जताया ऐतराज…कुल्लू में बाहरी राज्यों की कैंपिंग कंपनियां कूट रहीं चादी
पार्वती वैली एडवेंचर टूअर ऑपरेटर यूनियन ने छह मुद्दों को लेकर डीसी को सौंपा ज्ञापन
कार्यालय संवाददाता-कुल्लू
ट्रैकिंग और पर्यटन के लिए विख्यात जिला कुल्लू की पार्वती वैली में बाहरी राज्यों की कंपनियां अवैध रूप से कैंपिंग कार्यों में सम्मिलित हैं। यह शिकायत पार्वती वैली एडवेंचर टूअर आपरेटर यूनियन ने जिलाधीश कुल्लू से की। बाकायदा जिलाधीश को छह मुद्दों का ज्ञापन भी सौंपा गया है। बता दें कि इसको लेकर सोमवार को पार्वती वैली एडवेंचर टूर आप्रेटर यूनियन के पदाधिकारी व सदस्य घाटी की समस्याओं को लेकर जिलाधीश कुल्लू से मिले।
उन्होंने एडवेंचर, ट्रेकिंग तथा संबद्ध गतिविधियों को लेकर हो रही अनियमितताओं को लेकर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा। पार्वती वैली एडवेंचर टूअर आप्रेटर यूनियन के अध्यक्ष डीआर सुमन ने बताया कि उन्होंने पार्वती घाटी में ट्रैकिंग-गाइड को आवश्यक करना, सूचना केंद्र व चैक पोस्ट की स्थापना व बाहरी राज्यों से संबद्ध कंपनियों की जांच करवाने बारे जिलाधीश से मांग की है। जिला की प्रसिद्ध एवं चर्चित मनोरम पार्वती घाटी जहां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। इसके विपरीत यह घाटी कई अनहोनी घटनाओं की भी गवाह बनी है।
पर्यटकों को रहती है जानकारी की किल्लत
कैंपिंग, होटल, ट्रैकिंग, बेस कैंप और होम-स्टे इत्यादि में एंट्री रजिस्टर को अध्कि महत्त्व न देने के कारण पर्यटकों को पूरी जानकारी का आभाव रहता है। किसी भी ट्रेकिंग रूट पर चैक-पोस्ट न होने के कारण ट्रैकरों की वास्तविक संख्या की जानकारी पूर्णत: रिकॉर्ड में नहीं आ पा रही है, जिससे दुर्घटना या किसी अनहोनी के समय उचित डेटा नहीं मिल पाता है। चेक पोस्ट की स्थापना से अवैध् तरीके से चल नहीं साहसिक पर्यटन गतिविध्यिों से भी छुटकारा मिल सकता है। यूनियन की जिलाधीश कुल्लू से मांग है सभी मुद्दों का प्राथमिकता के आधर पर सुलझाने को लेकर संबंधित विभाग, एजेंसियों को यथासंभव निर्देश दें ताकि घाटी में हो रहे अपराध एवं दुर्घटनाओं को रोका जा सकें। इस दौरान उनके साथ चेत राम, महिंद्र सिंह, भवानी दत्त, नैन प्रकाश, गुड्डू, पौश राज, जोगिंद्र, कर्मी राम, विशाल, गिरधारी लाल व अन्य सदस्य साथ रहे।
बिना पंजीकरण जंगलों में चले जाते हैं सैलानी
ट्रैकिंग, एक्सपडिशन व पर्वतारोहण इत्यादि की बात करें तो प्रत्येक वर्ष दर्जनों पर्यटकों, ट्रैकरों एवं पर्वतारोहियों के साथ दुर्घटनाओं की खबरें पढऩे, सुनने को मिलती हैं। इन दुर्घटनाओं के मुख्य छह कारण हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर पर्यटक बिना टूरिस्ट-गाइड के पहाड़ों की ओर चले जाते हैं। घाटी में सूचना केंद्र न होने के कारण प्रकृति प्रेमियों को उचित जानकारी नहीं मिल पाती है, जिसके कारण वे जंगलों में भटकते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। पहाड़ों पर जाने वाले अधिकांश लोगों का कहीं पर भी पंजीकरण न होने के कारण स्थानीय आपदा प्रबंधन दलों को उचित जानकारी नहीं मिल पाती, जिसके कारण कई दिनों तक खोजी अभियान को अंजाम देना पड़ता है। घाटी में दर्जनों बाहरी राज्यों की कंपनियां अवैध रूप से कैंपिग कार्यों में सम्मिलित हैं, जिससे हिमाचल प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का घाटा होने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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