शिव स्थली चूड़धार में सजने लगा भोले बाबा का दरबार

By: Apr 14th, 2024 12:55 am

मंदिर के कपाट खुलते ही बारह हजार ऊंची चूड़धार चोटी पर गूंजने लगे बम भोले के जयकारे

स्टाफ रिपोर्टर—चौपाल, नेरवा
चौपाल के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल चूड़धार स्थित शिरगुल देवता मंदिर के कपाट बैसाखी पर्व पर विधिवत रूप से दर्शनों के लिए खोल दिए गए हैं। मंदिर के कपाट खुलने के बाद चूड़धार की वादियां एक बार फिर श्रद्धालुओं से गुलज़ार होनी शुरू हो गई है तथा बर्फीली वादियों में एक बार फिर से बम भोले के जयकारे लगने शुरू हो गए है। यही नहीं, कुछ उत्साहित श्रद्धालु तो चूड़धार की 11965 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान्शंकर की प्रतिमा के दर्शन करने भी पहुंचने लगे है। प्रशासन ने यात्रा को लेकर अलर्ट भी जारी किया है। मंदिर कमेटी के चेयरमैन एसडीएम चौपाल हेम चंद वर्मा ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि मौसम की परिस्थितियों को देख कर ही चूड़धार की तरफ का रुख करें। उन्होंने कहा कि इन दिनों चूड़धार में काफी बर्फ है तथा मौसम विभाग द्वारा भी आगामी तीन चार दिनों तक बारिश, बर्फबारी, तूफान और ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है। लिहाजा ऐसे मौसम में चूड़धार का रुख करना जोखिम भरा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष नवंबर महीने में देउठन एकादशी पर्व पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तथा इसके बाद चूड़धार यात्रा भी थम जाती है । इसके करीब पांच माह बाद अप्रैल माह में बैसाख सक्रांति एवं बैसाखी वाले दिन मंदिर के कपाट फिर से श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए जाते है।

हालांकि चूड़धार की यात्रा आधिकारिक रूप से मई महीने से शुरू होती है। बता दें कि एक तरफ जिला सिरमौर और दूसरी तरफ जिला शिमला की सबसे ऊंची चोटी के आंचल में उत्तराखंड के जौंसार बाबर, जिला सिरमौर और जिला शिमला के सबसे बड़े आराध्य देवता शिरगुल महाराज का मंदिर है तथा करीब बारह हजार फीट ऊंची चूड़धार चोटी पर भगवान शंकर की भव्य प्रतिमा विराजमान है। यात्रा शुरू होने पर एक मई से 15 नवंबर तक चूड़धार में उपरोक्त क्षेत्रों के श्रद्धालुओं के अलावा अन्य स्थानों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक चूड़धार की ठंडी वादियों में पहुंचते है। मई महीने से अगस्त महीने तक चूड़धार यात्रा अपने पूरे शवाब पर होती है एवं सिरमौर जिला के नौहराधार और चौपाल के मंढाह लानी तथा हाल्दा जुब्बड़ की तरफ से रोजाना हजारों श्रद्धालु भोले के जयकारों के साथ चूड़धार पहुंचते है। यही नहीं, मैदानी इलाकों से भी रोजाना सैकड़ों लोग तपती गर्मी से सुकून पाने के लिए चूड़धार की ठंडी वादियों का रुख करते है। इस दौरान चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा प्रति वर्ष 15 मई से यात्रा जारी रहने तक लंगर की व्यवस्था की जाती है। चूड़धार मंदिर कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम चौपाल हेम चंद वर्मा ने बताया कि 13 अप्रैल शनिवार को मंदिर के कपाट भगवान् शिरगुल के दर्शानर्थ खोल दिए गए है, परंतु श्रद्धालु मौसम की परिस्थितियों को देख कर ही यात्रा की योजना बनाएं।


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