गुच्छी की पैदावार कम, किस्मत वालों के ही आ रही हाथ

By: Apr 11th, 2024 12:11 am

लोग खाना पैककर दिनभर जंगलों की छान रहे खाक, कम बारिश के चलते इस बार कम हुई पैदावार

निजी संवाददाता—नेरवा
मार्च के दूसरे पखवाड़े से लोग उपमंडल चौपाल व कुपवी के देवदार के जंगलों में गुच्छी की तलाश में निकलने शुरू हो गए है। हालांकि लोगों की मौजूदगी से देवदार के घने वनों में बहार तो आ गई है, परंतु इस साल पर्याप्त बर्फबारी न होने के चलते गुच्छी की औसत से भी बहुत कम पैदावार हुई है, जिस वजह से गुच्छी तलाश करने वाले लोगों को मायूस होना पड़ रहा है। लोग दिन का खाना पैक कर सुबह ही गुच्छी की तलाश में वनों की तरफ निकल जाते है तथा देर शाम तक इसकी तलाश में जंगलों में घूमते देखे जा सकते है। लोक मान्यता के अनुसार गुच्छी को भाग्य से जोड़ कर भी देखा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जिसका भाग्य अच्छा है गुच्छी उसी को नजर आती है। कई लोगों को तो मुंह के सामने उगी हुई गुच्छी भी नजर नहीं आती, जबकि कई लोगों को यह भारी मात्रा में मिल जाती है। देवदार के जंगलों में होने वाली काली गुच्छी को सबसे अधिक गुणवत्तापूर्ण माना जाता है। गुच्छी की कीमत अकसर बीस हजार रुपए प्रति किलो के करीब रहती है, परंतु इसकी कीमतों में पैदावार के हिसाब से उतार-चढ़ाव भी होता रहता है। वहीं, इस साल गुच्छी की कम पैदावार के बावजूद इसके दाम दस हजार रुपए से भी कम हैए जिस वजह से अपने अतिरिक्त खर्च के लिए गुच्छी पर निर्भर लोगों का बजट गड़बड़ा सकता है।

कई घातक बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है गुच्छी
वैज्ञानिकों की मानें तो गुच्छी में कार्बोहाईड्रेट की मात्रा शून्य होती है। यह हृदय रोग, नियूरेपिक, मोटापा, गठिया, थाइराइड, बॉन हेल्थ, मानसिक तनाव और सर्दी-जुखाम जैसी बीमारियों से लडऩे में रामबाण साबित होती है। इसका इस्तेमाल कई घातक बीमारियों को ठीक करने वाली दवाइयों के निर्माण में भी होता है, इसीलिए डाक्टर भी इसे संजीवनी मानते हैं।


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