सेहत को समझिए साहब…

By: Mar 21st, 2024 12:06 am

हम मानें या न मानें, हमें मालूम हो या न हो, पर हम किसी न किसी चिंता से, परेशानी से, दुख से, पछतावे से, नफरत से, गिले वाले विचार से घिरे ही रहते हैं। ये विचार ही हमारी मानसिक व्याधियों का कारण बनते हैं जो बाद में शारीरिक बीमारी के रूप में बदल जाते हैं और जीवन दूभर बना देते हैं। स्पिरिचुअल हीलिंग इनकी रोकथाम का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक अनुभवी स्पिरिचुअल हीलर जीवन में इतनी उमंग भर सकता है और हमें मानसिक रूप से इतना मजबूत बना सकता है कि शेष जीवन में हमें इसकी जरूरत बार-बार नहीं पड़ती और जीवन खुशहाल बना रहता है। जरूरत है तो बस इतनी कि हम अपने इस प्राचीन ज्ञान को समझें और जीवन में उतारें…

हम सब जानते हैं कि हम प्रचार के युग में जी रहे हैं, मार्केटिंग के युग में जी रहे हैं। दरअसल, हम झूठे प्रचार के युग में जी रहे हैं। हम शोरगुल भरे मनोरंजन के युग में जी रहे हैं और एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां सुविधा को खुशी मान लिया गया है। इससे हमारा जीवन दूषित हो गया है और हमारा स्वास्थ्य इस हद तक खतरे में है कि पैदा होने वाले हर नए बच्चे में से 90 प्रतिशत बच्चे पैदाइशी बीमार होते हैं। यह इतना खतरनाक सच है कि हमें इसकी गंभीरता को समझना ही होगा वरना आज हम युवाओं के देश के रूप में जाने जाते हैं, तो आने वाले दस वर्षों के बाद हम बीमार युवाओं के देश के रूप में पहचाने जाएंगे। आज भी, जी हां, आज भी 90 प्रतिशत वयस्क, प्रौढ़ और बुजुर्ग किसी न किसी रोग से ग्रस्त हैं और या तो लगातार दवाई ले रहे हैं या उन्हें पता ही नहीं है कि उनके शरीर में कोई रोग चुपचाप बढ़ता जा रहा है। पैकेज्ड फूड में सुविधा तो है ही, इसके एक खास हिस्से को ‘हैल्दी फूड’, यानी सेहतमंद भोजन के रूप में पेश किया जा रहा है और शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा इसकी लपेट में है। यह भोजन, भोजन नहीं है, जहर है, इसे स्वास्थ्यकर कहना तो अपराध ही है। आधुनिक जीवन का शैदाई उच्च वर्ग और शहरी युवा, आउटिंग के नाम पर, या स्वाद और बदलाव के नाम पर अक्सर होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं। होटल व्यवसाय में कमरों के किराए से उतनी आमदनी नहीं होती जितनी कि होटल में ठहरने वालों को भोजन खिलाकर होती है।

होटल या रेस्टोरेंट में जो खाना आपको सर्व होता है, उसमें साफ-सफाई का तो ध्यान रखा जाता है, लेकिन वह स्वास्थ्यकर है या नहीं, इससे होटल वालों को कोई मतलब नहीं है। सलाद को भूनकर, पकाकर या फ्राई करके सर्व करने का रिवाज पिछले कुछ सालों में ही शुरू हुआ है, यह बिल्कुल भी स्वास्थ्यकर नहीं है। इसी तरह ‘हनी चिली कौलिफ्लावर’ या ‘हनी पटैटो’ जैसे स्नैक जिनमें शहद है और उन्हें किसी भी रूप में पकाया गया है, वो स्वादिष्ट तो हैं, पर स्वास्थ्यकर नहीं हैं। भोजन में एक साथ रोटी और चावल दोनों खाना स्वास्थ्यकर नहीं है। खुद ही सोचिए कि कौनसा होटल-रेस्टोरेंट वाला आपको ये बताएगा? बुरी बात यह है कि खुद शैफ भी इस सच से वाकिफ नहीं हैं। इससे भी ज्यादा दुख की बात और क्या होगी कि होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स के अध्यापक तक यह समझने की कोशिश नहीं करते कि भोजन में किस-किस खाद्य पदार्थ को एक साथ खाना हानिकारक हो सकता है। अज्ञान की पराकाष्ठा इस हद तक है कि हम खाना खाते नहीं हैं, निगलते हैं। नियम यह है कि हर कौर को इतना चबाया जाए कि वह पानी सरीखा हो जाए। अक्सर हम इस भुलावे में रहते हैं कि हमने चबा लिया, लेकिन कभी आप बारीकी से देखेंगे तो पाएंगे कि लगभग दस सैकेंड तक चबाने के बाद हम चपाती का कौर निगल लेते हैं, जबकि एक कौर को पूरा चबाने के लिए 35 से 45 सैकेंड का समय आवश्यक होता है। चावल को तो हम अक्सर 5-6 सैकेंड में ही निगल लेते हैं। भोजन पूरा न चबाया जाए तो वह पचता नहीं है और उसका बहुत सा हिस्सा हमारे शरीर में ही रह जाता है जो सड़ता रहता है और कई बीमारियों का कारण बनता है।

