मानव विकास में बेहतरी जरूरी

By: Apr 15th, 2024 12:04 am

देश की नई पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक करियर के मौके जुटाने के लिए एक ओर सरकार के द्वारा डिजिटल शिक्षा के रास्ते में दिखाई दे रही कमियों को दूर करना होगा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी के द्वारा करियर में आगे बढऩे और रोजगार में आने के बाद भी काम करते हुए लगातार बदलती हुई रोजगार की दुनिया के अनुरूप नए स्किल्स सीखने होंगे…

यकीनन पिछले कई दशकों से मानव विकास के विभिन्न आयामों, गरीबी, जीवन स्तर और शिक्षा जैसे मुद्दों की चुनौतियों का सामना कर रहा भारत अब धीरे-धीरे इन चुनौतियों से पार पाते हुए आगे बढ़ रहा है। लेकिन अभी बेहतरी के लिए मीलों चलना बाकी है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) रिपोर्ट में भारत अब 193 में से 134वें स्थान पर है। भारत की रैंकिंग में पिछले वर्ष की एचडीआई रिपोर्ट के मुकाबले एक पायदान का सुधार हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय लोगों के मानव विकास सूचकांक में भारत की औसत बढ़त की सराहना की है। नि:संदेह भारत के मानव विकास सूचकांक में बढ़त का एक प्रमुख कारण भारत में गरीबी में कमी आना है। हाल ही में अमरीका के प्रसिद्ध थिंक टैंक द ब्रूकिंग्स इंस्ट्रीट्यूशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां वर्ष 2011-12 में भारत की 12.2 फीसदी आबादी अत्यधिक गरीब थी, वहीं यह वर्ष 2022-23 में घटकर महज दो फीसदी ही रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन करने में सफलता मिल गई है। तेज विकास और असमानता में कमी के चलते भारत को यह कामयाबी मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल आबादी में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों (प्रतिदिन 1.90 डालर से कम खर्च करने वाले) की संख्या 2011-12 की 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में दो प्रतिशत आ गई है। गरीबों की संख्या में हर वर्ष 0.93 प्रतिशत की कमी के बराबर है। ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबों की संख्या घटकर 2.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में एक प्रतिशत रह गई है। कहा गया है कि भारत में गरीबों की संख्या में जो गिरावट बीते 11 वर्षों में हुई है, इससे पहले वह गिरावट 30 वर्षों में हुई थी।

इसी तरह थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा है कि भारत में सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से बीते नौ वर्षों में करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली और भारत वर्ष 2030 तक बहुआयामी गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने की पूरी संभावनाएं रखता है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज, स्वच्छ ईंधन के लिए उज्ज्वला योजना, सभी घरों में बिजली के लिए सौभाग्य योजना, पेयजल सुविधा के लिए जल जीवन मिशन व जन-धन खाते की सुविधा आदि से लोगों को गरीबी से ऊपर लाने में खासी मदद मिली है। खास तौर से गरीबों के सशक्तिकरण में करीब 51 करोड़ से अधिक जनधन खातों (जे), करीब 134 करोड़ आधार कार्ड (ए) तथा करीब 118 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं (एम) की शक्ति वाले जैम से सुगठित बेमिसाल डिजिटल ढांचे की असाधारण भूमिका रही है। इसी शक्ति के बल पर देश के गरीब लोगों के खातों में सीधे आर्थिक राहत हस्तांतरित हो रही है। इससे देश के करोड़ों गरीबों के मानव विकास सूचकांक में वृद्धि हुई है। इस समय चिंताजनक वैश्विक रोजगार परिदृश्य के बीच भारत में बढ़ती हुई तेज अर्थव्यवस्था के कारण रोजगार-स्वरोजगार के मौके बढ़ रहे हैं, उससे भी मानव विकास सूचकांक के बेहतर होने में लाभ मिला है। भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में वेतन वृद्धि और रोजगार मौके बढऩे का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। खास तौर से डिजिटल इकोनॉमी के तहत ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, ट्रांजेक्शन, डेटा एनालिसिस, सायबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड, हॉस्पिटेलिटी, डेटा साइंस, कंटेंट क्रिएशन, ब्लॉकचेन मेटावर्स, नेटवर्किंग, रिलेशनशिप बिल्डिंग, डिजिटल लिटरेसी, इमोशनल इंटेलिजेंस ग्रोथ और क्रिटिकल थिंकिंग से जुड़े रोजगार अवसर भी तेजी से बढ़े हैं। नई स्टार्टअप्स से युवाओं के लिए लाखों रोजगार बन रहे हैं। देश की नई प्रतिभाशाली पीढ़ी के बल पर देश स्टार्टअप और सॉफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामथ्र्यवान देश के रूप में उभर रहा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और देश में स्टार्टअप्स की संख्या अब 1.25 लाख के आसपास पहुंच रही है।

