कमरुदेव मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

By: Apr 15th, 2024 12:55 am

नौ अप्रैल को खुले थे करसोग मंदिर के कपाट
नरेंद्र शर्मा—करसोग
कमरू देव का विश्व विख्यात अत्यंत सामान्य सा दिखने वाला भव्य मंदिर कमराह पर्वत पर स्थित है। नौ अप्रैल से कमरुदेव के मंदिर के कपाट खुलने के बाद इस पावन तीर्थ में श्रद्धा प्रकट वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐतिहासिक नगरी पांगणा का लगभग 35 सदस्यीय दल कमरुदेव के दर्शन, पूजन अर्चन और अपनी मन्नौतिया कमरुदेव जी और सरानाहुली झील में अर्पित कर रात को पांगणा लौट आया। इस दल में शामिल सेवानिवृत्त उप मंडलाधिकारी (सलुणी चंबा) डा. किशोरीलाल शर्मा, सचिन, पंडित मुनीलाल शास्त्री, संस्कृति मर्मज्ञ डाक्टर जगदीश शर्मा, रोशन लाल शर्मा, कृष्ण लाल शर्मा, जितेंद्र शर्मा, ठाकुर दास शर्मा, करसोग क्षेत्र के प्रथम श्रेणी ठेकेदार सुरेश शर्मा, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक अंकुश, सेवानिवृत्त सीनियर फार्मासिस्ट सोमकृष्ण एट्रांसपोर्टर पींटु आदि सहित महिलाओं का कहना है कि हर वर्ष कमरुदेव का बुलावा उन्हें आता है और वे अनुकूल और विपरीत मौसम और परिस्थितियों में भी इस पावन यात्रा को एक या अनेक बार पूर्ण कर अपनी कुलज कमरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त कर स्वंय को धन्य करते है। इस दल की महिलाओं में हरिप्रिया शर्मा और आशा शर्मा घुटने के आप्रेशन के बावजूद भी पैदल कमरुदेव पहुंची।

इन दोनों की आस्था, निष्ठा और ऊर्जा अनुकरणीय है। पांगणा के श्रद्धालुओं के अतिरिक्त इंडिया टीवी के कामेश्वर शर्मा व साथियो, कलकत्ता के धार्मिक पर्यटकों के दल ने भी देव कमरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया। डाक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि सरानाहुली कमरुनाग यात्रा क्षेत्र अनेक सांस्कृतिक आस्थाओं और धार्मिक विश्वासों से जुड़ा है। प्रतिवर्ष लाखों लोग कमरू देव के दर्शन करने के लिए सरानाहुली, मझोठी रोहांडा, मंडी शिवरात्रि और राज्य स्तरीय देवता मेला सुंदर नगर आते हैं। अपने मनोरथ विवाह की कामना, विवाह के पश्चात आशीर्वाद लेने, संतान उत्पत्ति, मुंडन संस्कार करने तथा अब तो पर्यटन की दृष्टि से भी भ्रमण करने के लिए लोग कमरुनाग आते हैं। सुकेत संस्कृति साहित्य और जनकल्याण मंच के अध्यक्ष डाक्टर हिमेंद्र बाली हिमका कहना है कि कमरुदेव देव तीर्थ की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। इस तीर्थ की स्थापना लगभग 5150 वर्ष पहले हुई है। लेकिन सरानाहुली झील का इतिहास इससे भी पुराना है। इस झील के तट पर प्रतिष्ठापित कमरू देव जी के इस साधारण से देओरे के गर्भगृह में स्थापित कमरू देव जी की प्रतिमा भी बहुत ही साधारण है।


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