मंडी की सुमन बनीं बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर, 56 मर्दों के बीच अकेली महिला रही ट्रेनिंग में सबसे आगे

By: Mar 4th, 2024 12:08 am

इंदौर में कठिन प्रशिक्षण के बाद मिली सफलता, 56 मर्दों के बीच अकेली महिला रही ट्रेनिंग में सबसे आगे

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — मंडी

सामान्य कद-काठी, मर्दों की तरह शारीरिक बनावट और ताकत न सही, लेकिन उसके अंदर जज्बा था। अपने कठिन परिश्रम, जोश, जुनून और जज्बे की वजह से जब स्नाइपर कोर्स के आठ सप्ताह पूरे हुए तो 56 मर्दों के उस बैच की अकेली लडक़ी सबसे आगे खड़ी थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर की और यह एतिहासिक उपलब्धि हासिल की है हिमाचल के मंडी जिला की सुमन कुमारी ने। सुमन हिमाचल के मंडी जिले की एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हैं। उनके पिता एक इलेक्ट्रीशियन और मां गृहिणी हैं। इस साधारण शुरुआत से लेकर बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर प्रशिक्षक बनने तक की उनकी जर्नी एक इन्सिपिरेशन है। सुमन जब इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स में आठ सप्ताह के कोर्स में शामिल होने के लिए गई थीं, तब वह 56 मर्दों के बीच अकेली लडक़ी थी। जब कोर्स के आठ सप्ताह पूरे हुए तो 56 मर्दों के उस बैच में वह सबसे आगे खड़ी थी। सुमन कुमारी ने कठोर स्नाइपर कोर्स में ट्रेनर ग्रेड हासिल किया। इसी के साथ वह बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर बन गईं। उन्होंने इस क्षेत्र में माइलस्टोन स्थापित कर दिया है। उनकी उपलब्धि सेना और युद्ध भूमिकाओं में सेवा करने की इच्छुक युवा लड़कियों और महिलाओं के लिए आशा और प्रेरणा का काम करेगी। सुमन फिलहाल बीएसएफ की पंजाब यूनिट में उपनिरीक्षक के पद पर तैनात हैं।

गौरतलब है कि 2021 में बीएसएफ में शामिल होने वाली सुमन कुमारी शुरुआत में पंजाब में एक प्लाटून की कमान संभाल रही थीं। सीमा पार से स्नाइपर हमलों के खतरे को देखकर उनके अंदर इसका जवाब देने की इच्छा हुई। स्नाइपर कोर्स के लिए उन्होंने अपने सीनियर्स से बात की। उनके सीनियर्स ने इस जुनून को पहचाना और उन्हें इस कोर्स में शामिल होने की मंजूरी दे दी। 56 मर्दों के बीच, सुमन इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स के आठ सप्ताह के कोर्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए सबसे आगे रहीं। उनकी उपलब्धि न केवल उनके करियर में बल्कि बीएसएफ के इतिहास में भी एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। सीएसडब्ल्यूटी आईजी भास्कर सिंह रावत ने बताया कि वह 56 पुरुषों के बीच अकेली महिला थीं और उन्होंने हर एक्टिविटी में अद्भुत प्रदर्शन किया। हम उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए अधिक महिलाएं इस कोर्स को अपनाएंगी। असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षुओं को अल्फा और ब्रावो ग्रेडिंग मिलती है, लेकिन ट्रेनर ग्रेड के लिए एक अलग स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है, जिसे सुमन ने हासिल किया है। उन्होंने कहा कि वह बीएसएफ में पहली महिला स्नाइपर हैं और आगे आने वाली अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनेंगी। कमांडो ट्रेनिंग के बाद यह कोर्स सबसे कठिन कोर्स में से एक होता है।

कई किलोमीटर दूर से सटीक निशाना

भारत की सेनाओं और स्पेशल फोर्सेस में स्नाइपर्स की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। बॉर्डर पर चल रहे युद्ध, सर्जिकल स्ट्राइक, शहर में होस्टेज सिचुएशन या फिर जंगल वॉरफेयर हो, हर जगह स्नाइपर कई किलोमीटर दूर से ही निशाना साधकर गोली को दुश्मनों के आरपार उतारने का काम करता है। ये स्नाइपर बेहद ही टफ ट्रेनिंग के बाद निर्धारित दूरी से एसएसजी समेत अन्य बंदूकों से सटीक निशाना लगाने में सक्षम होते हैं। इतना ही नहीं इन्हें दुर्गम से दुर्गम परिस्थितियों में अपनी पहचान छुपाकर कार्रवाई करने की स्पेशल ट्रेंनिंग देकर तैयार किया जाता है। ये तीन किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी से दुश्मन पर अचूक निशाना लगा सकने में सक्षम होते हैं।


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