जीवन को समझिए

By: Mar 7th, 2024 12:06 am

स्पिरिचुअल हीलिंग कोई जादू-टोना नहीं है, कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक प्रभावी टूल है जो हमारे दिल, दिमाग और आत्मा से कूड़ा चुनकर उसे निर्मल बना देती है। स्पिरिचुअल हीलिंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि स्पिरिचुअल हीलर को आपकी उंगली भी छूने की आवश्यकता नहीं है और यह ऑनलाइन भी हो सकती है। मैं मीडिया घरानों का शुक्रगुजार हूं कि उनकी सीख के कारण परमात्मा ने मुझ पर कृपा की और स्पिरिचुअल हीलर बनकर समाज सेवा करने के काबिल हो सका। जीवन की यह समझ मुझे ‘दिव्य हिमाचल’ सरीखे मीडिया घरानों ने दी है…

मैं एक संन्यासी हूं, पर मैं एक गृहस्थ भी हूं, मैं सिर्फ वानप्रस्थ आश्रम में ही नहीं हूं बल्कि एक गृहस्थ संन्यासी हूं। मैंने बीस साल मीडिया घरानों में गुजारे और उसके बाद के बीस साल जनसंपर्क में रहा। एक राष्ट्रीय जनसंपर्क कंपनी के चेयरमैन के रूप में भी मीडिया घरानों, संपादकों और पत्रकारों से जुड़े रहना मेरे पेशे का हिस्सा था। मैंने गिनीज विश्व रिकॉर्ड एक लेखक के रूप में बनाया, और अब भी मैं एक कॉलमिस्ट के रूप में मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। मीडिया घरानों से जुड़े रहने का जिक्र मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि इस पेशे ने मेरे जीवन को संवारा है। मीडिया से मेरे संबंधों ने पहले मुझे हैपीनेस गुरू के रूप में तराशा और फिर एक आध्यात्मिक सिद्धगुरू बनने के यात्रापथ पर आगे बढ़ाया। मीडिया घरानों से मुझे जो सीख मिली उसने मुझे जीवन को समझने की कूवत दी। इसके अलावा, जीवन में सफलता, खुशी और खुशहाली का संदेश मैं मीडिया के माध्यम से जल्दी और ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकता हूं, यही कारण है कि स्पिरिचुअल हीलर और सिद्धगुरू हो जाने के बाद भी मैं मीडिया से अपना साथ लगातार बनाए हुए हूं। आइए, अब समझने की कोशिश करते हैं कि मीडिया से मुझे क्या सीख मिली और उसने मेरा जीवन कैसे संवारा। अखबार में काम करने वाले दो समूहों का बड़ा महत्व है।

पहला समूह है पत्रकारों का, जो समाज के बीच रहकर खबरें टटोलते हैं और नए-नए खुलासे करते रहते हैं। खबर ढूंढना, खबर के महत्व को समझना और उसकी रिपोर्ट बनाकर सौंपना पत्रकारों की महारत है। मीडिया घरानों का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है संपादकीय विभाग। संपादकीय विभाग के विभिन्न स्तरों के संपादकगण अपने पास आई खबरों को पढक़र, उनमें आवश्यक काट-छांट करके, उन्हें सजा-संवारकर पाठकों अथवा दर्शकों को पेश करते हैं। पत्रकार लोग खोजी किस्म के होते हैं। छुपी घटनाओं को ढूंढ निकालना और उसे जनता के सामने पेश करना उनकी खूबी है। संपादकगण उस सूचना को तराशने का काम करते हैं। उसे काट-छांटकर और पालिश लगाकर इस काबिल बनाते हैं कि खबर में कही गई पूरी बात आसानी से सबकी समझ में आ जाए। पत्रकार खबर को विस्तार देता है और संपादक उसमें काट-छांट करता है। यह काट-छांट ही जीवन का असली सबक है। खबर में से वो हर हिस्सा निकाल देना जो अनावश्यक है, जो खबर को बोझिल बनाता है या जो खबर में कोई नई वैल्यू नहीं जोड़ता, उस सबको निकाल देना, संपादक का काम है। जैसे पत्थर में काट-छांट करके एक सुंदर मूर्ति बनती है, वैसे ही पत्रकार द्वारा दी गई खबर के अनावश्यक हिस्सों को हटाकर संपादकगण खबर को समझ में आने वाला बना देते हैं। यह घटाना इतना महत्वपूर्ण है कि यह खबर में वैल्यू जोड़ देता है। मैं दोहरा कर कहना चाहूंगा कि यह घटाना इतना महत्वपूर्ण है कि यह खबर में वैल्यू जोड़ देता है, और मीडिया घरानों में रहकर मैंने जीवन का यही सबसे महत्वपूर्ण सबक सीखा है। हमें जीवन में कई तरह के ऑफर आते हैं, कई तरह के अवसर मिलते हैं, कई तरह की इच्छाएं जोर मारती हैं, और हमें उनमें से अपने लिए सर्वश्रेष्ठ को चुनना होता है। जब हम किसी एक बात को चुनते हैं, उसके लिए ‘हां’ बोलते हैं तो इसका सीधा-सीधा मतलब है कि हमने बाकी सारे विकल्पों को ‘न’ बोलकर इस एक विकल्प को, इस एक काम को, इस एक प्रोजेक्ट को, इस एक अवसर को, इस एक चीज को ‘हां’ बोला है। यही एडिटिंग है। सही बात को चुनना, और बाकी सब को इन्कार कर देना। सही बात को सहेजना और बाकी सब को काट देना। इससे फोकस बनता है, इससे सफलता बनती है, इससे खुशहाली बनती है, इससे खुशी आती है, स्थायी खुशी आती है।

