प्राकृतिक जल स्रोत बचाने की जरूरत, नागेश गुलेरिया ने दिए जल, जंगल और जमीन बचाने के मंत्र

By: Mar 15th, 2024 12:06 am

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

आज प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के लिए काम करने की आवश्यकता है। विश्व के ऐसे 20 देश हैं, जहां जलवायु परिवर्तन की वजह से अस्तित्व का संकट आ सकता है। पिछले साल की बरसात में हिमाचल और उत्तराखंड में जो आपदा आई, जो जलवायु परिवर्तन का ही उदाहरण है। ये शब्द अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यशाला में जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया कहे। उन्होंने इस दौरान जल, जंगल और जमीन बचाने के मंत्र दिए। शिमला में गुरुवार को जलवायु परिवर्तन के लिए सतत् जलागम प्रबंधन पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नागेश कुमार गुलेरिया मुख्य वक्ता के रूप पर शिरकत की।

नागेश कुमार गुलेरिया ने जलवायु परिवर्तन के लिए पांच मुख्य चुनौतियों के बारे अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रजातियों का समाप्त होना, भू-जल में लगातार गिरावट, पिघलते गलेशियर, तापमान में वृद्धि व लोगों का भविष्य असुरक्षित होना बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के बारे हर व्यक्ति जानता है, लेकिन उसे बचाए रखने के लिए सामुदायिक और आम नागरिकों को क्या कुछ करने की जरूरत है इसके बारे किसी को भी आभास नहीं हैं।

जलवायु से न्याय होगा तो टलेगा संकट

जाइका वानिकी परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि हमें विकास कार्यों के साथ-साथ जल, जंगल व जमीन को बचाए रखने को योजना तैयार करना होगा, तभी जलवायु व आम आदमी की जिंदगी सुरक्षित रहेगी। उन्होंने कहा कि आज से 40 साल पहले हम प्राकृतिक जल का प्रयोग करते थे, लेकिन आज परिस्थिति विपरीत हो चुकी है। यदि जलवायु के साथ न्याय होगा तभी आम लोगों की जिंदगी से संकट टल सकता है।


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