‘इनमें बड़ी संख्या में स्टार्टअप टियर 2 और टियर 3 शहरों में हैं। सरकार की कवायदों से युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के लिए निजी क्षेत्र के साथ सरकारी क्षेत्र में भी नए रोजगार अवसर बढ़े हैं। सरकार के द्वारा रोजगार बढ़ाने के लिए लागू की गई विभिन्न योजनाओं पीएम ऋण योजना, पीएम स्वनिधि योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मनरेगा आदि के तहत करोड़ों युवाओं की मुठ्ठियों में रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश में आम आदमी के कल्याण के लिए लागू की गई विभिन्न सरकारी स्वास्थ योजनाएं स्वास्थ्य की चुनौती को कम करने में सहायक रही हैं। इन योजनाओं में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, आम आदमी बीमा योजना, वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना महत्वपूर्ण हैं। आम आदमी के स्वास्थ में सुधार से भी देश के मानव विकास सूचंकाक में वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी देश दुनिया के अनेक देशों की तुलना में मानव विकास सूचकांक में बहुत पीछे है। ऐसे में हमें यह ध्यान रखना होगा कि जहां अर्थव्यवस्था समाज का अहम हिस्सा है, वहीं मानव विकास भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सरकार के द्वारा सामाजिक अधोसंरचना पर उसी तरह निवेश किया जाना होगा, जिस तरह भौतिक अधोसंरचना पर खर्च किया जा रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी देश में करोड़ों लोगों की गरीबी और स्वास्थ्य की चुनौतियां बड़े पैमाने पर स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। देश में अभी भी 15 करोड़ से अधिक लोग गरीबी की चिंताओं का सामना कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि 2017 में नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में 2025 तक स्वास्थ्य पर खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत किया जाना निर्धारित किया गया था। फिर पंद्रहवें वित्त आयोग ने पहली बार स्वास्थ्य के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने भी स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की बात कही है। इस मामले में देश अभी भी पीछे है। अब देश में डिजिटल शिक्षा की जरूरत बढ़ गई है और इसकी अहमियत रोजगार में भी बढ़ गई है।

ऐसे में देश की नई पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक करियर के मौके जुटाने के लिए एक ओर सरकार के द्वारा डिजिटल शिक्षा के रास्ते में दिखाई दे रही कमियों को दूर करना होगा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी के द्वारा करियर में आगे बढऩे और रोजगार में आने के बाद भी काम करते हुए लगातार बदलती हुई रोजगार की दुनिया के अनुरूप नए स्किल्स सीखने होंगे। अर्थव्यवस्था को अधिक दक्ष व योग्य श्रम बल की जरूरत है जिसके लिए शिक्षा पर जीडीपी का करीब छह फीसदी हिस्सा खर्च किया जाना जरूरी है। ऐसे में हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा यूएनपीडी की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2022 के मद्देनजर देश में मानव विकास की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, सार्वजनिक सेवाओं में स्वच्छता, बहुआयामी गरीबी, भूख और कुपोषण खत्म करने के लिए नई जनकल्याण योजनाओं, सामुदायिक रसोई व्यवस्था तथा पोषण अभियान-2 को पूरी तरह कारगर व सफल बनाया जाएगा। निश्चित रूप से ऐसा होने पर आगामी वर्ष प्रकाशित होने वाले आगामी मानव विकास सूचकांक में भारत की मानव विकास रैंकिंग में सुधार आएगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App