अक्सर हमें मालूम ही नहीं होता कि अपनी लापरवाही के कारण हम अपने शरीर को कूड़ाघर बना रहे हैं। ऐसे माता-पिता के बच्चे जन्म से ही किसी न किसी बीमारी के बीज लेकर पैदा होते हैं। सेहत को लेकर हम एक और भुलावे में हैं कि अगर हम स्वास्थ्यकर भोजन खाएं और नियमित व्यायाम करें, तो हमारी सेहत ठीक रहेगी। अच्छी सेहत के लिए स्वास्थ्यकर भोजन और नियमित व्यायाम तो आवश्यक है ही, लेकिन इतना ही काफी नहीं है। अच्छी नींद, अच्छे रिश्ते और अच्छी सोच भी सेहत को प्रभावित करते हैं। नींद पूरी न हो पाए तो धीरे-धीरे हम ऊर्जा खोते चले जाते हैं। हमारे आपसी रिश्तों में कड़वाहट हो या जीवन में अच्छे दोस्त न हों, तो हम खुश नहीं रह सकते। रिश्तों की कमजोरी हमारी खिसियाहट का कारण बनती है जो अंतत: सेहत के लिए नुकसानदायक है। सबसे बढक़र हमारी सोच हमें प्रभावित करती है। हमारा हर विचार एक नई किस्म की वाइब्रेशन पैदा करता है, जो हमारे दिल और दिमाग को प्रभावित करता है। हमें मालूम भी नहीं होता कि हमारे दिलो-दिमाग में भरी हुई शिकायतें, नफरत, गुस्सा, गिला, पछतावा जैसी भावनाएं हमारे अवचेतन मन में गहरे पैठ गई हैं तो वो किसी न किसी शारीरिक रोग के रूप में उभर कर आएंगी। चिकित्सा विज्ञान की शोध यह कहती है कि हमारी अधिकांश शारीरिक बीमारियों का कारण हमारी मानसिक व्याधियां हैं, लेकिन अपनी अज्ञानता के कारण हम इन भावनाओं के नुकसान को नहीं समझते और लापरवाही का जीवन जीते हैं जो आखिरकार किसी गंभीर बीमारी का कारण बन जाता है। थोड़ा सा भी बुखार हो तो हम दवाई खा लेते हैं। साधारण बुखार कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि शरीर में गंदगी जमा है, सड़ रही है, उसे बाहर निकालने की जरूरत है, लेकिन हम दवाई लेकर संदेश को दबा देते हैं, बुखार दब जाता है, लेकिन गंदगी अंदर ही रहने के कारण बीमारी चुपचाप बढ़ती रहती है। शूगर, बीपी जैसी बीमारियों में हम अपने लाइफस्टाइल को सुधारने के बजाय रोज एक गोली खाना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि हर दवाई का कोई न कोई साइड इफैक्ट होता है और यह दवाई ही एक नई बीमारी का कारण बन रही है, जो अगले 10-15 साल के बाद और भी खतरनाक रूप में उभरेगी।

अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि जैसे हम शारीरिक बीमारियों के लिए ब्लड टैस्ट और चेकअप करवाते हैं, वैसे ही मानसिक व्याधियों से बचने के लिए स्पिरिचुअल हीलिंग से दिल और दिमाग की सफाई भी करवाते रहें। स्पिरिचुअल हीलिंग हमें अच्छी नींद लेने, खुश रहने और रिश्ते मजबूत बनाने में सहायक होती है। अगर हम स्वास्थ्यकर भोजन लें, नियमित रूप से हल्का-फुल्का व्यायाम करते रहें और स्पिरिचुअल हीलिंग से दिल और दिमाग की सफाई भी करवा लें। स्पिरिचुअल हीलिंग से हम खुशियों और खुशहाली से भरपूर एक आनंददायक जीवन जी सकते हैं। हम मानें या न मानें, हमें मालूम हो या न हो, पर हम किसी न किसी चिंता से, परेशानी से, दुख से, पछतावे से, नफरत से, गिले वाले विचार से घिरे ही रहते हैं। ये विचार ही हमारी मानसिक व्याधियों का कारण बनते हैं जो बाद में शारीरिक बीमारी के रूप में बदल जाते हैं और जीवन दूभर बना देते हैं। स्पिरिचुअल हीलिंग इनकी रोकथाम का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक अनुभवी स्पिरिचुअल हीलर जीवन में इतनी उमंग भर सकता है और हमें मानसिक रूप से इतना मजबूत बना सकता है कि शेष जीवन में हमें इसकी जरूरत बार-बार नहीं पड़ती और जीवन खुशहाल बना रहता है। जरूरत है तो बस इतनी कि हम अपने इस प्राचीन ज्ञान को समझें और जीवन
में उतारें।

पीके खु्रराना

हैपीनेस गुरु, गिन्नीज विश्व रिकार्ड विजेता

ई-मेल:indiatotal.features@gmail.com


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