गेहूं के धराशायी होने पौधों को नहीं मिलेगा पूरा पोषण, पैदावार में होगी गिरावट

By: Apr 1st, 2024 12:17 am

अभी फसल की बालियों में नहीं बन पाया था कनक के दानों का आकार, अंधड़ से भरी भयंकर बारिश से जिला के हर चौथे किसान को नुकसान

स्टाफ रिपोर्टर-ऊना
पिछले दो दिनों में चली भयंकर आंधी के साथ हुई बारिश ने जिला के किसानों को पूरी तरह से रूलाकर रख दिया है। शुक्रवार व शनिवार दो दिन देर रात से सुबह तक हुई आंधी भरी बारिश ने किसानों की फसलों को तहस-नहस कर दिया। इस आंधी के साथ हुई बारिश से जिला के हर तीसरे-चौथे किसान को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग की माने तो गेहूं की फसल खेतों में गिरने से पौधों को पहले की भांति पूरा पोषण नहीं मिल पाएगा। जिससे फसल की पैदावार में गिरावट दर्ज की जा सकती है। बता दें कि अभी तक गेहूं के फसल में दाने का आकार नहीं बन पाया था और समय के साथ दाने का आकार बन रहा था, लेकिन फसल के अंतिम समय में आंधी से भरी बारिश ने गेहूं की फसल को खेतों में ही बिछा दिया। हालांकि खेतों में अगर बारिश के पानी की निकासी की सुविधा है तो गेहूं की फसल खेतों के गिरने के बाद भी किसानों के लिए ज्यादा नुकसानदायक नहीं है, लेकिन अगर खेतों में पानी खड़ा हो रहा है और बारिश के पानी की निकासी नहीं है तो किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। जहां से प्रति वर्ष किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की पैदावार होती है और करीब 8 लाख क्विंटल पशुचारा (तूड़ी) निकलती है।

35,514 हेक्टेयर भूमि में 20941 हेक्टेयर गैर सिंचित क्षेत्र व 14573 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र शामिल है। वहीं, जिला में 5000 हेक्टेयर गैर सिंचित क्षेत्र में गेहूं की फसल को सूखे की मार से प्रभावित हुई। उसके बाद पीला रतुआ फैलने से किसानों को गेहूं की फसल में नुकसान का सामना करना पड़ा और अब खराब मौसम के कारण फसल खेतों में बिछ गई। जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। जिला ऊना में किसानों द्वारा सबसे ज्यादा गेहूं की फसल की पैदावार की जाती है।

अन्य राज्यों से गेहूं खरीदने पहुंचते व्यापारी

बता दें कि जिला ऊना में किसानों से गेहूं की फसल खरीदने के लिए प्रदेश सहित अन्य राज्यों के व्यापारी पहुंचते हैं। हर वर्ष हजारों मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार खरीदकर व्यापारी देश की विभिन्न अनाज मंडियों में लेकर जाते हैं तो कई किसान खुद गाडिय़ों में भरकर गेहूं को विभिन्न राज्यों की मंडियों में बेचकर आते हैं, लेकिन इस सीजन सूखा पडऩे व पीला रतुआ की मार के बाद अब खराब मौसम ने गेहूं की पैदावार को कम किया है।


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