उदाहरण के लिए विराट कोहली प्रसिद्ध भी हैं, सफल भी हैं, सेलेब्रिटी भी हैं, और अमीर भी हैं। दूसरी तरफ, शाहरुख खान भी प्रसिद्ध भी हैं, सफल भी हैं, सेलेब्रिटी भी हैं, और अमीर भी हैं। इसी तरह शशि थरूर भी प्रसिद्ध भी हैं, सफल भी हैं, सेलेब्रिटी भी हैं, और अमीर भी हैं। इन तीनों में ये सारी समानताएं हैं, लेकिन एक बड़ा फर्क भी है। विराट कोहली क्रिकेटर हैं, शाहरुख खान एक्टर हैं और शशि थरूर राजनीतिज्ञ हैं। तीनों का पेशा अलग है, फोकस अलग है, तीनों ने अपनी काबिलीयत और रुचि के अनुसार अपनी मनपसंद का एक करिअर चुना तो बाकी सारे विकल्पों को ‘न’ कह दी। हमारा फोकस हमारी सफलता की पहली सीढ़ी है। सफल होने और सफल बने रहने के लिए जीवन में भी ऐसी ही काट-छांट की जरूरत होती है। जब हम समाधान का हिस्सा बनने को ‘हां’ बोलकर, लोगों की कमियां ढूंढने, शिकायतें करने, ईष्र्या करने, पीठ पीछे चुगली करने को ‘न’ बोलते हैं तो हम वास्तव में समस्याओं को ‘न’ बोलते हैं और जीवन खुशहाल होना शुरू हो जाता है। लोग हमें पसंद करना शुरू कर देते हैं, लोग हम पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं, लोग हमारी सिफारिश करना शुरू कर देते हैं, हमें रिकमेंड करना शुरू कर देते हैं और हमारे वो काम जो कभी हमें बहुत कठिन लगते थे, कदरन आसान हो जाते हैं। मैंने शुरू में कहा कि मैं एक गृहस्थ हूं, पर एक संन्यासी भी हूं तो संन्यास को ‘हां’ कहने के लिए मुझे लालच को ‘न’ बोलना पड़ा, क्रोध को ‘न’ बोलना पड़ा, झूठ को ‘न’ बोलना पड़ा। गृहस्थ संन्यासी, सहज संन्यास की परंपरा है। सहज संन्यास में जाने के लिए कपड़े नहीं रंगवाने पड़ते, सिर नहीं मुंडाना पड़ता, जटा-जूट नहीं बनानी पड़ती, घर-परिवार-दुनिया नहीं छोडऩी पड़ती। सहज संन्यास, दुनिया में रहकर दुनियावी जिम्मेदारियां निभाते हुए अपने आसपास के लोगों को जागृत करने, उनमें खुशियां बांटने, और उन्हें खुशियां बांटने के काबिल बनाने का नाम है। मैं एक सहज संन्यासी हूं।

यह मेरी खुशकिस्मती है कि परमात्मा ने मुझे स्पिरिचुअल हीलर बनाकर समाज की सेवा का औजार बनाया, समाज सेवा का साधन बनाया, समाज सेवा का टूल बनाया। मैं अपने संपर्क में आने वाले लोगों को स्पिरिचुअल हीलिंग के माध्यम से समाधि की अवस्था में ले जाकर उनकी समस्याओं का हल करने, उन्हें जागृत करने और जीवन में सफलता के साथ-साथ खुशियां बरकरार रखना सिखाता हूं। सहज संन्यास की परिकल्पना है कि स्वर्ग कोई ऐसी जगह नहीं है जहां हम ‘जाएं’, बल्कि स्वर्ग तो हमारे भीतर ही है, हमें बस इसका दरवाजा खोलना है। स्पिरिचुअल हीलिंग खुशियों भरे इस स्वर्ग का दरवाजा खोल देती है। स्पिरिचुअल हीलिंग कोई जादू-टोना नहीं है, कोई अंधविश्वास नहीं है, बल्कि एक प्रभावी टूल है जो हमारे दिल, दिमाग और आत्मा से कूड़ा चुनकर उसे निर्मल बना देती है। स्पिरिचुअल हीलिंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि स्पिरिचुअल हीलर को आपकी उंगली भी छूने की आवश्यकता नहीं है और यह ऑनलाइन भी हो सकती है। मैं मीडिया घरानों का शुक्रगुजार हूं कि उनकी सीख के कारण परमात्मा ने मुझ पर कृपा की और स्पिरिचुअल हीलर बनकर समाज सेवा करने के काबिल हो सका। जीवन की यह समझ मुझे ‘दिव्य हिमाचल’ सरीखे मीडिया घरानों ने दी है। ‘दिव्य हिमाचल’ का शुक्रिया, परमात्मा का शुक्रिया!

पीके खु्रराना

हैपीनेस गुरु, गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता

ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App