पावर हाउस के पास बसे गांव में लाइट ‘डिम्म’

By: Apr 20th, 2024 12:54 am

सात राज्यों को रोशन करने वाला गांव अंधेरे में डूबा, एनएचपीसी प्रबंधन-विभाग के भेजा है प्रस्ताव
रमेश धामी-सैंज
पार्वती परियोजना के पावर हाउस सिऊड के समीप बसे खड़ोहा के ग्रामीण बीते एक दशक से लो वोल्टेज की समस्या से जूझ रहे हैं। भले ही देश के सात राज्यों को खड़ोहा गांव रोशन कर रहा है लेकिन पावर हाउस की गोद में बसें खड़ोहा गांव के ग्रामीण 10 वर्षों वाद लो वोल्टेज की समस्या से जूझ रहे हैं। बता दें कि एनएचपीसी के पावर हाउस के 100 मीटर की दूरी पर बसें खड़ोहा गांव के ग्रामीणों को मलाल है कि जहां जिला कुल्लू का खड़ोहा गांव देश के सात राज्यों को रोशन कर रहा है लेकिन ग्रामीण को आज भी लो वोल्टेज की समस्या से निजात नहीं मिल पाई है। भले ही सिऊड के साथ एनएचपीसी का पावर हाउस बिजली के बल्ब से जगमगा रहा हो लेकिन ग्रामीण लो बोल्टेज की समस्या से परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि खड़ोहा गांव में बिजली की कम वोल्टेज से जहां ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है वहीं स्कूली बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। जिस कारण खड़ोहा गांव से संबंध रखने वाले 30 परिवारों के विद्युत उपकरण भी शोपीस बन गए हैं। बहरहाल सात राज्यों को रोशन करने वाले खड़ोहा के लोग खउंद अंधकार में हैं। (एचडीएम)

समस्या हल न होने पर विद्युत विभाग को मीटर सौंपने की चेतावनी
दिले राम काईथ, लजे राम शर्मा, एलेराम, लीलाधर, चमन लाल, जय चंद, चेत राम, मने चंद व ज्ञान चंद ने आरोप है कि एनएचपीसी के आते ही गांव में लो वोल्टेज की समस्या आई है। अगर एनएचपीसी न आती तो ग्रामीणों को लो वोल्टेज की समस्या परेशान न करती। एनएचपीसी ने भले ही पावर हाउस में सैकड़ों बिजली के बल्ब लगाकर यह दर्शाने की कोशिश की है कि यहां बिजली की कोई भी समस्या नही है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। हकीकत यह है कि दूसरों को रोशन करने वाला गांव खुद अंधेरे में है। लोगों ने कहा कि कई बार प्रस्ताव पारित कर ग्रामसभा के माध्यम से एनएचपीसी को लो वोल्टेज की समस्या का समाधान करने की मांग की है, लेकिन पार्वती पावर स्टेशन चरण-2 ने ग्रामसभा के प्रस्ताव को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया। ग्रामीणों ने कहा कि आखिर उनका क्या कसूर है कि दूसरों को रोशन करने के बावजूद खुद अंधेरे में हैं। ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि अगर एनएचपीसी प्रबंधन व विभाग कुंभकर्ण नींद से नहीं जागा तो मजबूरन घरों में लगे मीटरो को खोलकर विभाग के कार्यालय में सौंप देंगे। ग्रामीणों ने कहां कि देशहित में सब कुछ न्योछावर कर 7 राज्यों को रोशन किया लेकिन खुद पिछले 10 साल से बिजली के बल्ब के साथ मोमबत्ती जलाकर जीवन जीने को मजबूर हैं।


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