ठंडे बस्ते में डाली भुंतर के कोल्ड स्टोर की फाइल
वर्ष 2005 से कोल्ड स्टोर के नाम पर 20 हजार किसानों-बागबानों से वोट मांग रहे नेता, इस बार लोकसभा चुनाव में देना होगा पूरा हिसाब
स्टाफ रिपोर्टर-भुंतर
जिला को सबसे ज्यादा आमदानी देने वाले सेब और अन्य फलों के लिए भुंतर में बनने वाले कोल्ड स्टोर की फाइल सियासी तिजोरी से लापता है। करीब दो दशक से कोल्ड स्टोर के लिए आसपास के करीब 20 हजार से अधिक बागबान फरयादें लगाते थक गए हैं लेकिन सियासतदानों ने कोल्ड स्टोर की फाइल अपनी राजनीति के लिए गायब कर दी है। लिहाजा, कोल्ड स्टोर न होने से घाटा झेल रहे बागबानों का दर्द चुनावी मौसम में सामने आया है और लोकसभा के आम चुनावों में यह सियासी दलों को वोटों का जख्म देने को तैयार है। किसान प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो साल 2004-05 से भुंतर या इसके आसपास एक कोल्ड स्टोर का ताना-बाना तैयार किया जा रहा है और हर चुनावों से पहले भाजपा और कांग्रेस के नेता इसके नाम पर बागबानों को बेबकूफ बनाकर वोट वसूलते आ रहे हैं।
कोल्ड स्टोर नहीं होने के कारण होता है नुकसान
कुल्लू में करीब 800 करोड़ की बागबानी फसलें पैदा होती हैं जो सरकार का राजस्व भी बढ़ाती है। कोल्ड स्टोर से सरकार का राजस्व भी बढऩा तय है लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों के बीच कुत्ते बिल्ली का खेल इसके नाम पर चलता रहा है और बागबानों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। किसान-बागबान संगठन भुंतर के प्रधान करतार सिंह गुलेरिया के अनुसार सालों से कोल्ड स्टोर की मांग बागबानों की ओर से संगठन कर रहा है। यह उत्पादकों की बेहद जायज मांग है और इसकी कमी के कारण बागबानों और किसानों को भारी नुकसान हर बार उठाना पड़ता है। बागबानों के अनुसार अबकी बार चुनावी चौखट में वोट मांगने के लिए आने वाले नेताओं से इसका हिसाब जरूर लिया जाएगा और जो इस पर अपनी सियासत जारी रखेगा उसे जबाब वोटों से दिया जाएगा।
कुल्लू में 20 हजार किसान बेचते हैं उत्पाद
भुंतर में जिला कुल्लू की सबसे पुरानी और बड़ी सब्जी मंडी है और करीब 20 हजार किसान इस मंडी में अपने उत्पादों को बेचते हैं। प्रस्तावित कोल्ड स्टोर से रूपी-पार्वती-स्नोर घाटी के साथ खोखण, महाराजा, खराहल-लगवैली क्षेत्र के हजारों को किसानों बागबानों को सीधा लाभ मिलना है तो टमाटर को थोक में मार्केट में उतारने की समस्या दूर होने से अच्छे दाम मिलेंगे। कोल्ड स्टोर की कमी के कारण जिस सेब को मेन सीजन में बागबान 30 रुपए प्रति किलो के औसत दाम से बेचते हैं उसे ऑफ सीजन में 150-200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से वापिस खरीदना पड़ता है। कोल्ड स्टोर से यह समस्या दूर होगी। बताया जा रहा है कि इसके लिए प्रक्रिया चली है लेकिन यह कागजी प्रक्रिया कब धरातली प्रक्रिया में बदलेगी इसको लेकर कोई भी स्थिति साफ नहीं है और अब तक धरातल पर परिणाम शून्य है।
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