ज्वालामुखी में चुनावों में ही खुलता है केंद्रीय विद्यालय

By: Apr 30th, 2024 12:11 am

सांसद तो कई आए पर ज्वालामुखी में रेलवे आरक्षण केंद्र और केंद्रीय विद्यालय खोलने का वादा नहीं हुआ पूरा

दिव्य हिमाचल ब्यूरो- ज्वालामुखी
ज्वालामुखी क्षेत्र की जनता को इस बात को लेकर नाराजगी है कि सांसद तो कई आए, परंतु ज्वालामुखी में रेलवे आरक्षण केंद्र और केंद्रीय विद्यालय खोलने का वादा तो सभी ने किया, परंतु निभाया किसी ने नहीं। क्षेत्र की जनता को इस बात का भी गिला है की पुनर्सीमांकन के बाद ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र को हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से अलग कर कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में मिला दिया गया, जिसका नुकसान यह हुआ कि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसदों ने कभी ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की जनता की भावनाओं की कदर नहीं की। चाहे सांसद पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार रहे हो या डाक्टर राजन सुशांत या किशन कपूर क्षेत्र की जनता को उनसे उम्मीदें, तो बहुत थी, परंतु किसी ने भी ज्वालामुखी क्षेत्र की जनता की वर्षों पुरानी चली आ रही मांगों को पूरा नहीं किया स वादा पूरा करना तो दूर की बात है। चुनाव जीतने के बाद दर्शन तक नहीं दिए, जिससे जनता में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

ज्वालामुखी जैसे विश्व विख्यात शक्तिपीठ में रेलवे आरक्षण केंद्र खोलना समय की मांग है। यहां पर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु रोजाना मां ज्वालामुखी के दरबार में आते हैं। हर बार चुनाव में प्रत्याशी वायदा करते हैं कि वह ज्वालामुखी में रेलवे आरक्षण केंद्र और केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रयास करेंगे, परंतु चुनाव जीतने के बाद कोई लौटकर ही नहीं आता है, जिससे क्षेत्र की जनता में बड़ी खासी नाराजगी देखी जा रही है स ज्वालामुखी के गुमर में लोगों ने केंद्रीय विद्यालय के लिए जगह का भी चयन कर रखा है, परंतु यहां से जीत कर दिल्ली जाने वाले सांसद कभी ज्वालामुखी क्षेत्र की तरफ गंभीर नहीं रहे। हालांकि ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र से हमेशा इन सांसदों को भारी बहुमत से जीतवा कर भेजा गया है, जब ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में था, तब भी यहां से प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल, सुरेश चंदेल और अनुराग ठाकुर को भारी बहुमत से दिल्ली भेजा जाता रहा है, परंतु क्षेत्र के लोगों की मांगों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है। इस बार लोगों ने ठान लिया है कि जो प्रत्याशी ज्वालामुखी क्षेत्र की इन मांगों को पूरा करने का वादा करेगा, उसे ही वोट देकर दिल्ली भेजा जाएगा। ज्वालामुखी को रेलवे नेटवर्क से जोडऩे की भी मांग वर्षो से चली आ रही है परंतु, इस और भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है और ना ही ज्वालामुखी जैसे ऐतिहासिक तीर्थ स्थल की बात को कभी लोकसभा में उठाया गया है या रेल मंत्री के समक्ष रखा गया है।


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