हिमकेयर काउंटर पर ताला, आईजीएमसी में कैशलेस सेवाएं प्रभावित

By: Apr 17th, 2024 12:16 am

 मरीजों की जेब पर पडऩे लगा बोझ

सिटी रिपोर्टर—शिमला
लोकसभा चुनाव के बीच राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में हिमकेयर योजना के काउंटर पर ताले लटक गए हैं। यानी कैशलेस इलाज की हिमकेयर योजना का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा। प्रदेश में सबसे ज्यादा लोगों ने हिमकेयर के कार्ड बनाएं है, ताकि बड़ी बीमारी होने पर आसानी से लोग उपचार करवा सकें। आईजीएमसी में 80 फीसदी से ज्यादा मरीज हिम केयर या आयुष्मान कार्ड वाले हैं। कैशलेस इलाज की यह सुविधा सिर्फ इंडोर पेशेंट डिपार्मेंट यानी अस्पताल में दाखिल होने पर ही मिलती है। इस योजना के लिए विभिन्न फर्मो से उपकरण और दवाएं आईजीएमसी लेता है। राज्य सरकार से हिम केयर में पैसा न मिलने के कारण 70 करोड़ से ज्यादा की पेंडेंसी हो गई है। अब निजी फर्में और सामान सप्लाई करने को तैयार नहीं है इसीलिए काउंटर बंद करना पड़ा है। आईजीएमसी ने इस लंबित भुगतान के लिए राज्य सरकार को बार-बार पत्र लिखा है। आईजीएमसी के बाद कैंसर के मरीजों पर भी इस संकट की मार पडऩा शुरू हो गई है। आईजीएमसी के सुपर स्पेशलिटी विभाग जैसे कार्डियोलॉजी कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी और ऑर्थो इत्यादि में पहले ही ऑपरेशन कम कर दिए गए हैं। इसकी वजह हिमकेयर स्कीम में केस क्लियर न होना है।

एक-एक विभाग की पेंडेंसी 7 करोड़ से ऊपर है। आईजीएमसी ने स्वास्थ्य सचिव को इस बारे में करीब छह बार पत्र भेजे, लेकिन 31 मार्च से पहले भी कोई भुगतान न होने के कारण समस्या और बढ़ गई। अभी स्वास्थ्य विभाग को नए साल का बजट तो मिल गया है लेकिन रिलीज करने में चुनाव आचार संहिता की दिक्कत आ रही है। आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में इलाज करवाने आने वाले रोगियों को हिमकेयर योजना के तहत मुफ्त मिलने वाले इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। तीमारदार अभिषेक ने बताया कि एक बार तो इंजेक्शन खरीद लिया है, लेकिन अब हर महीने बार-बार इसे खरीदना मुश्किल हो गया है। बता दें कि कीमोथेरेपी मरीज को तीन सप्ताह में एक बार इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हालांकि कैंसर अस्पताल के डॉक्टर मनीष गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को भी काफी मरीज कीमोथेरेपी इत्यादि के लिए आए थे और यह प्रक्रिया पूरी हो गई है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App