कोर्ट के आर्डर पर बाधा कैसे बन सकती है चीफ सेक्रेटरी की कमेटी

By: Apr 25th, 2024 12:08 am

कांट्रेक्ट सीनियोरिटी के मामले में हिमाचल हाई कोर्ट की टिप्पणी

राज्य ब्यूरो प्रमुख — शिमला

हिमाचल हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि चीफ सेक्रेटरी की कमेटी कोर्ट के उस फैसले को लागू करने में बाधा कैसे बन सकती है, जो अंतिम स्थिति यानी फाइनेलिटी प्राप्त कर चुका है? अदालत में एडिशनल एडवोकेट जनरल ने हाई कोर्ट को जानकारी दी थी कि ताज मोहम्मद बनाम हिमाचल सरकार केस के फैसले पर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो अनुबंध सेवा को गिनने, रेगुलराइजेशन की कट ऑफ डेट तय करने और वेतनमान एरियर की अदायगी जैसे मामलों पर निर्णय लेगी। हाई कोर्ट ने कहा कि इस केस में एसएलपी और रिव्यू पिटीशन दोनों खारिज हो चुकी हैं, इसलिए चीफ सेक्रेटरी की कमेटी बनाने पर हैरानी हो रही है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अनुबंध की सीनियोरिटी, इन्क्रीमेंट और अन्य तरह की वित्तीय लाभ चार हफ्ते के भीतर देने के आदेश दिए हैं। इस फैसले की कम्प्लायंस के लिए मामले को 17 मई, 2024 को सुना जाएगा।

दरअसल तीन अगस्त, 2023 को ताज मोहम्मद बनाम हिमाचल सरकार के केस में आई जजमेंट के आधार पर लोक निर्माण विभाग से जूनियर असिस्टेंट और क्लेरिकल कैडर के कर्मचारी राहत के लिए हाई कोर्ट गए थे। रविकांत बनाम हिमाचल सरकार मामले में इन कर्मचारियों ने अनुबंध अवधि का लाभ अप्वाइंटमेंट की तारीख से देने, वरिष्ठता, संशोधित पे-स्केल, एनुअल इन्क्रीमेंट समेत अन्य वित्तीय लाभों की मांग की थी। इसी याचिका में 26 सितंबर, 2017 को जारी की गई सीनियोरिटी लिस्ट को क्वैश कर नए सिरे से बनाने का आग्रह भी किया गया है। साथ ही कर्मचारियों ने सभी तरह के वित्तीय लाभ देने की भी अपील की है। कोर्ट ने कहा कि ये कर्मचारी ताज मोहम्मद बनाम हिमाचल सरकार फैसले में आई जजमेंट में दी गई राहत को प्राप्त करने के लिए पात्र हैं।

ये दो केस बने हैं सरकार के लिए मुसीबत

आयुर्वेद के शीला देवी और सिविल सप्लाई के ताज मोहम्मद केस के प्रभाव के आकलन के लिए राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। शीला देवी मामले में अनुबंध की अवधि को पेंशन के लिए काउंट करने को कहा गया है, जबकि ताज मोहम्मद केस में अनुबंध अवधि के सभी वित्तीय लाभ देने को कहा गया है। शीला देवी मामले में मुख्य सचिव ने आगे प्रधान सचिव वित्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है, जो इस जजमेंट को लागू कर रही है, जबकि ताज मोहम्मद के केस में अभी राज्य सरकार से फैसला होना है। खराब आर्थिक स्थिति के बीच चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही ये दोनों मामले सरकार के लिए मुश्किल स्थिति पैदा करने वाले हैं।


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