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लोकसभा चुनाव : एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत-हार

By: Apr 9th, 2024 12:08 am

1984 के बाद लोकसभा चुनावों में दिखा दिग्गजों का दम

राकेश शर्मा — शिमला

बीते लोकसभा चुनाव में मोदी लहर ने हिमाचल के मतदाताओं का स्वाद भले ही बदला हो, लेकिन इतिहास में अपने बूते जीत और हार दर्ज करने वाले नेताओं ने भी मतों के बड़े पहाड़ खड़े किए हैं। बीते 35 सालों में दस लोकसभा चुनाव देश में हुए हैं। इनमें 16 परिणाम ऐसे हैं, जिनके बीच हार और जीत का फैसला एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हुआ है। मोदी लहर में हिमाचल में वोटों की बंपर बारिश हुई और इसका बड़ा फायदा भाजपा उम्मीदवारों को मिला। लोकसभा चुनाव में 72 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है। यही वजह रही कि जीत और हार का अंतर पहली मर्तबा तीन लाख को पार कर गया। जीत का सबसे बड़ा रिकॉर्ड कांगड़ा सीट पर बना। यहां किशन कपूर चार लाख 77 हजार मतों की बड़ी लीड से चुनाव जीते। यह जीत न केवल हिमाचल, बल्कि पूरे देश में राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गई है। प्रदेश की राजनीति में 1984 का लोकसभा चुनाव ऐसा था। इसमें चारों ही सीटों पर फैसला एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हुआ। उस दौर में कांग्रेस ने बंपर बढ़त के साथ लोकसभा की सभी सीटों पर कब्जा जमाया था।

शिमला सीट पर कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी एक लाख 96 हजार 291 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे। मंडी से पंडित सुखराम एक लाख 31 हजार 651 वोटों के अंतर से भाजपा के मधुकर को हराने में सफल रहे थे। हमीरपुर से भाजपा के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल एक लाख 24 हजार 933 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। उन्हें नारायण चंद ने हराया था। कांगड़ा से चौधरी सरवण कुमार को एक लाख 17 हजार 433 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में कांगड़ा सीट से चंद्रेश कुमारी ने जीत दर्ज की थी। 1996 के लोकसभा चुनाव में मंडी सीट पर पंडित सुखराम ने जीत का कीर्तिमान स्थापित किया था। इस चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी अदान सिंह ठाकुर को एक लाख 53 हजार 223 वोटों के अंतर से हराया था। उन्हें तीन लाख 28 हजार 186 वोट मिले थे। 1998 में मंडी सीट पर महेश्वर सिंह की जीत सबसे बड़ी रही। महेश्वर सिंह ने प्रतिभा सिंह को एक लाख 31 हजार 832 वोट के अंतर से पराजित किया था।

महेश्वर सिंह को तीन लाख 4 हजार 310 वोट मिले थे। महेश्वर सिंह ने 1999 के लोकसभा चुनाव में भी कीर्तिमान बनाते हुए कांग्रेस के कौल सिंह को एक लाख 31 हजार 25 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में तीन सीटों पर हार और जीत का फैसला एक लाख से ज्यादा वोट के अंतर से हुआ। हमीरपुर में सुरेश चंदेल ने रामलाल ठाकुर को एक लाख 29 हजार 247 वोटों के अंतर से हराया, जबकि कांगड़ा में शांता कुमार ने सत महाजन को एक लाख 742 वोटों से पराजित किया था। 2004 के लोकसभा चुनाव में शिमला सीट पर कर्नल धनी राम शांडिल ने भाजपा के हीरा नंद कश्यप को एक लाख आठ हजार 180 वोटों के अंतर से पराजित किया। कर्नल धनी राम शांडिल को तीन लाख 11 हजार 182 वोट मिले थे।

केडी सुल्तानपुरी-पं. सुखराम ने बनाया था रिकॉर्ड

1984 में केडी सुल्तानपुरी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्होंने एक लाख 96 हजार 291 वोटों के अंतर से यह चुनाव जीता था। इस चुनाव में उनके सामने जेएनपी के कृपाल धर्मपुरी मैदान में थे। केडी सुल्तानपुरी को दो लाख 44 हजार 10 वोट मिले और यह परिणाम हिमाचल राजनीति के इतिहास में सबसे बड़ी जीत थी। मंडी संसदीय सीट पर 1996 के लोकसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने डेढ़ लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत का कीर्तिमान बनाया था। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी अदान सिंह ठाकुर को एक लाख 53 हजार 223 वोटों के अंतर से हराकर यह चुनाव जीता था।

2019 में बने बड़े कीर्तिमान

2019 के लोकसभा चुनाव में चारों सीटों पर जीत और हार का फैसला तीन लाख से ज्यादा वोट के अंतर से हुआ था। इनमें सबसे बड़ी जीत चार लाख 77 हजार 623 वोट के अंतर से कांगड़ा में हुई थी। किशन कपूर को सात लाख 25 हजार 218 वोट हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस के पवन काजल को दो लाख 47 हजार 595 वोट मिले थे। मंडी में रामस्वरूप शर्मा जीत का अंतर चार लाख 5559 वोट का था। रामस्वरूप शर्मा को छह लाख 47 हजार 189, जबकि आश्रय शर्मा को दो लाख 41 हजार 730 वोट मिले थे। हमीरपुर में अनुराग ठाकुर की जीत का अंतर तीन लाख 99 हजार 572 रहा था। शिमला संसदीय सीट पर सुरेश कश्यप ने तीन लाख 27 हजार 515 अंतर से जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सुरेश कश्यप को छह लाख 6 हजार 183 वोट मिले थे, जबकि धनीराम शांडिल दो लाख 78 हजार 668 वोट मिले थे।


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