भाजपा-कांग्रेस से दो-दो हाथ करेंगे विस्थापित

By: Mar 22nd, 2024 12:54 am

हरी-भरी जमीनों के बदले रेतीली भूमि देकर विस्थापितों के हितों से कुठाराघात कर रही केंद्र-प्रदेश सरकार

निजी संवाददाता- जवाली
जिला कांगड़ा के अधीन हल्दून घाटी के करीब 21 हजार परिवारों ने अपनी उपजाऊ जमीन व घरों का पौंग बांध निर्माण के लिए हंसते-हंसते बलिदान दे दिया लेकिन विस्थापित हुए परिवारों को आजतक जमीनें नहीं मिल पाई हैं। मात्र 2538 परिवारों को ही आजतक समझौते अनुसार श्रीगंगानगर में जमीन मिल पाई है, जबकि अन्य आज भी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। आजतक विस्थापित अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं तथा केंद्र व प्रदेश की सरकारें विस्थापितों को हरी-भरी जमीनों के बदले पाकिस्तान बॉर्डर के साथ लगती रेतीली जमीनें देकर विस्थापितों के हितों से कुठाराघात कर रही हैं। विस्थापितों को ऐसी जगह जमीन दी जा रही हैं जहां न तो सडक़ है और न ही बिजली-पानी की कोई सुविधा है। विस्थापितों के लिए 2.20 लाख एकड़ जमीन भी उपलब्ध थी, लेकिन उस जमीन पर विस्थापितों को नहीं बसाया गया। वहां पर आज भी बाहुबली कब्जा करके बैठे हैं जिनको राजस्थान सरकार हर मूलभूत सुविधा मुहैया करवा रही है। हाई पावर कमेटी भी इस जमीन को दिलवाने में नाकाम रही है। मौजूदा समय में विस्थापितों की संख्या दो लाख से भी ज्यादा पहुंच चुकी है तथा इस बार विस्थापित लोस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। विस्थापितों ने चेताया है कि हमें दूरदराज रेतीली जमीन स्वीकार नहीं है तथा अगर सरकार ने विस्थापितों के प्रति रवैया न बदला, तो लोस चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।

विस्थापितों की समय-समय पर उठाई आवाज
कांगड़ा-चंबा के सांसद किशन कपूर ने कहा कि मैंने विस्थापितों की आवाज को उठाया है। इस मसले को सुलझाने व समाधान के निर्देश भी दिए हैं। विस्थापितों को उनको हक मिलना चाहिए।

राजस्थान सरकार भेजी हैं 15663 फाइलें
राहत एवं पुनर्वास कार्यालय राजा का तालाब के उपायुक्त संजय धीमान ने कहा कि भू-आबंटन की 15663 फाइलें राजस्थान सरकार को भेजी जा चुकी हैं। मुआवजा का मामला सरकार के ध्यान में लाया जाएगा।

बार-बार विस्थापितों को विस्थापित करने पर तुली सरकार

अधिकतर लोग विस्थापित होने के बाद जहां पर भी खाली जमीन मिली, वहां पर जाकर बस गए। अब विस्थापितों पर वन विभाग का डंडा चलता है तथा उनके कब्जों को अवैध कब्जा करार देकर छुड़वाया जाता है। प्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी और डा. राजन सुशांत वन मंत्री थे, तो उन्होंने विस्थापितों के कब्जों को नियमित करने का वादा करके मिसल बनवाई, लेकिन अब उन मिसाल के आधार पर ही वन विभाग कार्रवाई करता है। आखिरकार पौंग बांध विस्थापितों का क्या कसूर है क्यों विस्थापितों के साथ सरकारें अन्याय कर रही हैं।

इस बार पौंग बांध विस्थापित चुनाव में लेंगे बदला
पौंग बांध विस्थापित समिति के प्रदेशाध्यक्ष हंसराज चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व केंद्र की सरकारें रेतीली जमीन देकर विस्थापितों से अन्याय कर रही हैं तथा इस बार इसका बदला चुनाव में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आजतक कोई भी सरकार विस्थापितों को उनका हक दिलवाने में आगे नहीं आई है। अब जैसलमेर में भूमि आबंटित करने का निर्णय भी विस्थापित समिति की सहमति बिना ही लिया गया है, जो कि हमें मान्य नहीं है।


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