बैंकों को लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं

By: Apr 24th, 2024 12:07 am

बॉम्बे हाई कोर्ट का अहम फैसला, कर्जदारों-बकाएदारों को बड़ी राहत

एजेंसियां — मुंबई

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास किसी भी बकाएदार के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं है। विराज शाह बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन के तहत सार्वजनिक बैंकों को भारतीय नागरिकों या विदेशियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने की शक्ति नहीं है। खंडपीठ ने यह फैसला सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा कर्जदारों/ बकाएदारों को विदेश यात्रा से रोकने के लिए जारी लुकआउट सर्कुलर्स को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनाया है।

हालांकि, मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन संविधान के दायरे से बाहर नहीं हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधकों को लुकआउट सर्कुलर जारी करने की शक्ति देने का अधिकार मनमाना है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अनुरोध पर जारी किए गए सभी लुकआउट सर्कुलर को रद्द कर दिया। हालांकि, खंडपीठ ने ये स्पष्ट किया कि दो जजों वाली बेंच द्वारा पारित आदेश किसी भी ट्रिब्यूनल या आपराधिक अदालत द्वारा जारी किए गए ऐसे किसी भी मौजूदा आदेश को प्रभावित नहीं करेगा, जो ऐसे व्यक्तियों को विदेश यात्रा से रोकता है।

कोर्ट की फटकार; ममता कैबिनेट को सब पता था, फिर भी फर्जी तरीके से दी गई नौकरियां

कलकत्ता । कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में एसएलएसटी भर्ती प्रक्रिया-2016 में नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मियों की 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी की बंगाल सरकार को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि यह बात हैरान कर देने वाली है कि बंगाल सरकार की कैबिनेट को सबकुछ पता था, फिर भी फर्जी तरीके से नौकरियां दी गईं। फैसले पर सीएम ममता बनर्जी ने कड़ा ऐतराज जताते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। पश्चिम बंगाल में 2016 शिक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान रद्द की गई 25753 नौकरियों के रद्द किए जाने वाले फैसले के बाद सीएम ममता बनर्जी की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है।

उन्होंने कहा कि सभी नियुक्तियों को रद्द करने का अदालत का फैसला अवैध है और उनकी सरकार आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे साबित हो गया है कि ‘तृणमूल कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार में शामिल है।’ उधर, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा कि ‘हाई कोर्ट का पूरा आदेश पढऩे के बाद हम शीर्ष अदालत का रुख करेंगे।’ इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से तत्काल इस्तीफे की मांग की है।

2जी स्कैम केस में फैसले के 12 साल बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली

2जी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 12 साल बाद केंद्र सरकार ने आदेश में संशोधन की मांग को लेकर सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। केंद्र उस शर्त में संशोधन चाहता है, जिसके तहत सरकार को स्पेक्ट्रम संसाधनों के आबंटन के लिए नीलामी मार्ग अपनाने की आवश्यकता पड़ती है। केंद्र ने कानून के अनुसार प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से आबंटन करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने 2012 के 2जी स्पेक्ट्रम संबंधी फैसले में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कोर्ट के फैसले में सरकार से देश के प्राकृतिक संसाधनों को हस्तांतरित करने के लिए नीलामी का रास्ता अपनाने की बात कही गई थी। केंद्र ने कहा कि फैसले में संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि स्पेक्ट्रम का आबंटन न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए आवश्यक है, बल्कि सुरक्षा, आपदा तैयारी जैसे सार्वजनिक हित के कार्यों के निर्वहन के लिए गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी आवश्यक है।


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