मशीनों से कटाई,जिला में पशुओं के लिए तूड़ी का बढ़ा संकट

By: Apr 29th, 2024 12:16 am

कंबाइन से गेहूं काटने से 70 फीसदी पशुचारा बर्बाद, लेबर न मिलने से मशीनो के सहारे किसान

स्टाफ रिपोर्टर-ऊना
इस सीजन जिला ऊना में कटाई के लिए मजबूर न मिलने से व महंगी कटाई के कारण जमींदार गेहूं की पैदावार लेने के लिए कंबाइन का प्रयोग कर रहे हैं। परंतु कंबाइन के प्रयोग से जमींदारों को गेहूं की फसल से पैदावार तो मिल जाती है, लेकिन पशुचारा सिर्फ 30 फीसदी ही मिलता है। बाकि का 70 फीसदी पशुचारा खेतों में पड़ा रहता है। हांलाकि शेष 70 फीसदी पशुचारे से 40 से 50 फीसदी दूसरी मशीन से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन बारिश होने से वह भी बर्बाद हो जाता है तो कुछ कंबाइन के प्रयोग के दौरान उसके टायरों से भी खराब हो जाता है। लेबर से गेहूं की कटाई करने से किसानों को 9000 रुपये प्रति एकड़ की जगह 2500 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। हालांकि इससे किसानों को पशुचारे का भी नुकसान होता है, लेकिन फिर भी नुकसानों के लिए कंबाइन से गेहूं की कटाई करना लाभदायक साबित हो रहा है। वहीं, कंबाइन के बाद पशुचारा लेने के लिए अगर किसान दूसरी मशीन लगवाते हैं तो उन्हें 2000 रुपये प्रति ट्रॉली का भुगतान करना पड़ रहा है, जो किसानों के लिए लेबर की कटाई से ज्यादा लाभदायक साबित हो रही है।

परंतु मशीनों की कटाई से जहां 50 फीसदी पशुचारा खेतों में खराब हो जाता है या फिर खेतों में ही बिना कटाई के रह जाता है। बता दें कि पहले ही जिला ऊना में पशुपालकों के लिए पशुचारा पूरा नहीं होता तो दूसरी तरफ अब मशीनों के प्रयोग से आने वाले समय में किसानों की परेशानियां बढ़ जाएगी। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला ऊना में 35,514 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल की पैदावार होती है। जहां से प्रति वर्ष किसानों को 80 हजार मीट्रिक टन के करीब गेहूं की पैदावार होती है और करीब 8 लाख क्विंटल पशुचारा(तूड़ी) निकलती है। 35,514 हेक्टेयर भूमि में 20941 हेक्टेयर गैर सिंचित क्षेत्र व 14573 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र शामिल है। इनमें से गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल बारिश के भरोसे होती है।

40 से 50 फीसदी हो चुकी जिला में गेहूं की कटाई
वहीं, कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने कहा कि जिला ऊना में 40 से 50 फीसदी गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है। ज्यादातर बड़े किसानों ने गेहूं की फसल की कटाई मशीनों से करवाई है। इस सीजन जिला ऊना में गेहूं की फसल से पैदावार व तूड़ी में गिरावट देखी गई है।

400 से 450 रुपए प्रति क्विंटल लोकल तूड़ी का मूल्य

वहीं, हिमाचल प्रदेश किसान सभा के जिलाध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि जिला ऊना में लोकल तूड़ी का मूल्य 400 से 450 रुपये निकला है। इसके साथ एक एकड़(किला-8 कनाल)से 12 से 13 हजार की 20 से 25 क्विंटल तूड़ी होती है। वहीं, पंजाब से आयात होने वाली तूड़ी(पशुचारा)600 रुपये क्विंटल है, जिसे भी गाड़ी चालक खुले में फैंक रहे हैं। इसके अलावा 550 रुपये प्रति क्विंटल तूड़ी डाल(लोकल क्षेत्र में बेचने के लिए)फेंक रहे हैं।


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