खतरा ही खतरा…छह महीने में भी नहीं बने सैंज के गांवों को जोडऩे वाले पुल

By: Apr 24th, 2024 12:17 am

लकड़ी की पुलिया पर जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे बच्चे, सैंज घाटी में नौ जुलाई को बाढ़ में बहे पुलों की जगह अभी तक नहीं किया कोई इंतजाम, अब बरसात में और बढ़ेगा खतरा

कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
भले ही आपदा से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर यह वादे हवा-हवाई साबित होते हैं। ऐसे उदाहरण जिला कुल्लू की सैंज घाटी में देखने को मिल रहे हैं। यहां पर आपदा आने के बाद जो जख्म पड़े हैं, उन जख्मों पर नौ महीनों से महरम लगाने में कोई उचित काम नहीं हो पाया है। देश का भविष्य बनने वाले स्कूली बच्चे पिछले नौ महीने से जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं। लेकिन इन बच्चों की जान का सरकार और प्रशासन को कोई परबाह नहीं है। स्कूली बच्चे लकड़ी की टंपरेरी ढिपी यानि दो-तीन लकड़ी की पुलिया को आरपार कर स्कूल और घर पहुंच रहे हैं।

अब दूसरी बरसात भी आने वाली है, लेकिन इन बच्चों की जान की सरकार और प्रशासन को कोई परवाह नहीं है। अभिभावक परेशान और चिंतित हैं। कई बार क्षेत्र वासियों ने गंभीर मुद्दे को सरकार और प्रशासन के समक्ष रखा, लेकिन उनके मसलों पर अनदेखी ही होती रही। लिहाजा, प्रशासन और सरकार की अनदेखी से ग्रामीण आक्रोषित हैं। सैंज घाटी में नौ और दस जुलाई 2023 को आई बाढ़ में सतेश, करटाह, सिउंड, बिहाली, सोती, सैंज बाजार, बकशाहल टापू गांव की सडक़ खराटला, तरेड़ा, तलाड़ा, स्पांगणी, बिहाली में भारी नुकसान हुआ है। सडक़ें, पुल बह गए हैं, अभी तक सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाए हैं।

यहां भी कुछ नहीं हुआ
ग्रामीणों का कहना है कि संपागणी में पुल बह गया है। अभी तक वहां पर भी कुछ नहीं हुआ है। करटाह में क्रेटबॉल लगनी जरूरी है। यदि बरसात से पहले यहां पर के्रट वायर नहीं लगी तो गांव को खतरा पैदा हो सकता है। सिउंड, बिहाली से आठ परिवारों के बच्चे भी जोखिम में नदी को आरपार कर रहे हैं। यहां पर भी पक्का पुल लगना चाहिए।


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