अच्छे खासे नर्तक भी हैं, ऐसा दृश्य पहली बार लोग देख रहे हैं। लोग तालियां बजा रहे हैं। एक अति उत्साही समर्थक ने डीजे बजाना भी शुरू कर दिया है। मदनोत्सव अपने शबाब पर है। खाकसार ने भी लाइव कवरेज बीच में छोडक़र नेताजी की एक चेली के साथ नाचना शुरू कर दिया है…। नेताजी की कोठी की होली ब्रज की होली में तब्दील होने लगी है। गोपियां पूरी मस्ती में हैं। नेताजी परिदृश्य से ओझल हो रहे हैं और खाकसार गोपियों से घिरते जा रहे हैं…।

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App