फ्री कोचिंग सेंटर को अब मंजूरी का इंतजार

By: Apr 28th, 2024 10:05 pm

चुनाव आयोग से स्वीकृति के लिए एचपीयू ने प्रदेश सरकार को भेजा है प्रस्ताव, छात्रों को कोचिंग शुरू करवाने के लिए प्रयास

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

प्रदेश विश्वविद्यालय में नि:शुल्क कोचिंग सेंटर में एचएएस की फ्री कोचिंग के लिए चुनाव आयोग से अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। ऐसे में अब यह माना जा रहा है कि आचार संहिता के बाद ही छात्र फ्री कोचिंग ले पाएंगे। यूनिवर्सिटी की ओर से इस बारे में प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अभी तक इसके लिए मंजूरी नहीं मिल पाई है। इससे पहले एचपीयू की ओर से 11 मार्च तक आवेदन करने की तिथि रखी गई थी। एचपीयू के इस कोचिंग सेंटर में कई सालों से पूर्व-परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र की ओर से छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है।

यह कोचिंग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग तथा सामान्य वर्ग के विद्याॢथयों को प्रदान की जाती है। अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों, जिनके परिवार की वार्षिक आय आठ लाख रुपए से कम है और अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों, जिनके परिवार की वार्षिक आय पांच लाख से कम है, उन उम्मीदवारों को कोचिंग नि:शुल्क प्रदान की जाती है। इसके अलावा सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से कोचिंग के लिए 2500 रुपए प्रति महीना तय की गई है।

फोरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने से लटके प्रोजेक्ट

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

प्रदेश के स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में छात्रों को बैठने और पढ़ाई के लिए भवन सहित अन्य सभी तरह की सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए शिक्षा विभाग ने अब काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश के स्कूलों में वन मंजूरी न मिलने के कारण लटके प्रोजेक्टों का शिक्षा विभाग ने ब्यौरा तलब किया है। सभी जिलों के शिक्षा उपनिदेशक, स्कूलों के प्रधानाचार्य व मुख्य अध्यापकों को सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के साथ एक फॉर्मेट भी भेजा गया है। इसमें पूछा गया है कि कितने स्कूल व कालेजों के भवन ऐसे हैं, जिनके लिए बजट मंजूर हो चुका है, लेकिन एफसीए की मंजूरी न मिलने के कारण अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है।

प्रधानाचार्यों को फॉर्मेट में बताना होगा कि एफसीए केस की स्थिति क्या है, क्या इसके लिए केस तैयार कर भेज दिया गया है। कितने मामले ऐसे हैं, जिनके केस तैयार कर मंजूरी के लिए भेजे गए हैं और कितने मामले ऐसे हैं, जिनका अभी तक केस भी तैयार नहीं हुआ है। एक सप्ताह के भीतर जानकारी शिक्षा निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद इसका पूरा प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।


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