युवाओं की नसों में घुल रहा नशा

नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं, रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते…

भारत को युवा देश माना जाता है। जिस ओर युवा चलता है उसी ओर देश की दिशा प्रशस्त होती है, लेकिन दिशा ही गलत हो तो स्थिति को समझा जा सकता है। ऐसे ही हाल हमारे देश-प्रदेश के हैं। आज का युवा वर्ग नशे की लत में ग्रसित होता जा रहा है। हमें युवाओं को नशे से बचाकर युवा शक्ति का राष्ट्र निर्माण में प्रयोग करना है। आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दस करोड़ लोग नशे की गिरफ्त में हैं, जिनमें अधिकतर युवा हैं। यह बहुत ही चिंतनीय है। नशा खरीदने के लिए मां के गहने बेचने ले गया युवक…यह पंक्तियां किसी फिल्मी सीन की कहानी की भांति प्रतीत होती हैं, लेकिन यह वास्तविकता है हमारे हिमाचल की, ऐसा एक वाकया पिछले दिनों पेश आया था जहां नशे की लत में आदी युवक मां की सोने की चेन चुराकर बेचने बाजार पहुंच गया। देश में प्रतिदिन बढ़ते नशे के कारण बहुत ही इस प्रकार के मार्मिक हादसे होते जा रहे हैं जिसके कारण इन हादसों में सैकड़ों युवा नशे की लत से मर रहे हैं और मां-बहनों का सिंदूर मिट जा रहा है और बहुत सी बहनों के इकलौते भाई इस दुनिया को आए दिन अलविदा कह रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को नशा बेचने वालों पर सख्ती से नकेल कसनी होगी, नहीं तो युवा वर्ग नशे की चपेट में आकर अपनी सोचने-समझने की क्षमता को नष्ट कर देगा।

भारतीय समाज अपनी संस्कृति, सभ्यता एवं संस्कारों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है और ऐसा माना जाता है कि जितने संस्कार भारत में हैं, शायद ही दुनिया के किसी कोने में होंगे। जैसा कि हम सभी को पता है कि मानव एक सामाजिक प्राणी है जो समय के अनुसार परिवर्तन अवश्य चाहता है। इन परिवर्तनों में बुरे एवं अच्छे दोनों परिवर्तन सम्मिलित होते हैं। अच्छे परिवर्तन समाज को विकास की ओर ले जाते हैं और बुरे परिवर्तन समाज के विनाश का कारण बनते हैं। इन बुरे परिवर्तनों में नशा समाज का बहुत बड़ा विनाशकारी कारण है। नशाखोरी की चपेट में आने वाला युवा वर्ग इस तरह जाल में फंसता है कि उसकी सोचने-समझने की क्षमता भी नष्ट हो जाती है, जिससे वह अपने जीवन के लिए कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है। नशा करने के लिए वे अनेक मादक पदार्थों का, जैसे शराब, गांजा, चिट्टा, चरस, स्मैक, मोर्फिन, कोको पत्ती, ताड़ी, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन करने लगता है। नशाखोरी से व्यक्ति अनेक ऐसे गलत कार्यों को करने लगता है जो समाज के खिलाफ होते हैं। नशे के कारण आर्थिक हानि, सडक़ दुर्घटना, हत्या, बलात्कार, घरेलु व सामाजिक झगड़े, स्वास्थ्य की हानि, व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा, बच्चों की शिक्षा एवं संस्कार आदि में नशे का कुप्रभाव पड़ता है। वर्तमान में देश में लगभग सभी वर्गों के छोटे-छोटे बच्चे, यहां तक कि महिलाएं भी नशे की बुरी स्थिति में पाई जाती हैं। नशे ने लोगों का सुख-चैन तो छीन ही लिया है, अब लोगों के वंश और नस्लों पर भी बन आई है। शराब के बाद सूखा नशा युवाओं की नसों में इस कदर दौडऩे लगा है कि परिवार के परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। चिट्टा, गांजा, चरस, हेरोइन और स्मैक को हाई सोसाइटी प्रोफाइल का हिस्सा मानने वाले परिवारों के बच्चे जवानी में ही अपना सब कुछ गंवा रहे हैं। आंकड़ों के माध्यम से स्थिति को समझें तो हिमाचल पुलिस ने वर्ष 2024 के शुरुआत के दो महीनों में ही एनडीपीएस के 431 मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने एनडीपीएस के इन 431 मामलों में दो विदेशी तस्करों सहित 620 आरोपी गिरफ्तार किए हैं। पुलिस ने एनडीपीएस के केसों में आठ महिलाओं को भी नशे की खेप के साथ पकड़ा है।

पुलिस ने प्रदेश में नशा माफिया पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया है। इनमें शिमला पुलिस ने प्रदेशभर में सबसे अधिक नशा तस्कर पकड़े हैं। शिमला पुलिस ने जनवरी माह में एनडीपीएस के 29 और फरवरी माह में 54 मामले दर्ज किए हैं। प्रदेशभर में एनडीपीएस के 431 मामलों में बीबीएन में 14, बिलासपुर में 45, चंबा में 20, हमीरपुर में 12, कांगड़ा में 40, किन्नौर में एक, कुल्लू में 58, लाहुल-स्पीति में दो, मंडी में 44, नूरपुर में 26, शिमला में 83, सिरमौर में 26, सोलन में 19 और ऊना में 40 मामले दर्ज किए हैं। एनडीपीएस के केसों में पुलिस ने 57 किलो चरस, छह किलो अफीम, दो किलो 885 ग्राम चिट्टा की खेप आरोपियों से पकड़ी है। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों से 8090 नशीली गोलियां और 3850 नशीले कैप्सूल, 300 प्रतिबंधित सिरप दवाइयां पकड़ी हैं। इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों से 17 किलो से अधिक गांजा और 102 किलो 508 ग्राम भुक्की की खेप पकड़ी है। एनडीपीएस के इन 431 मामलों में पुलिस ने जनवरी में प्रदेशभर में एनडीपीएस के 141 मामले और फरवरी में 290 मामले दर्ज किए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल जैसे शांतिमय प्रदेश में भी युवाओं के दिलो-दिमाग में अब नशा घुल चुका है। नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है।

एक बार नशे की लत में पडऩे के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे शामिल हैं। नशे की लत में सबसे अधिक कचरा बीनने वाले लडक़े शामिल हैं। सिर्फ लडक़े ही नहीं बल्कि इनकी जमात में लड़कियां भी शामिल हो रही हैं। इसकी शुरुआत पान, गुटखा, तंबाकू आदि से होती है। इसके अलावा नशे के लिए सस्ते प्रोडक्ट व्हाइटनर, बोनफिक्स को भी झिल्ली में भरकर इसे नाक-मुंह से खींचकर नशापूर्ति का खूब इस्तेमाल हो रहा है। तंबाकू, शराब, दवा से नशे की लत की हुई शुरुआत बढक़र कोकीन, मार्फिन तथा हेरोइन तक पहुंच रही है। नशे की लत को पूरी करने के लिए बच्चे अपराध करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आए दिन हो रही चोरी, छिनैती में मुख्य रूप से युवा ही शामिल हो रहे हैं। यही नहीं रेलवे स्टेशन के आसपास घूमने वाले बच्चे चलती ट्रेन में भी वारदात करने से नहीं चूकते। नशे की लत इन पर हावी हो जाती है तो वे इसकी पूर्ति के लिए किसी की जान लेने से भी परहेज नहीं करते। अब वह वक्त आ गया है जब हमें नशे पर पूरी तरह नुकेल कस लेनी चाहिए।

प्रो. मनोज डोगरा

शिक्षाविद


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