केस रिजर्व रखने से मौखिक दलीलों के कोई मायने नहीं

By: Apr 9th, 2024 12:06 am

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जताई चिंता, जल्द निपटारे के आदेश

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ अपने अहम फैसलों के लिए जाने जाते हैं। वे अब तक कई बड़े मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। एक बार फिर से उन्होंने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने जजों द्वारा लंबे समय तक अदालती मामलों को रिजर्व रखे जाने पर चिंता जताई है। उन्होंने दो टूक कहा कि ईमानदारी से कहूं तो इतने समय के बाद मौखिक दलीलें मायने नहीं रखती हैं। कोर्ट की सुनवाई और फैसलों पर रिपोर्ट करने वाली ‘बार एंड बेंच’ के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि चिंता का विषय यह है कि जज बिना फैसलों के 10 महीने से अधिक समय तक मामलों को रिजर्व रखते हैं। मैंने सभी हाई कोर्ट को लिखा है। लेटर के बाद मैंने देखा है कि कई जज केवल मामलों को रिजर्व कर रहे हैं और सूचीबद्ध कर रहे हैं।

ईमानदारी से कहूं तो इतने लंबे समय के बाद मौखिक दलीलें मायने नहीं रखतीं और जज भूल जाते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आदेश सुनाते हुए आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि देश के ज्यादातर हाई कोर्ट्स में यह चलन नहीं है। सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने हाई कोर्ट से मामले का शीघ्र निपटारा करने और पहले संक्षिप्त सुनवाई के लिए कार्यवाही को फिर से सूचीबद्ध करने के लिए कहा है। हालांकि, बेंच ने यह भी कहा कि हम कोर्ट के बोझ से अवगत हैं।

बच्चों के इंटरसेक्स ऑपरेशन पर लगेगी रोक, एससी सुनवाई को राजी

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—नई दिल्ली

जन्म के समय शिशुओं के इंटरसेक्स सर्जरी का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया है। इस तरह के ऑपरेशन पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के तैयार हो गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि बच्चों की इंटरसेक्स सर्जरी उनके लिए न सिर्फ पीड़ादायक बल्कि सुनहरे भविष्य के लिए भी काफी खतरनाक है। \ठ्ठसबसे पहले जानकारी के लिए बता दें कि जिन लोगों में पुरूष और महिला दोनों के जननांग होते हैं उन्हें इंटरसेक्स कहा जाता है। देश में इंटरसेक्स सर्जरी के कई मामले सामने आ रहे हैं। मां-बाप अपने बच्चों को पुरुष या महिला बनाने के लिए इस तरह की सर्जरी करवा रहे हैं। इस तरह के ऑपरेशनों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां इस तरह की सर्जरी पर रोक लगी है। याचिका में कहा गया है कि बच्चों को पुरुष या महिला बनाने के लिए उनकी सहमति के बिना जन्म के समय इंटरसेक्स सर्जरी की जा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस तरह के चिकित्सीय हस्तक्षेप दंडनीय अपराध हैं और इन्हें रोकने के लिए एक कानून होना चाहिए।

आरोप लगाने वाले यूट्यूबर को जेल भेजेेंगे तो कितने अंदर होंगे

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप झेल रहे एक यू-ट्यूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी। शीर्ष न्यायालय ने यूट्यूबर को मिली जमानत को बहाल कर दिया। दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने उसकी जमानत को रद्द कर दिया था। इसके बाद आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच यूट्यूबर ए दुरईमुरुगन सत्ताई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सत्ताई के जमानत रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया। बेंच का कहना था कि यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने मिली आजादी का गलत इस्तेमाल किया है। जस्टिस ओक ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि अगर चुनाव से पहले हमने यू-ट्यूब पर आरोप लगाने वाले लोगों को जेल भेजना शुरू कर दिया, तो जरा सोचो कि कितने लोग अंदर होंगे?


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