कुदरत की खूबसूरती में कैद बनखंडी माता मंदिर
कुलदीप भारद्वाज-डलहौजी
पर्यटक नगरी डलहौजी कुदरत की अथाह खूबसूरती एवं ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों से भी लबालब है। इन धार्मिक स्थलों में एक है पंचपुला स्थित कुदरत की गोद में बसा बनखंडी माता मंदिर। इसे छो वाली माता मंदिर एवं पंचपुला माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि इसके भूखंड में चहलकदमी करने पर कंपनता का अहसास होता है। बनखंडी माता से तात्पर्य वन भूमि में विचरण करने वाली माता है। मंदिर को छो वाली माता के नाम से इसीलिए जाना जाता है, क्योंकि यह मंदिर ढलानदार खाईनुमा पहाड़ी पर वन क्षेत्र में स्थित है। वर्षों पुराना यह मंदिर एक विशाल चट्टान पर स्थित है स्थानीय लोगों में बनखंडी माता के प्रति अटूट आस्था है माता के भक्त यहां मुंडन संस्कार, जात्रों एवं कष्ट निवारण के लिए माता की शरण में आते हैं।
वान, देवदार, चीड, तोष, एलन, चिऊ इत्यादि विभिन्न घने पेड़ पौधों के मध्य चारों ओर से घिरा यह स्थल बेहद ही शांत है। पर्यटन स्थल पंजपुला से खड़ी चढ़ाई का सफर तय करने के उपरांत ज्यों ही माता के दर्शन प्राप्त होते हैं, त्यों ही सफर की सारी थकावट माता के दर्शन पाकर से क्षणों में छूमंतर हो जाती है वहीं नाले की कल-कल करती ध्वनि एवं पक्षियों की मधुर चहचहाहट मन को सुकून प्रदान कर मंत्रमुग्ध कर देती है। यहां घने वनों से ढकी खूबसूरत वादियों से बहती शीतल वायु मन को आनंदित कर देती है। माता की छत्रछाया में आध्यात्मिक शांति एवं माता के भक्त यहां मन्नतें मांगने, मुंडन संस्कार, जात्रों एवं कष्ट निवारण के लिए माता की शरण में स्थिरता को प्राप्ति होती है।-एचडीएम
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