अपने ही देश में खुश नहीं हैं भारतीय युवा

By: Apr 18th, 2024 12:06 am

पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम बोले, विदेश में बिजनेस स्थापित करने के इच्छुक

एजेंसियां—वाशिंगटन

भारतीय युवा भारत में खुश नहीं है। वे विदेश में अपना बिजनेस स्टैबलिश करना चाहते हैं। हमें यह पूछने की जरूरत है कि ऐसा क्या है, जो युवाओं को भारत में रहने के बजाय बाहर स्थापित होने के लिए मजबूर करता है, यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अमरीका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में कही। उन्होंने इस दौरान क्रिकेटर विराट कोहली का जिक्र किया। रघुराम राजन ने कहा कि मुझे लगता है कि भारतीय युवा की मानसिकता क्रिकेटर विराट कोहली जैसी है। मैं दुनिया में किसी से पीछे नहीं हूं की भावना के साथ युवा उन जगहों पर चले जाते हैं, जहां से उन्हें अंतिम मार्केट तक पहुंचना आसान लगता है।

रघुराम राजन ने भारत की ओर से चिप मैन्युफैक्चरिंग पर लाखों खर्च करने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन चिप मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रीज को सबसिडी देने के लिए कई अरब खर्च किए जाने है, जबकि दूसरी ओर कई रोजगार देने वाले क्षेत्र अच्छा नहीं कर रहे हैं और उन पर किसी का ध्यान नहीं है। राजन ने कहा कि रोजगार की समस्या पिछले 10 सालों में पैदा नहीं हुई है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें अब चमड़ा उद्योग के लिए सबसिडी की पेशकश करने की आवश्यकता है, लेकिन हमें यह पता लगाना चाहिए कि वहां क्या गलत हो रहा है और हमें कोशिश करनी चाहिए कि इसमें सुधार हो।

पीएचडी वाले चपरासी के लिए आवेदन कर रहे

रघुराम राजन ने कहा कि बेरोजगारी की संख्या बहुत ज्यादा है। वहीं, छिपी हुई बेरोजगारी और भी अधिक है। श्रम शक्ति की भागीदारी कम है, महिला श्रम शक्ति की भागीदारी वास्तव में खतरनाक रूप से कम है। इसके बारे में सबको पता है और मुझे विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कृषि और नौकरियों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। पीएचडी वाले रेलवे में चपरासी के पद पर नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं।


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