अब बौद्धिक क्षमता की बढ़त जरूरी

हम उम्मीद करें कि सरकार और देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा देश के तेज विकास और आम आदमी के आर्थिक-सामाजिक कल्याण के मद्देनजर दुनिया के विभिन्न विकसित देशों की तरह भारत में भी बौद्धिक समझ, शोध एवं नवाचार पर अधिक धनराशि व्यय होगी…

इन दिनों देश और दुनिया में बौद्धिक सम्पदा विषयों पर प्रकाशित हो रही रिपोर्टों को पढ़ा जा रहा है। इनमें कहा जा रहा है कि भारत के तेज विकास के लिए नवाचार और बौद्धिक सम्पदा की डगर पर तेजी से बढऩा जरूरी है। हाल ही में अमरीकी उद्योग मंडल ‘यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स’ के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में वैश्विक बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक 2024 में भारत दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से 42वें स्थान पर है, पिछले वर्ष भी भारत इसी क्रम पर स्थित था। आईपी सूचकांक के तहत शीर्ष क्रम पर जिन 10 देशों की अर्थव्यवस्थाएं हैं, उनमें क्रमश: संयुक्त राज्य अमरीका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, जापान, नीदरलैंड, आयरलैंड, स्पेन तथा स्विट्जरलैंड हैं। बौद्धिक सम्पदा में आविष्कार, रचनात्मक कार्य, कलात्मक कार्य, डिजाइन, कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क, शोध व नवाचार शामिल हैं। गौरतलब है कि इस नई आईपी रिपोर्ट में भारत की बौद्धिक सम्पदा आधारित नवाचार गतिविधियों की प्रशंसा की गई है और कहा गया है कि भारत बौद्धिक नवाचार के जरिये अर्थव्यवस्था को और तेजी से बढ़ाने की संभावनाओं वाला देश है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आईपी मापदंड़ों के मद्देनजर भारत का आकार और आर्थिक रसूख वैश्विक पटल पर बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने कॉपीराइट अधिकारों के उल्लंघन पर गतिशील निषेधात्मक आदेश जारी कर कॉपीराइट की नकल रोकने के सशक्त प्रयास किए हैं।

इसके अलावा आईपी- आधारित कर रियायतें देकर और नकली उत्पादों के बारे में जागरूकता फैलाकर भी भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। यदि हम बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े अन्य वैश्विक संगठनों की रिपोर्टों को देखें तो पाते हैं कि भारत इस क्षेत्र में लगातार आगे बढऩे का प्रयास कर रहा है। लेकिन अभी भी देश के तेज विकास के ऊंचे लक्ष्यों के लिए बौद्धिक संपदा शोध और नवाचार में भारत को ऊंचाई प्राप्त करना जरूरी है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा प्रकाशित वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) 2023 की रैंकिंग में 132 अर्थव्यवस्थाओं में भी भारत 40वें पायदान पर दिखाई दे रहा है। खास बात यह भी है कि इस सूचकांक में भारत 37 निम्न-मध्यम-आय समूह अर्थव्यवस्थाओं के बीच अग्रणी बनकर उभरा है। साथ ही भारत नवाचार के संबंध में मध्य और दक्षिणी एशिया की 10 अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊपर है। बौद्धिक सम्पदा शोध एवं नवाचार की दुनिया में भारत की रैंकिंग यह दर्शा रही है कि भारत इनोवेशन का हब बनता जा रहा है। भारत में शोध एवं नवाचार को बढ़ाने में डिजिटल ढांचे और डिजिटल सुविधाओं की भी अहम भूमिका है। भारत आइटी सेवा निर्यात और वेंचर कैपिटल हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार करने में भी भारत दुनिया में सबसे आगे है। भारत के उद्योग-कारोबार तेजी से समय के साथ आधुनिक हो रहे हैं।

कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए भारत ने जिस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया, उससे भारत कृषि विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत ने कारोबारी विशेषज्ञता, रचनात्मकता, राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता जैसे विविध क्षेत्रों में अच्छे सुधार किए हैं। साथ ही भारत में घरेलू कारोबार में सरलता, विदेशी निवेश जैसे मानकों में भी बड़ा सुधार दिखाई दिया है। भारत की शोध एवं नवाचार ऊंचाई में अपार ज्ञान पूंजी, स्टार्टअप और यूनिकॉर्न, पेटेंट वृद्धि, घरेलू उद्योग विविधकरण, हाइटेक विनिर्माण और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए प्रभावी कार्यों के साथ-साथ अटल इनोवेशन मिशन ने भी अहम भूमिका निभाई है। कोविड-19 भारत में नए चिकित्सकीय शोध और नवाचार को बढ़ावा देने का भी एक अवसर बना है। भारत बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, डिजिटल, कृषि, शिक्षा, रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। भारत के नवाचार दुनिया में सबसे प्रतियोगी, किफायती, टिकाऊ, सुरक्षित और बड़े स्तर पर लागू होने वाले समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। आज भारत में करीब 1.25 लाख स्टार्टअप हैं, जिनमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। यह बात महत्वपूर्ण है कि बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार के बहुआयामी लाभ होते हैं। इनके आधार पर किसी देश में विभिन्न देशों के उद्यमी और कारोबारी अपने उद्योग-कारोबार शुरू करने संबंधी निर्णय लेते हैं। पूरी दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारें भी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स को ध्यान में रखकर अपने वैश्विक उद्योग-कारोबार के रिश्तों के लिए नीति बनाने की डगर पर बढ़ती हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते हुए अमरीका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं।

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के तेजी से बढऩे से भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। यद्यपि भारत के विकास में बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े तीन आधारों की बढ़ती भूमिका दिखाई दे रही है, लेकिन इन आधारों से विकास को ऊंचाई देने के लिए इस क्षेत्र में सरकार व निजी क्षेत्र का परिव्यय बढ़ाना होगा। इस समय भारत में आर एंड डी पर जीडीपी का करीब 0.67 प्रतिशत ही व्यय हो रहा है। दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब दो फीसदी शोध एवं विकास में व्यय किया जाता है। यूरोपीय संघ में आर एंड डी पर जीडीपी का करीब 2 प्रतिशत तथा अमरीका, जापान और अन्य कई विकसित देशों में इस पर 3 फीसदी से भी अधिक व्यय किया जा रहा है। भारत में शोध एवं नवाचार पर खर्च ब्रिक्स देशों की तुलना में कम है और विश्व औसत 1.8 फीसदी से भी कम है। इस समय देश में निजी क्षेत्र का आर एंड डी पर खर्च जीडीपी के करीब 0.35 फीसदी के स्तर पर है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि सरकार बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार की अहमियत को समझते हुए इस क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए दिखाई दे रही है। वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में वित्तमंत्री सीतारमण ने उभरते क्षेत्रों में नवाचार और शोध को प्रोत्साहन देने के लिए एक लाख करोड़ रुपए के कोष की स्थापना करने की घोषणा की है।

हम उम्मीद करें कि सरकार अमरीकी उद्योग मंडल, यूएस चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के वैश्विक बौद्धिक संपदा सूचकांक रिपोर्ट 2024 के तहत भारत सरकार बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार के वर्तमान ढांचे में मौजूद खामियों को दूर करने और भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक नया मॉडल बनाने की डगर पर आगे बढ़ेगी। साथ ही सरकार इस रिपोर्ट में भारत के बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड को 2021 में भंग किए जाने और न्यायपालिका पर बढ़ते मामलों के बोझ की चिंता को दूर करेगी, क्योंकि इससे बौद्धिक संपदा अधिकारों को लागू करने की क्षमता प्रभावित होती है। हम उम्मीद करें कि सरकार और देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा देश के तेज विकास और आम आदमी के आर्थिक-सामाजिक कल्याण के मद्देनजर दुनिया के विभिन्न विकसित देशों की तरह भारत में भी बौद्धिक समझ, शोध एवं नवाचार पर जीडीपी की दो फीसदी से अधिक धनराशि व्यय करने की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा। इससे जहां ब्रांड इंडिया और मेड इन इंडिया की वैश्विक स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सकेगी, वहीं स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, कारोबार, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, संचार, अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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